
पढ़ें: 42 साल पुरानी इस कंपनी को बेच रहे हैं PM मोदी, जानिए आखिर क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार 42 साल पुरानी इस कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। जानिए आखिर क्यों ऐसा हो रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है इससे सरकारी खजाने में लगभग 1400 करोड़ रुपए आएगा।
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार मिनी रत्न कंपनी ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन की पूरी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। सरकार की इसमें 73.46 फीसदी की हिस्सेदारी है। ड्रेजिंग कॉर्प को बेचने के लिए सरकार की 1 महीने में बोली मंगाने की योजना है। यह कंपनी शिपिंग मिनिस्ट्री के अधीन है।
कैबिनेट कमिटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स पहले ही ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है। ड्रेजिंग कॉर्प में पूरी सरकारी हिस्सेदारी एक साथ बेचने पर सहमति है।
विशाखापटनम में ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन की स्थापना 1976 में हुई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन का प्रदर्शन पिछले कई साल से निराशाजनक रहा है। ड्रेजिंग कॉर्प को बेचने से सरकारी खजाने में लगभग 1400 करोड़ रुपए आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
वित्त वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में ड्रेजिंग कॉर्प को 22.5 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में ड्रेजिंग कॉर्प को 14 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। वित्त वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में ड्रेजिंग कॉर्प की आय 21.1 फीसदी घटकर 119.9 करोड़ रुपए रही है। वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में ड्रेजिंग कॉर्प की आय 151.9 करोड़ रुपए रही थी।
आपकोप बता दें ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन में करीब 500 कर्मचारी हैं। शिपिंग मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, कंपनी के कर्मचारियों के पास वीआर का ऑप्शन है। इसके अलावा कंपनी के मालिक ही कर्मचारियों पर फैसला लेंगे। आपको बता दें कि यह बीएसई और एनएसई पर लिस्टेड कंपनी है।




