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RBI ने किया मोदी सरकार को आगाह, इन चार बड़े खतरों से 2019 भी खतरे में
शिव कुमार मिश्र
11 Feb 2018 6:34 PM IST

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आरबीआई ने जो संभावनाएं जताई हैं, उससे अगर मोदी सरकार नहीं निपटती है तो पीएम मोदी को 2019 के आम चुनाव में नुकसान हो सकता है
शुभम शुक्ला की कलम से
मोदी सरकार नई नीतियों के जरिए न्यू इंडिया की नींव रखने की तैयारी कर रही है. लेकिन, हकीकत में उसके आगे कई चैलेंज हैं जो उन्हें आगे बढ़ने से रोक सकते हैं. रिजर्व बैंक ने इसके लिए सरकार को चेताया है. दरअसल, हाल ही में आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए मोदी सरकार को रेड अलर्ट किया. उसने मोदी सरकार को इकोनॉमी से जुड़े चार खतरों से आगाह किया है. आरबीआई ने यह तक कहा कि अगर इन खतरों पर ध्यान नहीं दिया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं.
2019 चुनाव पर भी खतरा!
आरबीआई ने जो संभावनाएं जताई हैं, उससे अगर मोदी सरकार नहीं निपटती है तो पीएम मोदी को 2019 के आम चुनाव में नुकसान हो सकता है. हालांकि, सीधे तौर पर आरबीआई ने ऐसा नहीं कहा है. लेकिन, ये चारों खतरे ऐसे हैं जिनका असर सीधे आम आदमी से जुड़े हैं. ऐसे में मोदी सरकार को 2019 से पहले इन खतरों से निपटना होगा.
महंगाई है सबसे बड़ा खतरा
रिजर्व बैंक ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में साफ कहा है कि देश के आर्थिक हालात सुधरे हैं. कॉरपोरेट जगत में भी अच्छी तेजी है. लेकिन, कंपनियों की लागत बढ़ी है. ऐसे में कंपनियां अपनी लागत वसूलने के लिए इसका बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं. कंज्यूमर पर बोझ पढ़ने से महंगाई बढ़ने की संभावना है. दूसरी तरफ कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भी महंगाई बढ़ने का खतरा है. ऐसे में मोदी सरकार को महंगाई पर नजर रखनी होगी.
महंगा होता क्रूड बिगाड़ेगा मूड
मॉनिटरी पॉलिसी में यह भी कहा गया है कि ग्लोबल ग्रोथ अच्छी गति से चल रही है. ऐसे में इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतें और बढ़ सकती है. इसका सीधा असर कमोडिटी की कीमतों पर भी पड़ेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी बजट भाषण में यह आशंका जताई थी कि अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी तो देश को नुकसान होगा. फिलहाल, कच्चे तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं. अगर यह और बढ़ती हैं तो इकोनॉमी को मजबूती की ओर ले जाना मुश्किल हो सकता है.
राजकोषीय घाटा
बजट 2018 में राजकोषीय घाटा बढ़ने का अनुमान जताया है. वहीं, आरबीआई ने भी मॉनिटरी पॉलिसी में इसका जिक्र किया है. राजकोषीय घाटा बढ़ने से अर्थव्वस्था में मजबूती आने में दिक्कतें होंगी. सभी फैक्टर कमजोर होंगे और सरकार के लिए भी कर्ज महंगा होगा. सरकार के लिए यह चुनौती है कि वो राजकोषीय घाटे को कैसे नियंत्रित करती है. साथ ही वैश्विक मंच पर भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर नजरिया नकारात्मक हो सकता है.
निवेश के लिए आकर्षक नहीं रहेगा देश
आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी में कहा है कि राजकोषीय घाटा बढ़ने से विदेशी निवेशकों को न्यौता देना घातक हो सकता है. दरअसल, भारत में घाटा बढ़ने और विकसित देशों की मौद्रिक नीति सामान्य होने से भारत के लिए विदेशों से पैसा जुटाना मुश्किल होगा. ऐसे में विदेशी निवेशकों से हाथ धोना पड़ सकता है. निवेशकों का भरोसा भारत पर कम हो सकता है. साथ ही निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश होने का दावा भी विफल साबित हो सकता है.
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