हमसे जुड़ें

भारत–पाकिस्तान मैच: खेल से बड़ा है देश का दर्द

Arun Mishra
13 Sept 2025 4:19 PM IST
भारत–पाकिस्तान मैच: खेल से बड़ा है देश का दर्द
x
ऐसे में सवाल उठता है – क्या खेल खेलते हुए हम उन लोगों के दर्द को नजरअंदाज कर सकते हैं जो अपने परिजनों को खो चुके हैं?

अरुण मिश्रा, पत्रकार : कल होने जा रहे भारत–पाकिस्तान क्रिकेट मैच ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है। मैदान पर खिलाड़ियों की भिड़ंत जितनी रोमांचक मानी जाती है, उससे कहीं अधिक भावनात्मक और राजनीतिक उथल-पुथल इस मैच के पीछे छिपी हुई है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। जांच में सामने आया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन सक्रिय थे। ऐसे में सवाल उठता है – क्या खेल खेलते हुए हम उन लोगों के दर्द को नजरअंदाज कर सकते हैं जो अपने परिजनों को खो चुके हैं?

हमले में मारे गए लोगों की विधवाओं ने खुले शब्दों में कहा है – “जब हमारे घर उजड़ गए, हमारे जीवन की खुशियाँ छीन ली गईं, तब खेल का यह प्रदर्शन हमें और पीड़ा देता है। हमें सम्मान चाहिए, खेल नहीं।” उनकी यह भावना सिर्फ व्यक्तिगत शोक नहीं, बल्कि पूरे समाज की संवेदना का प्रतीक है। वे चाहती हैं कि देश उनकी पीड़ा को समझे और उन लोगों से खेल खेलने से इनकार करे जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं।

1. आतंकी गतिविधियों में पाकिस्तान का हाथ – सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों में बार-बार यह सामने आया है कि सीमापार आतंकवाद भारत की आंतरिक शांति के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ खेलना पीड़ितों की भावनाओं की अनदेखी जैसा लगता है

2. राजनीतिक और नैतिक संदेश – यदि भारत ऐसे समय में खेल में भाग लेता है तो यह आतंकवाद के खिलाफ देश की मजबूती का संदेश कमजोर कर सकता है। खेल में भाग न लेना एक स्पष्ट राजनीतिक और नैतिक रुख को दर्शाएगा कि हम शहादत और आतंक के खिलाफ खड़े हैं।

भावनाओं का सम्मान जरूरी है

देश में हर नागरिक की भावना मायने रखती है। उन परिवारों की आवाज, जिन्होंने आतंकवाद के कारण अपनों को खोया है, सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसे में खेल को लेकर राष्ट्रवादी भावना से अधिक जरूरी है संवेदनशीलता और सम्मान। खेल का उद्देश्य मनोरंजन है, लेकिन जब देश शोक में हो तो खेल का आयोजन अनावश्यक विवाद और पीड़ा को जन्म देता है।

राष्ट्रहित सर्वोपरि

भारत का खेल प्रेम महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी ऊपर राष्ट्र की गरिमा और शहीदों के प्रति सम्मान है। यही सही समय है जब देश को यह संदेश देना चाहिए कि आतंकवाद के समर्थन में खड़े किसी भी राष्ट्र के साथ खेल से अधिक महत्वपूर्ण हमारे वीरों की कुर्बानी है। यह खेल नहीं, बल्कि एक नैतिक निर्णय है – एक ऐसा निर्णय जो देश की आत्मा को मजबूत बनाता है।




(लेखक: 'स्पेशल कवरेज न्यूज़' में सहायक संपादक हैं)

Next Story