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नई दिल्ली
पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला. एक तरफ रूस, ब्रिटेन और फ्रांस थे तो दूसरी ओर जर्मनी और एस्ट्रो हंगेरियन राजशाही. ऑस्ट्रिया के आर्क ड्यूक फ्रांत्स फर्डिनांड की एक युगोस्लाव राष्ट्रवादी द्वारा हत्या के बाद 28 जुलाई 1914 को युद्ध शुरू हुआ. इसके लगभग एक महीने बाद जापान ने मित्र देशों का साथ दिया और एशिया प्रशांत के रास्ते को सुरक्षित करने के लिए जर्मनी के नौसैनिक बेड़े पर हमला बोल दिया.
जापान ब्रिटेन का मित्र देश था. दो ही दिन बाद जापान ने ऑस्ट्रिया-हंगरी पर भी हमला किया. हालांकि जापान और ब्रिटेन के बीच पहले से ही सैन्य करार था लेकिन इसके तहत वह युद्ध में प्रवेश करने के लिए बाध्य नहीं था. लेकिन ब्रिटेन ने जापान से मदद मांगी और जापान के इतिहास में 23 अगस्त 1914 वह तारीख बन गई जब पहले विश्व युद्ध से उसका नाम जुड़ गया. उसका मकसद चीन में अपना प्रभाव बढ़ाना और भविष्य में खुद को बड़ी सत्ता के रूप में स्थापित करना भी था.
दरअसल जर्मनी द्वारा पहले विश्वयुद्ध में शामिल होने और बेल्जियम के रास्ते फ्रांस पर हमला करने के बाद 7 अगस्त को ब्रिटेन ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी. इसके बाद उसने जापान से मदद की मांग की. 14 अगस्त को जापान ने जर्मनी को चेतावनी भरा पत्र भेजा, जिसका जर्मनी ने कोई जवाब नहीं दिया. आखिरकार 23 अगस्त को जापान ने हमला किया. जापान का मकसद था प्रशांत महासागर में अपना दबदबा बनाना. जर्मनी की वहां पकड़ मजबूत थी. लेकिन इस हमले के बाद हालात बदल गए.
जर्मनी ने इस युद्ध में भारतीय राष्ट्रवाद और पैन इस्लामिज्म का इस्तेमाल करने की कोशिश की.. भारत में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की भी कोशिश की और अफगानिस्तान को ्पने साथ लाने के लिए एक प्रनिधिमंडल वहां भेजा. लेकिन भारत में युद्ध ने अंग्रोजों के लिए काफी संवेदना पैदा कर दी और कांग्रेस तथा एअन्य दलों के नेताओं ने भविष्य में स्वायत्तता पाने की उम्मीद में अंग्रेजों का साथ दिया. युद्ध कै दौरान करीब 47,500 भारतीय सैनिक मारे गए 65,000 से ज्यादा घायल हुए.