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ऐसा लग रहा है कि देश में सिर्फ मजदूर ही रहते हैं, बाकी क्या काजू किसमीस बघार रहे हैं ?

Shiv Kumar Mishra
11 Jun 2020 3:16 AM GMT
ऐसा लग रहा है कि देश में सिर्फ मजदूर ही रहते हैं, बाकी क्या काजू किसमीस बघार रहे हैं ?
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जिसको मैसेज सही समझ में आये तो पूरे देश में पहुचाइये मिडिल क्लास मध्यमवर्ग को पहुंचाए..

राजीव बबेले

अब मजदूरों का रोना- धोना बंद कर दीजिये ,मजदूर घर पहुंच गया तो .उसके परिवार के पास मनरेगा का जाब कार्ड , राशन कार्ड होगा. सरकार मुफ्त में चावल व आटा दे रही है जनधन खाते होंगे तो मुफ्त में 2000 रु. भी मिल गए होंगे,और आगे भी मिलते रहेंगे.

अब जरा उसके बारे में सोचिये. जिसने लाखों रुपये का कर्ज लेकर प्राइवेट कालेज से इंजीनियरिंग किया था . और अभी कम्पनी में 5 से 8 हजार की नौकरी पाया था ( मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी से भी कम ), लेकिन मजबूरीवश अप टू डेट की तरह रहता था.

जिसने अभी अभी नयी नयी वकालत शुरू की थी . दो -चार साल तक वैसे भी कोई केस नहीं मिलता. दो -चार साल के बाद . चार पाच हजार रुपये महीना मिलना शुरू होता है , लेकिन मजबूरीवश वो भी अपनी गरीबी का प्रदर्शन नहीं कर पाता,और चार छ: साल के बाद.. जब थोड़ा कमाई बढ़ती है, दस पंद्रह हजार होती हैं तो भी..लोन वोन लेकर घर खरीदने की मजबूरी आ जाती है बड़ा आदमी दिखने की मजबूरी जो होती है।अब घर की किस्त भी तो भरना है ?

उसके बारे में भी सोचिये..जो सेल्स मैन , एरिया मैनेजर का तमगा लिये घूमता था। बंदे को भले ही आठ हज़ार रुपए महीना मिले, लेकिन कभी अपनी गरीबी का प्रदर्शन नहीं किया. उनके बारे में भी सोचिये जो बीमा ऐजेंट , सेल्स एजेंट बना मुस्कुराते हुए घूमते थे। आप कार की एजेंसी पहुंचे नहीं कि कार के लोन दिलाने से ले कर कार की डिलीवरी दिलाने तक के लिये मुस्कुराते हुए , साफ सुथरे कपड़े में , आपके सामने हाजिर.

बदले में कोई कुछ हजार रुपये. लेकिन अपनी गरीबी का रोना नहीं रोता है.आत्म सम्मान के साथ रहता है. मैंने संघर्ष करते वकील , इंजीनियर , पत्रकार , ऐजेंट , सेल्समेन , छोटे- मंझोले दुकान वाले, क्लर्क , बाबू , स्कूली मास्टसाब, धोबी, सलून वाले, आदि देखे हैं ..अंदर भले ही चड़ढी- बनियान फटी हो,मगर अपनी गरीबी का प्रदर्शन नहीं करते हैं.

और इनके पास न तो मुफ्त में चावल पाने वाला राशन कार्ड है , न ही जनधन का खाता , यहाँ तक कि गैस की सब्सिडी भी छोड़ चुके हैं ! ऊपर से मोटर साइकिल की किस्त , या घर की किस्त ब्याज सहित देना है.

बेटी- बेटा की एक माह की फीस बिना स्कूल भेजे ही इतनी देना है, जितने में दो लोगों का परिवार आराम से एक महीने खा सकता है , परंतु गरीबी का प्रदर्शन न करने की उसकी आदत ने उसे सरकारी स्कूल से लेकर सरकारी अस्पताल तक से दूर कर दिया है.

ऐसे ही टाईपिस्ट , स्टेनो , रिसेप्सनिस्ट ,ऑफिस बॉय जैसे लोगो का वर्ग है। अब ऐसा वर्ग क्या करे ?वो तो..फेसबुक पर बैठ कर अपना दर्द भी नहीं लिख सकता है गरीब आदमी नहीं दिखने की मजबूरी जो है.

ऐसा ही एक वर्ग मंदिर देवालयों में और गृहस्थों के घर जाकर पूजा पाठ कर अपनी आजीविका चलाने वाले ब्राह्मणों का है , मंदिरों में लाकडाऊन के चलते भक्तों की उपस्थिति भी नगण्य है , आरती में चढ़ावा ही नहीं मंदिर ट्रस्ट भी मानदेय नहीं के बराबर ही देते हैं. और दुनिया को वैभव का आशीर्वाद देने वाले के बच्चे सामान्य जीवन को तरसते हैं उनका दर्द किसी की दृष्टि में नहीं.

तो मजदूर की त्रासदी का विषय मुकाम पा गया है..मजदूरो की पीड़ा का नाम देकर ही अपनी ही पीड़ा व्यक्त कर रहा है ?.क्या पता है हकीकत आपको ? IAS , PSC का सपना लेकर रात- रात भर जाग कर पढ़ने वाला छात्र तो बहुत पहले ही दिल्ली व इंदौर से पैदल निकल लिया था..अपनी पहचान छिपाते हुये ..मजदूरों के वेश में ?

क्यूं वो अपनी गरीबी व मजबूरी की दुकान नहीं सजाता !

काश! कि देश का मध्यम वर्ग ऐसा कर पाता?.

असहमति का स्वागत है.

सरकार ने अपनी , कमाई के सब साधन खोल दिया है ,

1. दारू चालू ,

2. गुटका चालू ,

3. पेट्रोल पंप चालू (पूरी रेट पर)

4. RBI and bank ब्याज चालू ,

5.ऑनलाइन मार्केट चालू ,

6. डीडी नेशनल चालू ,

7. सभी विभाग के टैक्स चालू (भूमि कर , लाइसेंस फीस)

8. लाईट बिल चालू ...🙁

#गरीब के लिए सब फ्री जो कभी टैक्स नहीं देता

1. कारोना टेस्ट फ्री

2. राशन फ्री

3. दाल फ्री

4. मनरेगा चालू (नई दर के साथ)

5. गैस फ्री

6. बिना काम के मजदूरी चालू....🙁🍁

#मध्यम वर्ग सभी जगह दबता चल क्यों की तू पैदा ही ऐसे देश में हुआ है

1. सरकार को बिल का भुगतान कर

2. बच्चो की स्कूल फीस भर

3. सभी लाइसेंस फीस भर

4. दुकान, उद्योग पर कर्मचारी को बिना काम तंखा दे.

5. बिना दुकान खोले, किराया, लाईट बिल दे.

6. बैंक को पूरा ब्याज दे नहीं दिया तो अतिरिक्त भार झेल.

7. सरकार को दान दे.

8. आसपास के जरूरत मन्द को भोजन समान दे.

9. तेरी बचत पर ब्याज कम कर दिया है.

10. धंधा करना है तो सरकार के नियम की पालन कर...🙁


चालीस दिन सरकार के पास टैक्स नही आया तो सरकार वेतन नही दे पा रही और मिडिल क्लास मध्यमवर्ग के पास पेड़ लगा हुआ है जो टैक्स भी दे,किराया भी दे,सैलरी भी दे, स्कूल की फीस भी दे और अपने घर परिवार की भी पाले..

जिसको मैसेज सही समझ में आये तो पूरे देश में पहुचाइये मिडिल क्लास मध्यमवर्ग को पहुंचाए..

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