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- खरमास - गधे और निषेध
अभी 16 दिसम्बर से एक।महीने शुभ कार्य थम जाएंगे क्योंकि इस दिन से खरमास शुरू होगा। खर यानी गधा। आश्चर्य लगता है न कि यह गधा कहाँ से आ गया? यदि ज्योतिष गणना से देखें तो इस काल में सूर्य वृश्चिक राशि को छोड़कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य का धनु राशि में प्रवेश धनुर्मास कहलाता है. सामान्य बोलचाल में हम इसे खरमास या मलमास के नाम से जानते हैं.
धर्नुमास 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक एक माह रहेगा. इस एक माह में विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा. इस दौरान विवाह, सगाई, यज्ञ, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं होते। नया घर या वाहन आदि खरीदना भी वर्जित माना जाता हैं.
मार्कंडेय पुराण में वर्णन मिलता है कि जब सूर्य देव अपने वाहन यानी सात घोड़ों के सहारे ही सृष्टि की परिक्रमा कर रहे थे। सूर्य के अनवरत यात्रा के कारण सूर्य के सातों घोड़े हेमंत ऋतु में थक कर एक तालाब के किनारे विश्राम करने के लिए रुक जाते हैं और तालाब का पानी पीना चाहते हैं। यह देख सूर्य देव को याद आता है कि वे रुक नहीं सकते, भले ही घोड़े थक कर रुक जाएं। लगातार चलते रहने के नियम की बाध्यता के कारण सूर्य देव को तालाब के पास खड़े दो गधों को अपने रथों में जोड़ लिया और अपनी यात्रा जारी रखी। इस दौरान घोड़े पानी पीने के लिए रुक जाते हैं। घोड़े की तुलना में गधों की चाल काफी धीरे थी। ऐसे में अपनी मंद गति से यात्रा करते रहे।
मान्यता है कि यही कारण है कि इस समय सूर्य का तेज बहुत कमजोर हो जाता है और फिर मकर संक्रांति के दिन जब दोबारा सूर्य देव अपने घोड़ों को रथ में जोतते हैं, तब अपनी रफ्तार दोबारा तेज कर लेते हैं। इसके बाद से ही धरती पर सूर्य का प्रकाश तेजोमय हो जाता है।
सामाजिक कारण
हमारे पुरखे बहुत व्यहवारिक और दूरदृष्टा थे। वे जानते थे कि पूस के महीने में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। पुराने समय में बड़े मकान, बारात घर या टेंट हाउस या फिर इस तरह की अन्य व्यवस्थाएं नहीं थीं। ऐसे में यदि घर पर कोई मांगलिक कार्य आयोजित किया जाए तो मेहमानों को असुविधा होना स्वाभाविक है।
वैसे खर मास साल में दो बार होता है। इसी तरह चैत्र माह में भी खेती का काम अधिक रहता है। इसलिए उस खरमास में भी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं, ताकि किसान खेती का कार्य सुविधाजनक तरीके से कर सकें। बृहस्पति और सूर्य दोनों ऐसे ग्रह हैं जिनमें व्यापक समानता हैं।
वैज्ञानिक कारण
सूर्य की तरह यह भी हाइड्रोजन और हीलियम की उपस्थिति से बना हुआ है. सूर्य की तरह इसका केंद्र भी द्रव्य से भरा है, जिसमें अधिकतर हाइड्रोजन ही है जबकि दूसरे ग्रहों का केंद्र ठोस है. इसका भार सौर मंडल के सभी ग्रहों के सम्मिलित भार से भी अधिक है. यदि यह थोड़ा और बड़ा होता तो दूसरा सूर्य बन गया होता.
पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर सूर्य तथा 64 करोड़ किलोमीटर दूर बृहस्पति वर्ष में एक बार ऐसे जमाव में आते हैं कि सौर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के माध्यम से बृहस्पति के कण काफी मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में पहुँचते हैं, जो एक-दूसरे की राशि में आकर अपनी किरणों को आंदोलित करते हैं.
इस कारण धनु व मीन राशि के सूर्य को खरमास/मलमास की संज्ञा देकर व सिंह राशि के बृहस्पति में सिंहस्थ दोष दर्शाकर भारतीय भूमंडल के विशेष क्षेत्र गंगा और गोदावरी के मध्य (धरती के कंठ प्रदेश से हृदय व नाभि को छूते हुए) गुह्य तक उत्तर भारत के उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, राज्यों में मंगल कर्म व यज्ञ करने का निषेध किया गया है, जबकि पूर्वी व दक्षिण प्रदेशों में इस तरह का दोष नहीं माना गया है.