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किन ग्रहो के कारण है व्यापार में बाधा, व्यवसाय में हानि ?

Shiv Kumar Mishra
10 Oct 2020 12:14 PM GMT
किन ग्रहो के कारण है व्यापार में बाधा, व्यवसाय में हानि ?
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पं, वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ)

व्यवसाय का प्रश्न मानव के लिए सदैव से बहुत महत्वपूर्ण रहा है| समय पर उचित मार्गदर्शन का अभाव ,अपनी रूचि व प्रकृति के अनुसार शिक्षा का न होना एवम भविष्य का अज्ञान इत्यादि अनेक कारणों से आज के युवकों को अपनी योग्यता व पसंद का रोजगार नहीं मिलता । अनेक युवकों ने शिक्षा व विशेषज्ञता किसी और क्षेत्र में प्राप्त की है पर व्यवसाय किसी अन्य क्षेत्र में कर रहें हैं । इस से न तो वे अपने साथ न्याय करते हैं और न ही व्यवसाय के साथ। निश्चित जन्म कुंडली से मार्ग दर्शन ले कर यदि हम उनकी प्रकृति व संभावित व्यवसाय के अनुरूप अपने बच्चों की शिक्षा का स्वरूप निश्चित करें तो उन्हें किसी अनिश्चय का सामना नहीं करना पड़ेगा ।किसी व्यक्ति की वृत्ति क्या होगी। आजीविका स्वदेश में होगी या विदेश में ,सरकारी सेवा करेगा

या व्यापार ,किन पदार्थों के क्रय -विक्रय से लाभ या हानि होगी , व्यवसाय में सफलता या असफलता का संभावित समय इत्यादि प्रश्नों के विषय में व्यक्ति की जन्म कुंडली या प्रश्न कुंडली उचित मार्ग दर्शन प्रदान कर सकती है ।जन्मकुंडली या प्रश्नकुंडली के दशम एवम सप्तम भाव से व्यक्ति के व्यवसाय का विचार किया जाता है ।लग्न ,चन्द्र व सूर्य में जो बली हो उस से दशम भाव में स्थित ग्रह अपने कारकत्व के अनुसार वृत्तिकारक होता है । एक से अधिक ग्रह उस स्थान पर हों तो व्यवसाय भी एक से अधिक होंगे पर मुख्य आजीविका सबसे बलवान ग्रह की होगी | यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश के नवांशेश के अनुसार वृत्ति होगी, के बल के अनुसार व्यवसाय में सफलता -असफलता व लाभ -हानि का विचार करना चाहिए |

दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही 'कौन-सा विषय चुनें' यह यक्ष प्रश्न बच्चों के सामने आ खड़ा होता है। माता-पिता को अपनी महत्वाकांक्षाओं को परे रखकर एक नजर कुंडली पर भी मार लेनी चाहिए। बच्चे किस विषय में सिद्धहस्त होंगे, यह ग्रह स्थिति स्पष्ट बताती है।

आज जीवन के हर मोड़ पर आम आदमी स्वयं को खोया हुआ महसूस करता है। विशेष रूप से वह विद्यार्थी जिसने हाल ही में दसवीं या बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है, उसके सामने सबसे बड़ा संकट यह रहता है कि वह कौन से विषय का चयन करे जो उसके लिए लाभदायक हो। एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी अच्छी मदद कर सकता है। जन्मपत्रिका में पंचम भाव से शिक्षा तथा नवम भाव से उच्च शिक्षा तथा भाग्य के बारे में विचार किया जाता है। सबसे पहले जातक की कुंडली में पंचम भाव तथा उसका स्वामी कौन है तथा पंचम भाव पर किन-किन ग्रहों की दृष्टि है,

ये ग्रह शुभ-अशुभ है अथवा मित्र-शत्रु, अधिमित्र हैं विचार करना चाहिए। दूसरी बात नवम भाव एवं उसका स्वामी, नवम भाव स्थित ग्रह, नवम भाव पर ग्रह दृष्टि आदि शुभाशुभ का जानना। तीसरी बात जातक का सुदर्शन चंद्र स्थित श्रेष्ठ लग्न के दशम भाव का स्वामी नवांश कुंडली में किस राशि में किन परिस्थितियों में स्थित है ज्ञात करना, तीसरी स्थिति से जातक की आय एवं आय के स्त्रोत का ज्ञान होगा। जन्मकुंडली में जो सर्वाधिक प्रभावी ग्रह होता है सामान्यत: व्यक्ति उसी ग्रह से संबंधित कार्य-व्यवसाय करता है। यदि हमें कार्य व्यवसाय के बारे में जानकारी मिल जाती है तो शिक्षा भी उसी से संबंधित होगी। जैसे यदि जन्म कुंडली में गुरु सर्वाधिक प्रभावी है तो जातक को चिकित्सा, लेखन, शिक्षा, खाद्य पदार्थ के द्वारा आय होगी। यदि जातक को चिकित्सक योग है तो जातक जीव विज्ञान विषय लेकर चिकित्सक बनेगा। यदि पत्रिका में गुरु कमजोर है तो जातक आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, रैकी या इनके समकक्ष ज्ञान प्राप्त करेगा। श्रेष्ठ गुरु होने पर एमबीबीएस की पढ़ाई करेगा। यदि गुरु के साथ मंगल का श्रेष्ठ योग बन रहा है तो शल्य चिकित्सक, यदि सूर्य से योग बन रहा है तो नेत्र चिकित्सा या सोनोग्राफी या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से संबंधित विषय की शिक्षा, यदि शुक्र है तो महिला रोग विशेषज्ञ, बुध है तो मनोरोग तथा राहु है तो हड्डी रोग विशेषज्ञ बनेगा।

चंद्र की श्रेष्ठ स्थिति में किसी विषय पर गहन अध्ययन करेगा। लेखक, कवि, श्रेष्ठ विचारक बनेगा तथा बीए, एमए कर श्रेष्ठ चिंतनशील, योजनाकार होगा। सूर्य के प्रबल होने पर इलेक्ट्रॉनिक से संबंधित शिक्षा ग्रहण करेगा। यदि मंगल अनुकूल है तो ऐसा जातक कला, भूमि, भवन, निर्माण, खदान, केमिकल आदि से संबंधित विषय शिक्षा ग्रहण करेगा। बुध प्रधान कुंडली वाले जातक बैंक, बीमा, कमीशन, वित्तीय संस्थान, वाणी से संबंधित कार्य, ज्योतिष-वैद्य, शिक्षक, वकील, सलाहकार, चार्टड अकाउंटेंट, इंजीनियर, लेखपाल आदि का कार्य करते हैं। अत: ऐसे जातक को साइंस, मैथ्स की शिक्षा ग्रहण करना चाहिए किंतु यदि बुध कमजोर हो तो वाणिज्य विषय लेना चाहिए। बुध की श्रेष्ठ स्थिति में चार्टड अकाउंटेंट की शिक्षा ग्रहण करना चाहिए। शुक्र की अनुकूलता से जातक साइंस की शिक्षा ग्रहण करेगा। शुक्र की अधिक अनुकूलता होने से जातक फैशन, सुगंधित व्यवसाय। श्रेष्ठ कलाकार तथा रत्नों से संबंधित विषय को चुनता है। शनि ग्रह प्रबंध, लौह तत्व, तेल, मशीनरी आदि विषय का कारक है।

अत: ऐसे जातकों की शिक्षा में व्यवधान के साथ पूर्ण होती है। शनि के साथ बुध होने पर जातक एमबीए फाइनेंस में करेगा। यदि शनि के साथ मंगल भी कारक है तो सेना-पुलिस अथवा शौर्य से संबंधित विभाग में अधिकारी बनेगा। राहु की प्रधानता कुटिल ज्ञान को दर्शाती है। केतु – तेजी मंदी तथा अचानक आय देने वाले कार्य शेयर, तेजी मंदी के बाजार, सट्टा, प्रतियोगी क्वीज। लॉटरी आदि। कभी-कभी एक ही ग्रह विभिन्न विषयों के सूचक होते हैं तो ऐसी स्थिति में जातक एवं ज्योतिषी दोनों ही अनिर्णय की स्थिति में आ जाते हैं। उसका सही अनुमान लगाना ज्योतिषी का कार्य है। ऐसी स्थिति में देश, काल एवं पात्र को देखकर निर्णय लेना उचित रहेगा। जैसे नवांश में बुध का स्वराशि होना ज्योतिष, वैद्य, वकील, सलाहकार का सूचक है। अब यहां जातक के पिता का व्यवसाय (स्वयं की रुचि) जिस विषय की होगी। वह उसी विषय का अध्ययन कर धनार्जन करेगा।

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए पं. वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें = 9131735636

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