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उतरती कलई नीतीश बाबू की...

Shiv Kumar Mishra
17 Dec 2022 5:25 PM IST
उतरती कलई नीतीश बाबू की...
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संजीव श्याम कौशिक

दक्षिण पंथी के गोद में पले बढ़े नीतीश कुमार कुछ वर्ष पूर्व जब अचानक तल्ख तेवर के साथ अलग हुए तो कईयों को उनमें भाजपा के समकक्ष मजबूत नेता की छवि उनमें दिखाई देने लगी, उम्मीदें जगने लगी, लेकिन सत्ता पर कमजोर होती पकड़ कहें या सत्ता के लिए सुशासन से समझौता, कुसंगतियों की परिणति साफ दिखने लगी।

नतीजा, दबाव में ही सही, पलटू कुमार का तमगा ले लिया। तब से आज तक इस गोद से उस गोद खेलते रहे हैं। जिस नीतीश को लोग सुशासन बाबू कहते थे आज वर्तमान और भविष्य के सत्ता के लालच में आपा खोते दिख रहे हैं। बदजुबानी कर रहे हैं ।

सवाल ये है कि जब शराबंदी आपने कड़ाई के साथ की है तो शराब भी नहीं बिकने चाहिए थे, सामान्य हो या जहरीली। सरकार पर ढीली होती पकड़ कहें या भविष्य के लिए राजनीतिक को‌ष की मजबूरी, शराब बिक तो रही है, खूब बिक रही है। लोग पी पी के मर रहे हैं और आप बेशर्मी से सदन में कह रहे हैं कि जो पिएगा वो तो मरेगा ही।

फिर ये भी बता दीजिए कि जो जहर का कारोबार करेगा, जहर बेचेगा, आखिर उसे कब तक आप सरकारी दामाद बना कर संरक्षण देते रहेंगे?

बेशर्मी छोड़िए, कुछ कीजिए अन्यथा जैसी भाव भंगिमा और भाषा आपकी दिख रही है,देश का नेतृत्व तो छोड़िए भविष्य में कहीं ऐसा न हो कि राह चलते बच्चे आपसे दस रुपए का हिंग मांगे और आप गाली देना शुरू कर दें...

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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