
- Home
- /
- हमसे जुड़ें
- /
- गज़ल : भंवर से अब...
हमसे जुड़ें
गज़ल : भंवर से अब निकलना चाहता हूँ, मैं फिर मंज़िल बदलना चाहता हूँ
Desk Editor
20 Sept 2021 12:04 PM IST

x
#अहसासे मुजाहिद
भंवर से अब निकलना चाहता हूं ।
मैं फिर मंज़िल बदलना चाहता हूं -
मैं अपने ख्वाब को मिसमार कर के ।
समंदर सा मचलना चाहता हूं ।।
मोहब्बत का नशा अब जा चुका है ।
सहारा दो संभलना चाहता हूं ।।
हैं बादल बिजलियां सब साथ मेरे ।
शफ़क़ जैसा चमकना चाहता हूं ।।
मिटाने ज़ुलमतें इस दो जहां की ।
मैं सूरज सा निकलना चाहता हूं ।।
मुजाहिद नूर सा रोशन हुआ हूं ।
अंधेरों को कुचलना चाहता हूं ।।
- मुजाहिद चौधरी
एडवोकेट , हसनपुर (अमरोहा )
Next Story




