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रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल आईसीआईसीआई के मामले में खामोश क्यों?

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल आईसीआईसीआई के मामले में खामोश क्यों?
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इतने गंभीर मामले पर बैंक क्षेत्र के नियामक रिजर्व बैंक द्वारा कोई निर्णय नही लेना यह दिखाता है कि उर्जित पटेल किस तरह के दबाव में काम करते है.

वीडियोकॉन को कर्ज देने में आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों में फंसी आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर पर सीबीआई ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है. आईसीआईसीआई बैंक की ओर से जारी किए गए बयान में ये जानकारी दी गई. बेंक ने बताया कि बैंक की सीईओ चंदाकोचर पर लगे आरोपों की जांच होनी चाहिए. इसके लिए बैंक बोर्ड ने जांच समिति का गठन करने का फैसला लिया है, जो स्वतंत्र रूप से इस मामले की जांच करेगी. इस पूरे मामले में रिजर्व बेंक के गवर्नर की चुप्पी किस ओर इशारा कर रही है.


14 मार्च को गुजरात नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी, गांधी नगर में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकारी बैंकों में दोहरे नियंत्रण का विषय उठाते हुए कहा कि रिजर्व बैंक के पास सरकारी बैंकों केनियंत्रण के सीमित अधिकार हैं. जबकि निजी बैंकों को रिजर्व बैंक अच्छे से नियंत्रित करने की स्थिति में है.लेकिन निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई के मामले में उनके नियंत्रण सम्बन्धी अधिकार पता नही कहा चले गए है ?

वीडियोकॉन लोन विवाद में फंसी आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद भी अपने पद पर बनी हुई है. उनके ख‍िलाफ स्वतंत्र जांच शुरू हो गयी हैं लेकिन यह कैसे सम्भव है कि कोई CEO अपने पद पर बना रहे ओर उसके खिलाफ उसकी अधीनस्थ समिति जांच करे यह न्याय के बुनियादी उसूलों के खिलाफ है सिर्फ दिखावा करने के लिए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है.

बैंक जांच के प्रति कितना गम्भीर है यह बैंक के प्रवक्ता बता रहे हैं कि, ''चंदा कोचर अपनी सालाना छुट्टी पर हैं. ये छुट्टियां पहले से ही तय थीं.'' इस बीच व्हिसल ब्लोअर अरविंद गुप्ता ने अब कई नए खुलासे किए हैं कि एस्सार ग्रुप के रुइया ब्रदर्स को बैंक की ओर से मदद की गई ताकि उनके पति दीपक कोचर के न्यूपावर ग्रुप को 'राउंड ट्रिपिंग' के जरिए इन्वेस्टमेंट हासिल हो सके रुइया ब्रदर्स ने यह फंडिंग अपने दामाद निशांत कनोडिया और भतीजे अनिरुद्ध भुवालका के जरिए कराई.

इतने गंभीर मामले पर बैंक क्षेत्र के नियामक रिजर्व बैंक द्वारा कोई निर्णय नही लेना यह दिखाता है कि उर्जित पटेल किस तरह के दबाव में काम करते है. सार्वजनिक क्षेत्र के दसियों बैंक सीईओ पर कार्यवाही हुई है. लेकिन आइसीआइसीआइ पर कोई कार्यवाही न होना बैंको के निजीकरण किये जाने की योजना पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है.

गिरीश मालवीय

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