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क्या यही है देश का सबसे बड़ा घोटाला: 11 लाख करोड़ रुपये राइट ऑफ
गिरीश मालवीय
बहुत बढ़िया सरकार !...... हर साल उद्योगपतियों का लाखो करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डालते जाओ और जनता को बेवकूफ बनाओ कि हमने तो बैंको का NPA कम कर दिया
कल वित्तमंत्री ने बताया कि पिछले तीन सालों में सरकारी बैंकों के NPA में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. हम सरकारी बैंकों के NPA को जो 31 मार्च, 2015 को 11.97 परसेंट था उसे अब 31 मार्च, 2021 को 9.11 परसेंट पर ले आए हैं
आइये इस आँकड़े की असलियत भी समझ लेते हैं दरअसल एनपीए में जो कमी दिखाई दे रही उसकी वजह यह है कि बैंको ने कर्ज वसूला नही है बल्कि बैंकों ने बड़े पैमाने पर कर्जे राइट ऑफ कर दिया है यानी अपनी बुक से हटा दिया है बट्टे खाते में डाल दिया है
कल ही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक दूसरे सवाल के जवाब में बताया कि सरकारी बैंकों ने पिछले वर्ष के 1 लाख 75 हजार 876 करोड़ रुपये के मुकाबले 2020-21 के दौरान 1 लाख 31,894 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले हैं.
अब आप जान लीजिए कि मोदी सरकार ने कुल कितनी रकम राइट ऑफ की है
UPA सरकार के 5 सालो में 2009-14 के बीच जहाँ कुल 1 लाख 45,226 करोड़ रुपये बट्टे खाते में गया। वही मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान 2015-2019 के दौरान 7.94 लाख करोड़ रुपए के बैंक लोन राइट ऑफ किए गए हैं
अब आप इसमे जैसा वित्तमंत्री बता रही है 2019-20 में 1 लाख 75 हजार 876 करोड़ रुपये ,2020 -21 में 1 लाख 31 हजार 894 करोड़ रुपये ओर जोड़ दीजिए तो टोटल रकम हो जाती है कुल 11 लाख करोड़, यानी सात साल में 11 लाख करोड़ रकम बैंको ने बटट्टे खाते में डाल दी है
इसके विपरीत मनमोहन सरकार के पूरे 10 सालो में मात्र 2 लाख 20 हजार करोड़ ही राइट ऑफ़ किया गया था
यानी UPA के 10 सालो की तुलना में मोदी सरकार ने सिर्फ सात सालों में लगभग पांच गुनी अधिक रकम राइट ऑफ की है....... ओर अब इस बात का श्रेय ले रहे हैं कि हमने NPA कम कर दिया !
है न कमाल !.......
मोदी सरकार नही आती तो वित्तीय जगत में ऐसी बेशर्मी की मिसाल हमे कभी देखने को नही मिल सकती थी ?
इसके लिए एक धन्यवाद तो बनता ही है
धन्यवाद मोदी जी !