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- क्या तुम्हारा फूफा...
मनीष कुमार
क्या आपका मामा हिन्दू राष्ट्र चाहता है?? क्या आपकी चिचा दिन रात हिन्दू मुस्लिम मैसेज भेजता है?? क्या आपका दोस्त रातों को नेहरू एडविना के किस्से भेजता है। क्या आपका बाप, दंगों को सबक सिखाना समझता है?? क्या आपका बेटा फेक न्यूज फारवर्ड करता है? क्या आपका दोस्त हर दूसरे आदमी को देश का गद्दार समझता है??
चैन से जीना है तो उसे चुप कराओ।
रिश्तेदारी का लिहाज भूलकर उसके इनबॉक्स में जाओ, बढ़िया से मम्मी दीदी करो। अगर आपके ससुराल पक्ष से है, तो आपका खुलकर हक है। आपका मायका पक्ष है तो फिर आपकी ही खेती है। शर्म छोड़ो, लिहाज छोड़ो, इज्जत छोड़ो। क्योकि उसने तो ही पहले छोड़ दी है।
उसकी बीवी, बेटे, बाप, मां, चाचा, ताऊ, अंकल को स्क्रीनशॉट भेजो। घर फोन करके बताओ कि उनका लाडला, उनका श्रद्धेय पागल हो गया है। उसकी बांस कर दो, इसके पहले की वो देश, समाज और परिवार की बांस कर दें।
वो इंजीनियर है, डाक्टर है, अफसर है, एनआरआई है, पैसेवाला है, सफल है.. झिझको मत। ये सब भरम है। चार पन्ने जूलॉजी बॉटनी और पाइथागोरस प्रमेय उसने अच्छे से रटा था। इससे ज्यादा समझा और जाना होता तो नफरती चिंटू न होता। आप कम सफल हो सकते हैं, मगर अक्लमंद ज्यादा हैं। इसलिए जरा अक्ल दीजिये। जल्दी दीजिये।
डाक विभाग जिंदा हैं, इससे पहले की सरकार उसे बेच दे.. खुला पोस्टकार्ड लेकर खूबसूरती से गंदा गन्दा लिखिये। सामने आने में दिक्कत तो गुमनाम ही लिखिये। पूरा परिवार पढ़े, ऐसा जतन कीजिये। बॉस है, तो ऑफिस में गुमनाम पोस्टर चिपकवा दीजिये।
चैन से सोना है, तो जाग जाइये। ये आपके देश, उंसके भविष्य और आपके अपने बच्चों के भविष्य का सवाल है। सन्नाटे को चीरती हुई सनसनी और दंगा आपके मोहल्ले तक आ जाये, इसके पहले कर डालिये।