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हिंदी दिवस: भाषा, पहचान और विकास का उत्सव

Arun Mishra
14 Sept 2025 1:10 PM IST
हिंदी दिवस: भाषा, पहचान और विकास का उत्सव
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हिंदी का उद्भव संस्कृत से हुआ और यह समय के साथ विकसित होकर भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बनी।

अरुण मिश्रा : हर वर्ष 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता, सम्मान और उसके विकास की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना है। हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सोच, संवाद और राष्ट्र की एकता का प्रतीक है। यह वह माध्यम है जो भारत की विविधता को एक साझा पहचान में बदलता है।

हिंदी का उद्भव संस्कृत से हुआ और यह समय के साथ विकसित होकर भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बनी। भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि प्रशासन, शिक्षा, मीडिया और जनसंपर्क में एक साझा भाषा का उपयोग हो सके। हिंदी का शब्द भंडार संस्कृत, फारसी, अरबी, उर्दू, अंग्रेज़ी सहित अनेक भाषाओं से समृद्ध हुआ है, जिससे इसकी अभिव्यक्ति शैली अत्यंत प्रभावशाली बनती है।

वैश्वीकरण के इस युग में अंग्रेज़ी का प्रभाव बढ़ा है, परंतु हिंदी आज भी करोड़ों लोगों की मातृभाषा, संपर्क भाषा और सांस्कृतिक पहचान है। हिंदी सिनेमा, साहित्य, पत्रकारिता, डिजिटल मीडिया और सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर इसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है। आज हिंदी में विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, व्यापार और प्रशासन से जुड़े सामग्री उपलब्ध है। इससे यह साबित होता है कि हिंदी आधुनिकता के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है।

तार्किक दृष्टि से हिंदी का महत्व

1. सामाजिक समावेशन – हिंदी उन लोगों के बीच पुल का काम करती है जो भिन्न राज्यों और भाषाओं से आते हैं।

2. ज्ञान का प्रसार – जब मातृभाषा में शिक्षा और संवाद होता है तो जटिल विषय भी सरल और स्पष्ट बन जाते हैं।

3. सांस्कृतिक संरक्षण – लोकगीत, साहित्य, कहानियाँ, त्योहार और परंपराएँ हिंदी के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती हैं।

4. राष्ट्रीय एकता – विविधता से भरे देश में हिंदी एक साझा मंच बनती है, जिससे संवाद और सहयोग संभव होता है।

हिंदी का प्रचार केवल नारे तक सीमित न रहकर उसके व्यावहारिक उपयोग में बढ़ावा देना आवश्यक है। विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण हिंदी शिक्षण, शोध कार्यों में हिंदी का प्रयोग, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हिंदी सामग्री का निर्माण और साहित्यिक चर्चाओं का विस्तार आवश्यक है। साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं के साथ संवाद स्थापित कर हिंदी को समावेशी और समृद्ध बनाना चाहिए।

हिंदी दिवस केवल एक औपचारिक उत्सव नहीं, बल्कि भाषा के प्रति हमारे दायित्व का स्मरण है। हिंदी हमें जोड़ती है, विचारों को आकार देती है, और राष्ट्र की आत्मा से हमें परिचित कराती है। आइए, हम सब मिलकर हिंदी के उपयोग, सम्मान और विकास को अपनी दैनिक जीवन की आदत बनाएं, ताकि यह भाषा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी गौरव का स्रोत बनी रहे।


(लेखक : 'स्पेशल कवरेज न्यूज़' में सहायक संपादक हैं)

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