हमसे जुड़ें

बर्बरता करती है हर सरकार

Desk Editor
1 Oct 2021 6:45 AM GMT
बर्बरता करती है हर सरकार
x
मौजूदा राजनीति की रीढ जातियों की राजनीति ही हैं विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार में और मैं धिक्कारता हूँ समाज के बड़े नेताओं को जो इस हत्या पर मौन हैं

सरकारी नौकरी सिर्फ लूट-खसोट, धौंस दबंगई दिखाने के अलावा दहेज लेने का ही मात्र कारण रह गई है। जिनके टैक्स से देश चलता है उन व्यवसायियों के जान की कीमत फिलहाल 10 लाख से अधिक नहीं शर्मिंदा हैं।

सरकारी नौकरी कोई भी हो काम न करने की सरकार से तनख्वाहें (आम आदमियों/ व्यवसायियों द्वारा दिया गया टैक्स) मिलती हैं और काम करने के लिए घूस (आम आदमियों /व्यवसायियों द्वारा) (दिल पर नहीं लेना है बस आसपास के सरकारी लोगों को देख लेना है (बिजली विभाग, परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग इत्यादी (पंचायत स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर, जिला स्तर पर, राज्य स्तर पर या फिर देश के सर्वोच्च स्तर पर)

सरकारी नौकरी क्यों चाहिए? इस प्रश्न का सीधा उत्तर यही है कि हमें सरकारी नौकरी दूसरों को कुचलने के लिए चाहिए।

मनीष एक व्यापारी थे जाहिर सी बात है इनका बिजनेस टर्नओवर गोरखपुर की रामगढ़ताल पुलिस थाने के पूरे स्टाफ की कुल "वैध" कमाई यानी वेतन से अधिक होगा।

लेकिन चूंकि सरकारी वर्दी और शक्ति थानेदार और सिपाहियों के सिर पर सवार है। और वहाँ मनीष कि कोई हैसियत नहीं थी इसीलिए उनको किसी को मारना और मारते-मारते मार डालना बिल्कुल आम लगा।

पुलिस के भयानक चेहरे से तो हम सब परिचित हैं। और साथ ही पुलिस का अपने लोगों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने से भी और पुलिस ही क्यों हमारी जाति आधारित सड़ा समाज भी तो यही करता है।

अभी कुछ ही साल पहले एक सिपाही प्रशांत चौधरी ने अपने पुलिसिया अहंकार में निजी कंपनी के कर्मचारी विवेक तिवारी की हत्या कर दी और पुलिस व उसकी जाति वालों उसे बचाने के लिए संपूर्ण शक्ति झोंक दी आज पता नहीं वह केस किस स्थिति में है।

सरकारी नौकरी का जो ठसक और रूतबा होता है वह और कहाँ से आएगा इसीलिए तो आईआईटी, आईआईएम, व डॉक्टर बड़ी नौकरियों पर हाथ मार रहे हैं। और वहीं जाति वाले आरक्षण और जाति के दम पर निचली नौकरियों के लिए घूस से लेकर जाति के नेता तलाश रहे हैं।

सरकारी नौकरी कहीं हॉस्पिटलों में लोगों को मार रही है, तो कहीं पुलिस बनकर अपनी क्रूरता निकाल रही है, तो कहीं राशन में से लूट कर रही है. सरकारी नौकरी होती ही है हत्या करने या दूसरों को लूटने के लिए क्योंकि हमारे सड़े हुए समाज में आज तक सरकारी नौकरी को लेकर कॉलोनियल माइंडसेट से बाहर आना आवश्यक नहीं समझा है। हमारे लिए तो आज भी कलेक्टर राजा होता है।

इसीलिए हम राजशाही में कत्ल होते हैं इसीलिए हमारे समाज से निकलकर सरकारी नौकरी पाया व्यक्ति स्वयं को सबसे ऊपर मान लेता है।

माणिक लाल पाटीदार आईपीएस थे, और घूस ना पाने पर कत्ल कर दिए गए, आज भी फरार ही चल रहे हैं अब तो देखिए गोरखपुर में यह हाल है।

यही हाल कांग्रेस के राज्य में है और इससे हजार गुना वीभत्स हाल अखिलेश सरकार में था वहीं मायावती जो दलित नेत्री हैं उनके ही राज्य में एक दलित लड़की का बलात्कर करके थाने में फांसी पर टांग दिया गया था।

तो सरकारें हैं कहाँ और किसके लिए है?

मौजूदा राजनीति की रीढ जातियों की राजनीति ही हैं विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार में और मैं धिक्कारता हूँ समाज के बड़े नेताओं को जो इस हत्या पर मौन हैं।

आँख उठा कर देख लीजिए जितने समाजसेवी होंगे वो व्यवसायी होंगे या फिर बेरोजगार युवा ।इतिहास गवाह है कि कोई सरकारी नौकरी लेकर समाज सेवा करने की कोशिश तक नहीं करता कुछ लोग बोलते हैं तो समझिए की झूठ बोल रहे हैं या सिर्फ बोल ही रहे हैं।


Next Story