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- ईडी ने तोड़ ही दी शायद...
कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी और शहजादी प्रियंका गांधी द्वारा मंहगाई को मुद्दा बनाते हुए सरकार विरोधी प्रदर्शन में जिस प्रकार पुलिस के साथ हाथापाई हुई और उसके बाद गृहमंत्री द्वारा कांग्रेस पर एक अजीबोगरीब कटाक्ष करना जिसमें राम मंदिर निर्माण की तिथि को लेकर कांग्रेस को मंदिर विरोधी साबित करने से एक बात साफ हो गई है कि भाजपा के पास मंदिर के अलावा और कोई मुद्दा नहीं रह गया है। हालांकि कांग्रेस की इन सभी गतिविधियों को ईडी द्वारा कार्रवाई करने का विरोध भी सोशल मीडिया में कांग्रेस विरोधियों ने ठहराया लेकिन इन सबके बावजूद अगर मंहगाई और बेरोज़गारी पर देश में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी मैदान में नहीं उतरेगी तो आखिर सामने कौन आएगा।
इसमें कोई शक नहीं कि मीडिया सरकार और भाजपा का जितना भी महिमामंडन कर ले जनता को मंहगाई और बेरोज़गारी का भारी सामना करना पड़ रहा है। बाज़ारो में सारे दिन खाली बैठे दुकानदार खुल कर इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि लोगों की उपभोक्ता शक्ति बिल्कुल खत्म हो गई है। बाज़ार में खरीदार बिल्कुल सिमट गया है जिसका असर प्रोडक्शन पर पड़ा और फैक्ट्रियां बंद हों रही हैं जिससे देश में बेरोजगारों की संख्या बहुत बढ़ रही है।
मोदी सरकार के पिछले आठ सालों में लगातार आर्थिक स्थिति खराब हुई है चाहे सरकार आंकड़ों के खेल से और मीडिया की चाटुकारिता कितनी ही गुमराही फैलाए आम आदमी तो त्रस्त ही है। इन सब परिस्थितियों से बेखबर विपक्षी पार्टियां अपनी अपनी दुविधा में घिरी खामौश तमाशा देख रही हैं। किसी को सीबीआई का डर तो किसी को इडी का डर सता रहा है और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी सरकार की ताकत के बल पर अपने सब काम साधने में व्यस्त है।
ईडी द्वारा लगातार छापेमारी और जवाबतलबी के बाद शायद प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस नींद से जागनी शुरू हो गई है। यदि यह मान लिया जाए कि कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को मंहगाई और बेरोज़गारी की बजाए ईडी का विरोध मकसद है तो फिर भी सरकार के सामने लड़ने से यह तो एहसास जनता में जाएगा कि भाजपा सरकार को निरंकुश शासन नहीं करने दिया जाएगा। जिस प्रकार कांग्रेसी नेताओं ने कल सीना ठोक कर सरकार का मुकाबला करने की कोशिश की है उससे लग रहा है कि जेल जाने का डर शायद दिल से खत्म हो गया है। अब अगर ईडी अपनी कार्रवाइयां जारी भी रखती है और किसी नेता को जेल भेजने की कार्रवाई भी करती है तब भी सरकार का विरोध इसी तर्ज पर किया जाएगा।
लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को ईडी का समन जब मिला जब संसद चल रही है और खड़गे ने यह बात संसद में भी कही। अब जगजाहिर है कि ईडी और सीबीआई व इनकम टैक्स विभाग का प्रयोग सरकार द्वारा राजनीतिक हित साधने में किया जा रहा है तो आखिर क्या ये विपक्षी राजनीतिक दल अपने अपने दलों को खत्म करने की योजना पर काम कर रहे हैं या भाजपा में विलय करने की सोच रखते हैं और यदि ऐसा नहीं सोच रहे हैं तो भूत से डरकर कब तक खामोश बैठे रहेंगे। वो यदि सोच रहे हैं कि जनता खुद सरकार बदल देगी तो उनकी गलतफहमी है। जनता को सत्ता परिवर्तन के लिए नेता चाहिए और नेता बिलों में घुसे रहेंगे तो फिर जनता कैसे सत्ता परिवर्तन करेगी। भ्रष्टाचार तो हर दल ने किया है और भाजपा ने किया या नहीं यह बाद में पता चलेगा और हर दल की इसी कमजोरी का फायदा सरकार ने उठाया और देश को विपक्षहीन करने की योजना पर काम जारी कर दिया। लेकिन कल की कांग्रेस के नेताओं के मूड से लगता है कि अब बिना किसी खौफ के सरकार से लड़ाई जारी रहेगी। ये लड़ाई जनसमर्थन में बदल जाए इसके लिए लगातार सड़कों पर ऐसे ही रहना होगा।
प्रियंका गांधी का ऐसे मैदान में आना कम से कम भाजपा के लिए परेशानी खड़ा करेगा क्योंकि प्रियंका गांधी पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है और वह किसी एजेंसी में मुलजिम भी नहीं हैं। यदि अब कांग्रेस प्रियंका गांधी को आगे कर ऐसे ही सड़क पर खड़ी होती रही और लड़ती रही तो विपक्ष जिंदा रह सकता है और सत्ता परिवर्तन तक भी पहुंच सकता है। प्रियंका गांधी को गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक हर मुद्दे पर जाकर लड़ना होगा तब कहीं जाकर वह भाजपा को पछाड़ने में कामयाब हो सकती है। प्रियंका गांधी को लोगों से लगातार मुलाकातें भी करनी होंगी, कांग्रेस के आलोचकों को भी सुनना होगा क्योंकि कई बार आलोचक भी सबक सिखाने का ज़रिया बन जाते हैं। यदि प्रियंका गांधी इतना कर ले तो एक जनांदोलन खड़ा करने में कामयाब हो जाएगी।