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डेरा सच्चा सौदा (DSS) और सनातन धर्म: बड़ा खुलासा उड़ जायेंगे होश ये जानकर!
शिव कुमार मिश्र
2 Sep 2017 7:47 AM GMT
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Dera Sacha Sauda (DSS) and Sanatan Dharma: The big disclosures will fly away knowing this!
आज गुरमीत राम रहिम का आड़ लेकर सभी न्यूज चैनल एवं कुछ फेसबुक यूजर्स को हिंदू धर्म पर अंगुली उठाने का बहाना मिल गया है। हिंदू धर्म पर ऊलजलूल कमेंट करने वाले इस बाबा गुरमीत राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा के बारे में कुछ जानकारी अवश्य लें ले।
डेरा सच्चा सौदा की स्थापना बलूचिस्तान के एक मुसलमान ने 1948 ईस्वी में हरियाणा के सिरसा में किया था। उस मुसलमान को वहाँ के लोग मस्ताना बलूचिस्तानी या बेपरवाह मस्ताना बलूचिस्तानी के नाम से जानते थे। पर उसका वास्तविक नाम अमुकुरेजुद्दीन खान था। इस मस्ताने ने एक डेरा सच्चा सौदा के नाम से एक धार्मिक कॉकटेल तैयार किया जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई धर्म की विशेषता थी। इसने अपने अनुयायियों के लिए एक ताबीज तैयार करवाया जिसमें सभी धर्मों के प्रतिक चिन्हों को सम्मलित किया गया था।
सन 1960 में इस मस्ताने बलूचिस्तानी की मृत्यु हो गई और डेरा सच्चा सौदा की बागडोर साह सतनाम सिंह ने संभाल लिया। 1991 ईस्वी में साह सतनाम सिंह की भी मृत्यु हो गयी और डेरा सच्चा सौदा की बागडोर गुरमीत राम रहिम सिंह के हाथों में आ गयी। इसने अपने अनुयायियों और पैसे के बल पर राजनीतिक ताकत हासिल कर ली। पंजाब और हरियाणा के सभी पार्टियों के नेता और बड़े लोग इसकी ताकत और अनुयायियों के वोट बैंक की वजह से इसके तलवे चाटा करते थे।
इस डेरा सच्चा सौदा ने हिंदू धर्म का ही चोला क्यों ओढा...... क्योंकि सनातन हिंदू धर्म बहुत ही उदार है जिसका फायदा हमेशा से उठाया जाता रहा है। इस देश में सनातन धर्म के सादगी का फायदा उठाकर ही शिरडी, दरगाहो और बाबाओं की आमदनी हो रही है।
इसलिए सभी सनातन धर्म को मानने वाले से आग्रह है कि उदारता अवश्य रखें क्योंकि ये ही हमारी पहचान है पर सतर्कता और सावधानी के साथ। जिससे भविष्य में कोई हमारे धर्म का चोला ओढ कर हमारे धर्म को बदनाम न कर सके।
प्रदीप देश पांडेय की कलम से
शिव कुमार मिश्र
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