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How to Empower Indian Muslims: मुसलमानों का समान नागरिक संहिता का विरोध न करके इन दो बातों की मांग करना चाहिए

Shiv Kumar Mishra
27 March 2022 9:43 AM GMT
How to Empower Indian Muslims: मुसलमानों का समान नागरिक संहिता का विरोध ने करके इन दो बातों की मांग करना चाहिए
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मुस्लिम महिला सरकार की ओर देखती हुई How to Empower Indian Muslims

Uniform Civil Code Uniform Social and Religious Code:

दीवानी मामलों में हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ ही आवाज़ उठाती है उसने कभी भी फौजदारी मामले में शरीयत को लागू करने की मांग नही उठायी। हम अगर दीवानी मामलों की बात करें तो उसमें शादी-तलाक़, विरासत, संपत्ति का बटवारा, गोद लेना वगैरह आता है। अगर समान नागरिकता संहिता लागू होती है तो मुस्लिम औरत और मर्द पर इसका क्या असर होगा आईए इसपर एक नज़र डालते है।

1- मुस्लिमवमर्द का बहु विवाह का अधिकार छिन जाएगा

2- तुरंत तीन तलाक़ का अधिकार तो छिन ही चुका है अब जो तीन महीने के अरसे में तलाक़ देने का अधिकार है वह भी छिन जाएगा।

3. महिला को अपने पति और पिता की संपत्ति में पुरुष के बराबर का अधिकार मिल जाएगा। पुरुष को जो विशेष सुविधा संपत्ति में हासिल थी वह नही रहेगी।

इससे पुरुषों की हैसियत जो बतौर पति, पुत्र बनी हुई थी वह घटेगी लेकिन इसकी भरपाई अपनी बेटी, बहन, माँ के अधिकार बढ़ने से हो जाएगी यानी जो सुविधा कम होगी वह परिवार की महिला सदस्यों को स्थानांतरित हो जाएगी यानी कोई नुकसान नही होगा। माँ बहन बेटी के सर से लटकी हुई तलाक़ और बहू विवाह की तलवार हट जाएगी और संपत्ति के अधिकार में वृद्धि हो जाएगी।

जो साम्प्रदायिक संगठन चार बीवियां और चालीस बच्चे करके आबादी बढ़ने का आरोप लगाते है वह मुद्दा उनसे छिन जाएगा। समान नागरिक संहिता बनने से नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज का अधिकार क़ायम रहेगा इससे मज़हबी ज़िंदगी पर कोई भी असर नही पड़ेगा।

इसलिये अक़्ल और समझदारी यही कहती है कि समान नागरिक संहिता की मुखालफ़त करने की बजाए इसका स्वागत करना चाहिए। वह लोग जो वर्ण व्य्वस्था जैसी सामाजिक गैर बराबरी के पक्षधर है अगर वह सबके लिये बराबरी लाने वाला कोई कदम उठा रहे है तो उससे बिल्कुल परेशान न हों। हाँ इससे एक फायदा यह होगा कि हिन्दू परिवारों को जो undivide family का फायदा आय कर में मिलता है वह मुसलमानो को भी मिलने लगेगा नही तो उनका भी यह फायदा खत्म हो जाएगा।

बल्कि मुसलमान इसके साथ एक मांग और जोड़ सकते है कि सरकार समान नागरिक संहिता ही नही समान सामाजिक और धार्मिक संहिता भी लागू करे।

मुशर्रफ़ अली

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