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क्या अब व्यापार घाटा बढ़ने में भी नेहरू की गलती बताई जाएगी
शिव कुमार मिश्र
23 April 2018 8:19 PM IST

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मोदी सरकार की नोटबन्दी ओर बिना तैयारी की जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है यह मैं नही कह रहा हूँ
मोदी सरकार की नोटबन्दी ओर बिना तैयारी की जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है यह मैं नही कह रहा हूँ यह भारत के व्यापारियों उद्योगपतियों की सबसे प्रतिष्ठित संस्था पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री कह रही है. इस संस्था ने एक कल एक रिपोर्ट जारी की है जिसका शीर्षक है 'कारोबार, उद्योग एवं निर्यातकों पर जीएसटी का असर'. इस रिपोर्ट को जारी करते हुए संगठन के अध्यक्ष अनिल खेतान ने कहा कि नोटबंदी के असर तथा जीएसटी की रुकावटों जैसे विभिन्न संरचनात्मक एवं घरेलू कारकों से निर्यात वृद्धि पर बुरा असर पड़ा है.
कई निर्यातक अभी भी एकीकृत जीएसटी के अपने बकाया रिफंड के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। इससे उनको दैनिक खर्च की पूंजी का अभाव है और वे काम नहीं कर पा रहे हैं. पीएचडी चैंबर मानता है कि देश के निर्यात पर बहुत खराब असर पड़ा है. जीएसटी के बकायों की वापसी में देरी और नोटबंदी के प्रभाव जैसी रुकावटों की वजह अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे मुख्य बाजारों समेत वैश्विक मांग में सुधार के बाद भी 2017-18 में देश का निर्यात प्रभावित होकर उम्मीद से कम रहा जबकि इस साल अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसे मुख्य बाजारों के आयात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है.
छोटे छोटे देशो का निर्यात इस दौरान बढ़ा है इस इस दौरान दक्षिण कोरिया का निर्यात 16 प्रतिशत, इंडोनेशिया का 17 प्रतिशत और मलेशिया का 15 प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन हम कोई उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल नही कर पाए.उन्होंने कहा कि 2017-18 को भारत के लिए निर्यात में अप्रत्याशित वृद्धि से चूकने के लिए याद किया जाएगा, पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा एक साल पहले के 108 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत बढ़कर 157 अरब डॉलर पर पहुंच गया है
शायद व्यापार घाटा बढ़ने में भी नेहरू की गलती बता दी जाएगी.......
गिरीश मालवीय की कलम से
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