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रिजर्व बैंक ने ब्याज दर घटाकर दिया दिवाली का तोहफा, आपको EMI पर मिलेगी राहत
भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में कटौती कर लोगों को दिवाली तोहफा दिया है. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश की. इसमें रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी चौथाई फीसदी तक की कटौती की गई है. रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी ब्याज दर घटाएंगे और लोगों के होम लोन, ऑटो लोन आदि की ईएमआई कम हो जाएगी.
इसके साथ ही इस साल अब तक ब्याज दर में 1.35 फीसदी तक की कटौती हो चुकी है. रेपो रेट घटकर अब 5.15 फीसदी रह गई है. उम्मीद है कि बैंक दिवाली से पहले इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगे.
क्या होती है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक RBI से लोन लेते हैं यानी यह बैंकों के लिए फंड की लागत होती है. यह लागत घटने पर बैंक अपने लोन की ब्याज दर भी कम करते हैं. इस साल जनवरी से अभी तक रिजर्व बैंक रेपो रेट में 1.35 फीसदी तक कटौती कर चुका है. रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) इसके बारे में निर्णय लेती है.
किन वजहों से हुई कटौती
इसके पहले रिजर्व बैंक ने अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा की थी और तब भी ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती की गई थी. इस बीच आर्थिक परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है, जिस पर RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी अचरज किया था. इसके बाद सरकार ने चौंकाते हुए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर दी थी, जिससे सरकार के खजाने में 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी होने का अनुमान है. इसके अलावा पीएमसी बैंक के संकट से वित्तीय प्रणाली की अनिश्चितता बढ़ गई.
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है और पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ महज 6.8 फीसदी रही है. रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही में 5.8 फीसदी ग्रोथ होने का अनुमान लगाया था, लेकिन यह पूरी तरह से गलत साबित हुआ.
बैंक एवं वित्तीय सेक्टर का संकट
IL&FS के ढह जाने और पीएमसी सहित कई वित्तीय कंपनियों, बैंकों की मुश्किल से रिजर्व बैंक के लिए इस सिस्टम में स्थिरता बनाए रखने की चुनौती है. रिजर्व बैंक ने हाल में भरोसा दिया है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम मजबूत और सुरक्षित है और जनता को चिंता करने की जरूरत नहीं है. ऐसी अफवाह भी उड़ गई थी कि एनपीए की वजह से कई बैंक बंद हो रहे हैं, जिनका रिजर्व बैंक ने तत्परता से खंडन किया.
इसके अलावा अर्थव्यवस्था की सुस्ती और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से वित्तीय घाटे के मोर्चे पर नए तरह की चिंताएं खड़ी हुई हैं. राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 फीसदी के लक्ष्य को पार कर जाने की आशंका है. ज्यादा राजकोषीय घाटे से महंगाई बढ़ सकती है.