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साहित्य विमर्श: वाजिदा तबस्सुम की कहानियों में स्त्री-विमर्श की प्रधानता

Desk Editor
1 Nov 2021 12:59 PM GMT
साहित्य विमर्श: वाजिदा तबस्सुम की कहानियों में स्त्री-विमर्श की प्रधानता
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शारिक रब्बानी, वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार

नानपारा, बहराईच (उत्तर प्रदेश)

वाजिदा तबस्सुम उर्दू साहित्य की प्रगतिशील व खुले विचारों वाली मुस्लिम लेखिका हैैं।वाजिदा तबस्सुम का जन्म 16 मार्च 1935 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले मेें हुआ था।और इनकी शिक्षा व लालन-पालन हैदराबाद मेें हुआ था । वाजिदा तबस्सुम की कहानियों मेें स्त्री विमर्श की प्रधानता है। और इस्मत चुगताई की तरह इनकी कहानियों में महिलाओं से जुड़े मुद्दों का चित्रण मिलता है।

वाजिदा तबस्सुम ने अपनी कहानियों में महिलाओं के शोषण ,मुस्लिम परिवेश में महिलाओं की स्थिति और चारदीवारी में मुस्लिम महिलाओं के नफसियाती मसलो का स्पष्ट जिक्र किया है । वाजिदा तबस्सुम पर अदब और तमीज की सीमाएं लांघने का इल्ज़ाम लगाया गया । और उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा परन्तु वह समाज से जुड़़ी सच्चाई बयान करने में कभी पीछे नहीं रहीं।और वाजिदा तबस्सुम ने मुस्लिम समाज मेें प्रचलित कुरीतियों और रूूढ़िवादी प्रथाओं विशेष कर महिलाओं के मामले मेें खुलकर लिखा जो उनहे समाज में दिखाई दी और जिनका महिला होने के नाते उन्होंने खुद अनुभव किया।

उतरन, वाजिदा तबस्सुम की सबसे प्रसिद्ध कहानी है जिसमें उन्होंने नवाब के घर में पली बढ़ी एक खादिमा की बेटी की दासताँ बयान की है। इस कहानी का कई अन्य भाषाओ में अनुवाद हुआ है तथा मीरा नायर की चर्चित फिल्म कामसूत्र की मूल प्रेरणा यही कहानी है।

वाजिदा तबस्सुम ने शेर नज़्म और उद्धरण भी लिखे हैं। परन्तु इनको जो प्रसिद्धि मिली है वह इनकी कहानियों के कारण मिली । वाजिदा तबस्सुम की अन्य प्रमुख कहानियां मँजिल, शोले, जरा और ऊपर, जन्नती जोड़ा, धनक के रंग, जकात ,नथ उतराई आदि हैं। जिसमें उन्होंने महिलाओं के किरदार को काफी मजबूती और बेबाकी के साथ प्रस्तुत किया है। वाजिदा तबस्सुम की बहुत सी कामुकता से भरी कहानियां शमा पत्रिका मे प्रकाशित होती रही है। वाजिदा तबस्सुम की मुख्य पुस्तकें तहखाना, कैजे शमीहून, फूल खिलने दो, ज़ख्म-ए-दिल और महक आदि हैं।

वाजिदा तबस्सुम की कई कहानियों पर धारावाहिक भी बने हैं और उनकी कहानियों को बहुत पसंद किया गया । वाजिदा तबस्सुम का निधन 7 दिसंबर 2011 को मुम्बई में हुआ । वाजिदा तबस्सुम यद्मपि अब दुनिया मेें नहीं है परन्तु इनकी कहानियां और अन्य रचनाओं और अपनी बेबाक शैली के लिए साहित्य और समाज मे सदैव याद की जाती रहेंगी ।

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