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हिमाचल में पहली बार किलो के हिसाब से बिकेगा किन्नौरी सेब
हिमाचल का ऑर्गेनिक किन्नौरी सेब पहली बार मंडी में किलो के हिसाब से बिकेगा। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) किन्नौर और शिमला जिला किन्नौर की टापरी मंडी में इस सीजन से किलो के हिसाब से सेब खरीद की व्यवस्था करने जा रही है। 16 अगस्त को यहां मंडी खुलेगी। बागवान अपना सेब क्रेट में मंडी लाएंगे, क्रेट में ही खरीदार सेब की बोली लगाएंगे, लेकिन बागवानों को पैसा वजन के हिसाब से मिलेगा। अब तक यहां क्रेट के हिसाब से सेब बिकता था। 20 किलो के क्रेट में बागवान 25 से 28 किलो सेब भरकर लाते थे, लेकिन उन्हें दाम 20 किलो के ही मिलते थे, जिससे बागवानों को प्रति पेटी पांच से आठ किलो सेब की कीमत का नुकसान होता था।
नई व्यवस्था शुरू होने से बागवानों को यह नुकसान नहीं होगा। किन्नौर के ऑर्गेनिक सेब की मंडियों में भारी मांग रहती है। किन्नौर का सेब अधिक रसीला, गहरे लाल रंग का और आकार में लंबा होता है। किन्नौर में हर साल 25 से 30 लाख पेटी सेब उत्पादन होता है। 15 अगस्त के बाद किन्नौर के निचले इलाकों में सेब की फसल तैयार हो जाती है। ऊंचाई वाले इलाकों से नवंबर तक सेब की आमद जारी रहती है। पिछले साल सेब सीजन के दौरान किन्नौर की टापरी मंडी में 4,53,000 पेटी सेब की खरीद-फरोख्त हुई थी। बाकी की फसल प्रदेश की अन्य मंडियों में बिकती है।
किन्नौर की टापरी मंडी में किलो के हिसाब से सेब खरीद शुरू करने का फैसला लिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह व्यवस्था शुरू करने को लेकर मार्केटिंग बोर्ड के एमडी, एपीएमसी के सचिव और टापरी मंडी आढ़ती एसोसिएशन की बैठक हो चुकी है। - नरेश शर्मा, चेयरमैन, एपीएमसी शिमला एवं किन्नौर
ग्लेशियर के पानी से कूल्हों के जरिये होती है सिंचाई
किन्नौर में परंपरागत कूल्हों से सेब के बगीचों में सिंचाई होती है। ग्लेशियर का पानी कूल्हों के जरिये बगीचों तक पहुंचता है। किन्नौरी सेब प्राकृतिक रूप से अधिक ठोस होता है, जिसके चलते इसे अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।