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एक रुपया डीजल पेट्रोल पर बढने पर हंगामा मचाने वाले लोग अब 10 बढने पर भी खमोश क्यों?
शिव कुमार मिश्र
11 Jan 2018 3:42 PM IST

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क्या आप यकीन कर सकते हैं कि जब मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई थी तो डीजल पर उत्पाद शुल्क मात्र 3 रु 56 पैसे प्रति लीटर था.
गिरीश मालवीय
क्या आप यकीन कर सकते हैं कि जब मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई थी तो डीजल पर उत्पाद शुल्क मात्र 3 रु 56 पैसे प्रति लीटर था जो अब 2018 में बढ़कर 17 रु 33 पैसे प्रति लीटर हो गया है यानी मोदी सरकार के कार्यकाल में डीजल पर उत्पाद शुल्क 380 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया गया है।
पेट्रोल पर जो उत्पाद शुल्क 2014 में 9 रु 48 पैसे प्रति लीटर था वह अब बढ़कर 21 रु 48 पैसे प्रति लीटर पर पहुंच चुका है यानी पेट्रोल के उत्पाद शुल्क में 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई है ओर यह हालात तब के है जब क्रुइड आयल के दाम बेहद नीचे आ गए थे तब मोदी सरकार ने जनता से वादा किया था कि कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ेंगी तो शुल्क में वापस कमी कर देंगे।
मुंबई में सोमवार को पेट्रोल की कीमत बढ़कर 78.32 रुपए प्रति लीटर हो गई है, जबकि दिल्ली में 70.43 रुपए, कोलकाता में 73.17 रुपए और चेन्नई में 73.01 रुपए प्रति लीटर की दर से बिक रहे हैं पेट्रोल, लेकिन किसी की कान पर जूं भी नही रेंग रही हैं ।
यह 3 अक्टूबर 2017 (70.88 रुपए प्रति लीटर दिल्ली में) के बाद का पेट्रोल का भी उच्चतम स्तर है। उस समय मीडिया में इसके 70 रुपए के पार निकल जाने की खबरें आने पर दबाव में केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के उत्पाद शुल्क में दो-दो रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी, लेकिन अब गुजरात मे चुनाव भाजपा जीत चुकी है इसलिए न मीडिया, न कांग्रेस न ही कोई अन्य विपक्षी दल कोई हल्लागुल्ला नही मचा रहा है
कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश सरकार ने अपने राज्य में पेट्रोल डीजल 50 पैसे और अतिरिक्त सेस लगा दिया.
मनमोहन सरकार के हारने की बड़ी वजह पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामो पर अंकुश न लगा पाना भी था लेकिन आज कोई विरोध की आवाज नही उठ रही हैं लोहिया सही कहते थे कि अगर सड़कें खामोश हो जाएं, तो संसद आवारा हो जाती हैं।
पेट्रोल डीज़ल की कीमते जब से रोजाना बदलने लगी है तभी से इनकी लूट बढ़ गयी है अब किसी को ध्यान नही रहता की आज की कीमत क्या है कल से बड़ी या कम हुई , बड़ी तो क्यों और कम हुई तो क्यों
आम इंसान सिर्फ पेट्रोल पंप पर जाता है 100 200 500 का पेट्रोल भराता है और अपने काम पर निकल जाता है , पहले जब 15 दिन में समीक्षा होती थी तब कम से कम मीडिया तो बताता था कि दाम बड़े या कम हुए आज मीडिया भी इस पर ध्यान नही देता और ये अपनी मन मर्जी से दाम बढ़ाते ओर कम करते है , कम होते कभी दिखे नही बढ़ते जरूर रहते है
अभी कुछ दिनों पहले ही सरकार में दो रुपये की कटौती की थी एक्साइज ड्यूटी में तब डीजल पेट्रोल 2 रुपये सस्ता हुआ था परंतु अब वापस आज की रेट 63 रुपये ओर कुछ पैसे की हो गयी है जबकि अंतराष्ट्रीय बाजार में ऐसी कोई विशेष बढ़ोतरी नही हुई है यहाँ सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि पेट्रोल के दाम दिसम्बर से अब तक 6 रुपये बाद चुके है (सूत्रों के अनुसार ) ओर कही भी कोई हो हल्ला नही है यदि यही 15 दिन में 1 रुपये बढ़ता तो महंगाई भी बढ़ती ओर देश मे तूफान आ जाता
सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिये ओर कंपनियो की इस लूट से जनता को बचाना चाहिए ये रोजाना की स्कीम जनता को लूट रही है जो सरासर गलत है
जनता की जानकारी के लिए एक बात बहुत जरूरी है हरेक पेट्रोल पंप की रेट अलग अलग है यदि आप सोचते है कि एक शहर में सभी पेट्रोल पंप की एक रेट है तो आप गलत सोचते है हरेक पेट्रोल पंप की रेट अलग है आपको देखना होगा कि आप को किस पेट्रोल पंप से पेट्रोल भरवाना है
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