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- बिहार में कोई है मगध...
बिहार में कोई है मगध यूनिवर्सिटी के छात्रों और STET वालों की मदद करने वाला ?
कई दिनों से मगध यूनिवर्सिटी के छात्र मेसेज कर रहे हैं। इनकी परेशानी समझ रहा हूँ। चुनावी शोर में कोई इन्हें सुन नहीं रहा है। बिहार में किसी को पहल करनी चाहिए। किसी मंत्री को, किसी अधिकारी को, किसी सांसद को या किसी विपक्षी नेता को। इन्हें सज़ा देकर क्या फ़ायदा। इनके सामने से नौकरियाँ छूट रही हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था घोर अनैतिकता पर टिकी है। इसका लाभ यही नौजवान उठाते हैं और इसके शिकार भी यही होते हैं। फिर भी ये इतनी बड़ी ग़लती नहीं है कि इन्हें जीवन भर की सज़ा मिले। प्लीज हो सके तो इनकी मदद कीजिए। मैं इनके भेजे गए मेसेज को यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ।
सर, मैं
मगध यूनिवर्सिटी बोध गया ,बिहार
का पार्ट 3 का छात्र हु,
यूनिवर्सिटी ने non affiliated college के लगभग 86,000 छत्रों के पार्ट 3 का रिजल्ट रोक दिया। रिजल्ट के लिए हम छात्र पिछले 20 फरवरी के लगातार प्रोटेस्ट कर रहे , प्रसाशन द्वारा लाठियां भी खायीं , सत्ता बिपक्ष सभी जगह गुहार लगा कर थक गये लेकिन अभी तक न सरकार , यूनिवर्सिटी किसी के तरफ से कुछ भी बयान नही आया है अगर हमरा रिजल्ट प्रकाशित नही होता है तो हम NTPC or RRB ASM jaise form नही डाल पाएंगे। यहाँ तक हमारा चार साल यूनिवर्सिटी और सरकार बर्बाद करने पे तुली हुई है और मीडिया भी हमे सपोर्ट नही कर रहा है। कृपया आप हमारे मुददे को संगीन ढंग से उड़ाये हमारी मदद कीजिये।
धन्यवाद।
बिहार से एक और समूह का मेसेज आ रहा है। मैं इस समूह से कहूँगा कि मगध यूनिवर्सिटी के छात्रों का साथ दे और उनका साथ ले। उस समूह का मेसेज संक्षेप में पोस्ट कर रहा हूँ।
नमस्कार सर
🙏🙏
मैं stet भोजपुर जिला का निवासी हूं। मैने 2012 में stet माध्यमिक शिक्षा पात्रता परीक्षा पास की है। मैं B.ED पास हूं। जब मैने परीक्षा पास किया और सरकार ने हमें सर्टिफिकेट दी तब से मैं इस नौकरी के लिए 5 बार कई जिलों में आवेदन किया, लेकिन सरकार की गलत नीतियों के कारण ही मेरे जैसे कई शिक्षक अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिली, हम सभी नौकरी के इंतजार करते करते 7 साल गुजार दिए लेकिन अभी तक नौकरी नहीं हुई।
अब हमारे सर्टिफिकेट की वैधता मार्च महीने में ही समाप्त होने वाली है
हमने नौकरी के लिए तथा सर्टिफिकेट की वैधता बढ़ाने के लिए शिक्षा मंत्री के साथ साथ संबंधित कई मंत्रियों से मिला यहां तक की विधान सभा में इस मुद्दे को उठावया, सभी ने नौकरी तथा वैधता बढ़ाने का आश्वासन दिया परन्तु ,किसी ने कुछ भी नहीं किया! आज स्थिती यह है की मै अब Depression में जी रहा हूं,..
सरकार यह कह कर हमारी बहाली नहीं कर रही है की सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बहाली होगी, तब तक हमारी वैधता समाप्त हो जाएगी
तब हमें पूछने वाला कोई नहीं होगा। अतः आपसे प्रार्थना है की आप हमारी समस्या को सरकार तक पहुंचाने का कस्ट करें।
भोजपुर (आरा)
हर दिन कभी असम तो कभी बंगाल तो कभी पंजाब से मेसेज आते जा रहे हैं। झारखंड, यूपी,बिहारी, मध्य प्रदेश और राजस्थान, हरियाणा से तो आ ही रहे थे। इन नौजवानों की कोई नहीं सुन रहा। ये नौजवान ही आपस में एक दूसरे की सुन लें तो राजनीति दो मिनट में ठीक हो जाएगी। समस्या यह है कि युवा तब जागता है जब उसे निजी रूप से ठेस पहुँचती है। वह अपने आस-पास के सिस्टम की नाइंसाफियों को नोटिस नहीं लेता।
कई बार कहा कि दूसरे के प्रदर्शन में जाएँ, सपोर्ट करें और अपने प्रदर्शन में बुलाएँ। बग़ैर इसके कुछ नहीं होगा। मुझे फोन करते रहने और व्हाट्स एप मेसेज भेजने से क्या होगा। इतना भी आलस्य न हो कि आप मुझे मेसेज भेज कर इंडिया आॉस्ट्रेलिया का मैच देखने चले जाएँ। वैसे भी कई हजार फोन कॉल्स उठाना और मेसेज को पढ़ना संभव नहीं है। फोन उठाना बंद कर दिए हैं। पता नहीं होता कि कॉलर कब गाली देगा और कब व्यथा बताएगा। मेरे लिए अब यह नंबर बेकार हो चुका है।
मेरे पास न सचिवालय है और न मंत्रालय। न ही ये सब मैनेज करने के लिए संसाधन। अब साफ़ साफ़ ना भी बोलता हूँ पर ना बोलने में भी काफ़ी वक़्त चला जाता है। मुझे बैल की तरह खटना पड़ता है। यह आपको समझना होगा। मैं अकेला बंदा हूँ। घंटों काम करता हूँ उसमें अनगिनत मेसेज पढ़ने का खुद से काम ले लिया हूँ। चाहूँ तो बाकी एंकरों की तरह बंद कर सकता हूँ। मगर क्या फ़ायदा। आप मेसेज भेजने में और फोन करने में संयम का परिचय दें। शनिवार रविवार के मेरे वक़्त का ख़्याल रखें। बारह बजे रात को फोन न करें ।
अपनी लड़ाई का तरीक़ा बदलें। अपने लिए नहीं बल्कि एक ईमानदार और पारदर्शी सिस्टम के लिए लड़ें। मुझे पता है कि आपको ये सब सवाल समझ नहीं आएंगे मगर बिना इसे समझे लगातार मैसेज भेजने से कोई फ़ायदा नहीं। इन पाँच सालों में जो समझा है,उसे कहा है, लिखा है और अब आप ख़ुद ही साबित कर रहे है कि मेरी बातें ठीक थीं। आपकी हैसियत नागरिक के रूप में समाप्त हो चुकी है। ये हैसियत सिर्फ सिर्फ सिस्टम में बदलाव के संघर्षों से आ सकती है जो आपके बस की बात नहीं है। देर हो गई दोस्तों। आपसे सहानुभूति है। आपके लिए पीड़ा है। अगर सही बात न करूँ तो मुझे और पीड़ा होती है। प्लीज ढाई महीने तक कोई न्यूज़ चैनल न देखें। कनेक्शन ही न लें।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है
रवीश कुमार
रविश कुमार :पांच दिसम्बर 1974 को जन्में एक भारतीय टीवी एंकर,लेखक और पत्रकार है.जो भारतीय राजनीति और समाज से संबंधित विषयों को व्याप्ति किया है। उन्होंने एनडीटीवी इंडिया पर वरिष्ठ कार्यकारी संपादक है, हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी समाचार नेटवर्क और होस्ट्स के चैनल के प्रमुख कार्य दिवस सहित कार्यक्रमों की एक संख्या के प्राइम टाइम शो,हम लोग और रविश की रिपोर्ट को देखते है. २०१४ लोकसभा चुनाव के दौरान, उन्होंने राय और उप-शहरी और ग्रामीण जीवन के पहलुओं जो टेलीविजन-आधारित नेटवर्क खबर में ज्यादा ध्यान प्राप्त नहीं करते हैं पर प्रकाश डाला जमीन पर लोगों की जरूरतों के बारे में कई उत्तर भारतीय राज्यों में व्यापक क्षेत्र साक्षात्कार किया था।वह बिहार के पूर्व चंपारन जिले के मोतीहारी में हुआ। वह लोयोला हाई स्कूल, पटना, पर अध्ययन किया और पर बाद में उन्होंने अपने उच्च अध्ययन के लिए करने के लिए दिल्ली ले जाया गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की और भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।