हमसे जुड़ें

कदम - कदम पर कोरोना, लोग बेबस, हालात विस्फोटक !

कदम - कदम पर कोरोना, लोग बेबस, हालात विस्फोटक !
x
जब तक यह नहीं मिल जाती, तब तक लोगों को इसी तरह मास्क, सैनिटाइजर/ साबुन, इम्यूनिटी के लिए मल्टीविटामिन, लहसुन- सोंठ जैसे घरेलू उपाय अपनाकर हर तरफ मंडरा रहे कोरोना के अनगिनत वायरस से खुद को बचाने की बेहद मुश्किल व अप्रमाणिक/ अपुष्ट कोशिश करनी है.

जिस तरह से कोरोना भारत में दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद आदि बड़े शहरों में कहर बरपाते हुए देश के छोटे शहरों- कस्बों या गांवों में भी तेजी से अपने पैर पसार रहा है, यह साफ हो चुका है कि जून- जुलाई बीतते- बीतते हालात विस्फोटक हो सकते हैं. कोरोना के मरीजों और इससे मरने वालों की तादाद के मामले में भारत से ज्यादा बुरी हालत में अब केवल तीन ही देश हैं.

सवा सौ करोड़ की विशाल आबादी के चलते कोई बड़ी बात नहीं कि भारत अगले एक दो महीने में ही इन तीन देशों को भी पीछे छोड़कर दुनिया में कोरोना का सबसे बड़ा शिकार बनकर सामने आ जाए. चिंता की बात यह है कि हमारे देश में तो स्वास्थ्य सुविधाएं कोरोना की आहट भर से लड़खड़ा चुकी हैं. और ऐसे में अगर दुनिया में सबसे ज्यादा तबाही मचाने के लिए भी कोरोना ने भारत को ही चुन लिया तो चंद VIP लोगों को छोड़कर स्वास्थ्य सुविधाएं तो शायद ही फिर किसी को नसीब हो पाएंगी.

जाहिर है, कोरोना का शिकार होने के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में यहां लोगों को आयुष काढ़ा, इम्यूनिटी के लिए मल्टीविटामिन आदि का सहारा लेकर ही खुद को बचाने की कोशिश करनी होगी. हालांकि ये आयुर्वेदिक या घरेलू उपाय कोरोना से जान बचाने में लोगों के लिए कितना कारगर होंगे , यह पक्के तौर पर कोई नहीं जानता. यही नहीं, किसी के परिवार में इस वायरस का शिकार होने के बाद देश की अधिकांश जनता इस तरह के अप्रमाणिक उपायों से खुद को ठीक करने की बजाय हस्पतालों या डॉक्टर/ दवा की शरण में ही भागती है. हस्पताल, दवा/ डॉक्टर उन्हें न मिल पाने के बाद किस तरह की आफत जनता पर आएगी और इससे कितनी अराजकता फैलने का खतरा है , यह समझाने की जरूरत तो नहीं ही है.

लेकिन सब कुछ जानते समझते हुए भी सरकार के सामने भी अब न के बराबर विकल्प बचे हैं. लॉकडॉउन या कर्फ्यू लगाकर सरकार अगर कोरोना की रोकथाम करने का प्रयास करेगी भी तो उसे पहले के अनुभव से यह अंदाजा लग ही चुका है कि लंबे समय तक लॉक डाउन या कर्फ्यू लगाना कोरोना जैसी ही एक और तबाही यानी आर्थिक तबाही को आमंत्रण देने जैसा ही है...

लिहाजा कोरोना के कहर से भारत को अब सिर्फ एक ही चीज बचा सकती है ... और वह है इसकी वैक्सीन या दवा... जब तक यह नहीं मिल जाती, तब तक लोगों को इसी तरह मास्क, सैनिटाइजर/ साबुन, इम्यूनिटी के लिए मल्टीविटामिन, लहसुन- सोंठ जैसे घरेलू उपाय अपनाकर हर तरफ मंडरा रहे कोरोना के अनगिनत वायरस से खुद को बचाने की बेहद मुश्किल व अप्रमाणिक/ अपुष्ट कोशिश करनी है.

यह कुछ कुछ सांप सीढ़ी जैसा ही खेल हो गया है. फर्क बस इतना है कि सांप सीढ़ी में सांप के कई कई बार काटने के बाद भी खिलाड़ी बाजी में बना रहता था ... लेकिन कोरोना के साथ चल रही जिंदगी की इस सांप सीढ़ी में कदम कदम पर सांप यानी कोरोना का खतरा तो है मगर यहां न तो सीढ़ी यानी वैक्सीन/ दवा का कुछ पता है ..... और न ही बहुत से खिलाड़ियों के पास बाजी में बने रहने के लिए कोई दूसरा मौका है... क्योंकि बहुत से लोग या परिवार इसके शिकार होते ही खत्म या तबाह भी हो चुके हैं...

Next Story