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उर्दू साहित्यकार जाहिदा हिना की कहानियों में स्त्री-विमर्श

Desk Editor
24 Oct 2021 1:24 PM GMT
उर्दू साहित्यकार जाहिदा हिना की कहानियों में स्त्री-विमर्श
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उर्दू कथा साहित्य में जाहिदा हिना की कहानियों में स्त्री विमर्श को विशेष स्थान प्राप्त है और मुस्लिम समाज में महिलाओं की दुर्दशा और उनसे सम्बंधित अन्य जवलंत मुद्दों का अपनी कहानियों में अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है

शारिक रब्बानी, वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार

नानपारा, बहराईच (उत्तर प्रदेश)

अमरोहा की बहू जाहिदा हिना जो मशहूर शायर जौन एलिया की पत्नी थी, उनका जन्म विभाजन से पहले 5 अक्टूबर, सन् 1946 को सासाराम बिहार में हुआ था‌। विभाजन के बाद इनके माता-पिता पाकिस्तान चले गये थे इसलिए इन्हें भी पाकिस्तान जाना पड़ा।

अमरोहा से ताल्लुक रखने वाले मशहूर शायर जौन एलिया जिन्हें सन् 1957 में विभाजन के बाद पाकिस्तान आना पड़ा था ,जाहिदा हिना का उनसे विवाह हो गया। जाहिदा हिना दैनिक जंग व दैनिक एक्सप्रेस अखबार, पाकिस्तान बीबीसी उर्दू और वायस आफ अमेरिका से जुड़ी होने के साथ भारतीय अखबार दैनिक भास्कर मेें पाकिस्तानी डायरी नामक लेख भी लिखती थीं।

उर्दू कथा साहित्य में जाहिदा हिना की कहानियों में स्त्री विमर्श को विशेष स्थान प्राप्त है और मुस्लिम समाज में महिलाओं की दुर्दशा और उनसे सम्बंधित अन्य जवलंत मुद्दों का अपनी कहानियों में अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है।

जाहिदा हिना का कथा संग्रह राह में अजल है, शामिल कहानी ,जमी आग की आसमां आग का, एक मुस्लिम महिला शहंशाह, बानो के जीवन में तलाक के मार्मिक चित्र जिस प्रकार जाहिदा हिना ने खींचे हैं वह दिल-चीर कर रख देते हैंं। जाहिदा हिना ने बेबाक शैली में अपने आसपास की सड़ी-गली तमाम मान्यताओं के खिलाफ आवाज उठाई और पुरूषवादी मानसिकता के विरूद्व कलम चलाई।

भारतीय उप महाद्बीप में बुर्का प्रथा जो एक अहम मुद्दा है‌ और रूढिवादी मुस्लिमों व कट्टरपंथी मोलवियों के भय से मुस्लिम समाज का मध्यम वर्ग खास तौर पर पीड़ित है। इस सम्बध में जाहिदा हिना कहती हैं कि हिन्दुस्तान में रहने वाले मुसलमान परिवारों में पर्दा वह अधीनस्थ संस्था है जिसकी गिरफत औरतों पर मजबूत रही है अभी तक इस उपमहाद्बीप की मुस्लिम औरतें इस जकड़बन्दी से पूरी तरह आजाद नही हो सकी हैं। जाहिदा हिना के प्रमुख कहानी संग्रह राह में अजल है कैदी साँस लेता है ,न जुनून है न पारी है, इसके अलावा जाहिदा हिना ने दो हजार से अधिक पत्रकारी लेख भी लिखे हैैं।

जाहिदा हिना ने मुस्लिम समाज में विशेषकर महिलाओं सम्बन्धी अनेक मुद्दों को अपनी कहानियों में दर्शाया है और जाहिदा हिना को मुस्लिम महिला लेखिकााओं में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। जाहिदा हिना को उनके साहित्यिक सेवाओं के लिये फैज पुरस्कार, सार्क साहित्य पुरस्कार, सिंध वकता पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार व सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

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