- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- हमसे जुड़ें
- /
- मोदी राज: मोदी के 7...
मोदी राज में 'विश्वगुरु' भारत की स्थिति नेपाल, बांग्लादेश और यहाँ तक कि पाकिस्तान से भी बदतर हो गयी है कल ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट रिलीज की गई है, भारत कुल 116 देशों में 101वें स्थान पर है जबकि भूख के मामले में हमारे पड़ोसी देश जैसे नेपाल (76), बांग्लादेश (76), म्यांमार (71) और पाकिस्तान (92) हमसे कही बेहतर स्थान पर है।भारत की तुलना में इन सभी देशो ने अपने नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराने को लेकर बेहतर प्रदर्शन किया है।
मोदी राज में हमारी स्थिति बद से बदतर की तरफ बढ़ रही है साल 2014 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में भारत 55वें पायदान पर था, लेकिन 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में सरकार बनने के बाद भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट दर्ज की गई।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 2015 में भारत 55वें स्थान से फिसलकर 80वें पायदान पर पहुंच गया, वहीं 2016 में 97वें और 2017 में 100वें स्थान पर पहुंच गया. 2018 में 103 वें स्थान पर था और 2019 में 102 वे नम्बर आया और पिछले साल 2020 में भी भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर था। इस साल वह 116 देशों में 101वें स्थान पर है,
लगातार पिछले सात सालों से इसी तरह से भारत की रैंकिंग गिर रही है लेकिन इसके बावजूद न तो मोदी सरकार को शर्म आ रही है और न उसका गुणगान गाते रहने वाली मीडिया को
अदम गोंडवी ने कहीं लिखा है -
छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर ग़रीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मज़हबी नग़मात को मत छेड़िए
लेकिन भारत के मीडिया में वो सारी बाते जो नागरिक के जीवन को बेहतर बनाती है उनकी चर्चा नही होती सिर्फ 'मज़हबी नग़मात' ही चर्चा में रहते हैं।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है, मसलन, लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं। इस इंडेक्स में दुनिया के विकसित देश शामिल नहीं होते हैं साल 2006 में इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट (आईएफपीआरआई) नाम की जर्मन संस्था ने पहली बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी वैश्विक भूख सूचकांक जारी किया था. हर साल अक्टूबर में ये रिपोर्ट जारी की जाती है।
'ग्लोबल इंडेक्स स्कोर' ज़्यादा होने का मतलब है उस देश में भूख की समस्या अधिक है। उसी तरह किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहाँ स्थिति बेहतर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स को नापने के चार मुख्य पैमाने हैं -
कुपोषण, शिशुओं में भयंकर कुपोषण, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर
मोदी का न्यू इंडिया इन चारों मोर्चो पर फेल साबित हुआ है।अगर सरकार कहती है कि हमने कोरोना काल मे 80 करोड़ लोगों को अनाज दिया है तो यह सब ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में क्यो नही दिखाई देता ?
अदम गोंडवी ने ये भी लिखा है -
उनका दावा, मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया
पर हक़ीक़त ये है कि मौसम और बदतर हो गया'