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जो बिडेन ने अमेरिका की साख को मिट्टी में मिला दिया..

Desk Editor
7 Sep 2021 9:48 AM GMT
जो बिडेन ने अमेरिका की साख को मिट्टी में मिला दिया..
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बाइडेन इतना बड़ा कायर राष्ट्रपति साबित हुआ है कि जब तालिबान ने 31 अगस्त की डेडलाइन दी थी तो डर के मारे वो 30 अगस्त को ही अपने तमाम नागरिकों को छोडकर भाग खड़ा हुआ ।

नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था कि अगर किसी जंग में 100 शेरों का लीडर कोई कुत्ता हो तो 100 शेर भी कुत्ते की मौत मारे जाएंगे लेकिन अगर 100 कुत्तों का लीडर किसी शेर को बना दिया जाए तो कुत्ते भी शेर की तरह लड़ेंगे और जंग जीत जाएंगे । अब अमेरिकियों ने अपना लीडर ट्रंप जैसे शेर को नहीं जो बाइडेन जैसे #$@ को चुना है और यही वजह है कि अफगानिस्तान में अमेरिका की फौज और अमेरिका के लोग अब कुत्ते की मौत मारे जा रहे हैं..

ये सुनकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन ये बात एकदम सच है । काबुल एयरपोर्ट पर जो धमाका हुआ और 13 अमेरिकन मरीन कमांडो मारे गए । हम उसकी बात नहीं कर रहे हैं । दरअसल अफगानिस्तान के अंदर आज भी अमेरिका के नागरिक फंसे हुए हैं और वो निकल नहीं पाए हैं ।

अमेरिका के फॉक्स न्यूज चैनल पर एक अमेरिकन ने फोन करके बताया कि उसके परिवार से जुड़े 20 से ज्यादा लोग और रिश्तेदार इस वक्त भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं । आज से दो हफ्ते पहले ही अमेरिका की फोर्स ने ये कह दिया था कि हम सिर्फ उन्हीं नागरिकों को निकाल पाएंगे जिनके पासपोर्ट रेडी हैं और जो काबुल एयरपोर्ट तक आ सकते हैं ।

दरअसल आखिर के दिनों में अमेरिका की फोर्स का कब्जा सिर्फ और सिर्फ काबुल एयरपोर्ट पर ही था । इसीलिए अमेरिकी फोर्स की तरफ से ये कह दिया गया था कि हम सिर्फ उन्हीं लोगों को निकाल सकते हैं जो किसी तरह अपने क्षमता के बल पर काबुल एयरपोर्ट तक आ सकते हैं ।

अब काबुल एयरपोर्ट की पूरी निगरानी खलील हक्कानी के पास है जो कि एक खूंखार आतंकवादी है । अब हुआ ये कि जब भी कोई अमेरिकी कार में बैठकर काबुल एयरपोर्ट की तरफ निकला तो हक्कानी के आतंकियों ने उनकी कारों को रोक दिया । जब इन अमेरिकन लोगों ने अपना पासपोर्ट दिखाया और दोहा एग्रीमेंट का हवाला दिया तो तालिबानियों ने उनको बेल्टों से पीटा । ये खबर भी फॉक्स न्यूज पर दिखाई गई थी ।

यानी काबुल एयरपोर्ट तक सिर्फ और सिर्फ वही अमेरिकन पहुंच पाए जो तालिबान को मुंहमांगी रिश्वत देने में कामयाब रहे ।

जब इस तरह की खबरें सामने आने लगीं तो जो बाइडेन को ये कहना पड़ा कि तालिबान से कूटनीतिक बातचीत जारी है और कोई ना कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा ।

कई अमेरिकी महिलाओं ने भी रोते हुए अपने ऑडियो टेप अफगानिस्तान से जारी किए हैं । यानी इन अमेरिकी महिलाओं के साथ तालिबान क्या कर रहा है ? ये अब तक किसी को नहीं पता है ।

बाइडेन इतना बड़ा कायर राष्ट्रपति साबित हुआ है कि जब तालिबान ने 31 अगस्त की डेडलाइन दी थी तो डर के मारे वो 30 अगस्त को ही अपने तमाम नागरिकों को छोडकर भाग खड़ा हुआ ।

अमेरिका अपने बहुत सारे डॉग ऑफिसर्स यानी खोजी कुत्तों को भी अफगानिस्तान के मिशन पर ले गया था । पुलिस और सेना में इन खोजी कुत्तों की इतनी अहमियत होती है कि उनको अधिकारी की रैंक दी जाती है और जिस तरह सामान्य अधिकारी की सेवा में नौकर चाकर होते हैं वैसे ही इन डॉग ऑफिसर्स की सेवा में भी नौकर चाकर होते हैं । इनका अंतिम संस्कार भी इंसानों की तरह पूरे विधि विधान से होता है । लेकिन अमेरिका अपने डॉग ऑफिसर्स को भी काबुल एयरपोर्ट पर भूखा... पिंजरे में कैद छोड़ गया ।

और क्या क्या लिखें ? बाइडेन की बहुत जबरदस्त फजीहत हो रही है । जब 13 मरीन के शव अमेरिका पहुंचे तो बाइडेन श्रद्धांजली देने पहुंचे लेकिन यहां पर उन्होंने तीन बार अपनी घड़ी को देखा । अब अमेरिका में ये कहा जा रहा है कि अगर समय नहीं था तो नहीं आते मरीन कमांडो का अपमान क्यों किया ?

आपको याद होगा एक चोर उचक्का अश्वेत नागरिक अमेरिका में मार दिया गया था जिसके बाद अमेरिका में कितना बवाल हुआ था लेकिन अब ये सारे बवाल करने वाले जो दरअसल बाइडेन के सपोर्टर थे... गायब हो चुके हैं । तब ये लोग कह रहे थे कि ट्रंप ने अमेरिका का सम्मान झुका दिया लेकिन अब तो पूरा अमेरिका ही तालिबान के सामने झुक गया है... नील डाउन हो गया है लेकिन ये सारे के सारे लोग पता नहीं कहां हैं ?

ये बात सही है कि अफगानिस्तान से अमेरिका का जाना ट्रंप के राष्ट्रपति रहते ही तय हो गया था लेकिन ट्रंप अगर राष्ट्रपति होते तो अमेरिका की इतनी बेइज्जती ना हो रही होती ।

ट्रंप एक राष्ट्रवादी व्यक्ति थे... राष्ट्रवादी नेता को लेकर हमेशा दुश्मनों के अंदर एक भय होता है कि अगर उसका राष्ट्रप्रेम जाग गया तो वो कुछ भी कर सकता है किसी भी हद तक जा सकता है । यही वजह है कि ट्रंप का भय अमेरिका के दुश्मनों के अंदर मौजूद था । लेकिन बाइडेन को लेकर किसी के अंदर कोई भय नहीं है इसीलिए तालिबान और आईएस ने मिलकर अमेरिका का पूरा धुआं निकाल दिया... जुलूस निकाल दिया

बाइडेन तो अमेरिका का केजरीवाल साबित हुआ है... बाइडेन ने भी पहले यही कहा था कि साढे तीन लाख की अफगान फोर्स तालिबान का मुकाबला करेगी लेकिन हुआ कुछ नहीं... ठीक वैसे ही जैसे केजरीवाल बोलता खूब है करता कुछ नहीं ।

आखिर में भारत के लोगों से सिर्फ इतना ही कहना है कि आप लोगों ने मोदी और योगी जैसे शेर को चुना है अब किसी सेकुलर पिल्ले को चुनकर देश की बेइज्जती मत करवाना । वरना वही हाल होगा जो बाइडेन की लीडरशिप में अमेरिका का हुआ है ।

-- अज्ञात

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