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साहित्य: नवल अल सदावी का स्त्री विमर्श के क्षेत्र में योगदान

Desk Editor
31 Oct 2021 11:17 AM GMT
साहित्य: नवल अल सदावी का स्त्री विमर्श के क्षेत्र में योगदान
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नवल अल सदावी इन्दिरा गाँधी के समय में भारत भी आई थीं और उन्होंने भारत के अनेक एतिहासिक स्थानों का भम्रण भी किया था।

शारिक रब्बानी, वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार

नानपारा, बहराईच (उत्तर प्रदेश)

नवल अल सदावी अरब जगत की एक बेबाक और खुले विचारों वाली प्रसिद्ध मुस्लिम लेखिका हैं। इनका जन्म 27 अक्तूबर 1931 को मिस्र में हुआ था। यह एक फिजीशियन और मनोचिकित्सक भी थीं और हयूमन राइट्स संस्था से भी जुड़ी थी । नवल अल सदावी ने अरब मुस्लिम देशों मेें महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी के साथ कलम चलाई।

उन्होंने मुख्य रूप से कुछ मुस्लिम देशों जिसमें मिस्र भी शामिल है । प्रचलित महिला खतना प्रथा के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई चूंकि नवल अल सदावी एक चिकित्सक के रूप में भी महिलाओं के खतने से जुड़ी समस्याओं को भली भांति जानती थीं और उनका खुद खतना होने और एक महिला के रूप मेें इस पीड़ा को समझती थीं इसलिए इन्होंने महिला जननांग विकृत करने का विरोध किया ।

नवल अल सदावी की पुस्तकें विशेष रूप से अरब महिलाओं, उनकी कामुक्ता और कानून पर केंद्रित हैं जिसके कारण उनके लेखन को समाज के लिये विवादास्पद माना गया और नवल अल सदावी को मिस्र से निर्वासित कर दिया गया। जिसके कारण उन्हें बेरूत लेबनान में रहकर पुस्तकों का प्रकाशन कराना पड़ा। नवल अल सदावी इन्दिरा गाँधी के समय में भारत भी आई थीं और उन्होंने भारत के अनेक एतिहासिक स्थानों का भम्रण भी किया था।

नवल अल सदावी की सबसे चर्चित पुस्तक "वीमेन एण्ड सेक्स" है । इसके अलावा नवल अल सदावी के उपन्यास, लघु कथाएं, नाटक, संस्मरण और अन्य पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं । जिनमेें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं "वूमेन एट पोइंट जीरो" , "बाराह महिलाओं में एक सेल", "माई लाइफ पार्ट", "मेन एण्ड सेक्स", "आई लर्न लव" , "तेल के राज्य में प्यार", "वूमेन इज दा ओरिजिन" आदि है। नवल अल सदावी की पुस्तकों का मूल अरबी भाषा से 30 से अधिक भाषाओ मेें अनुवाद भी हुआ है ।

एक डॉक्टर और मानव अधिकार कार्यकर्ता के रूप में नवल अल सदावी पुरूष खतना की भी विरोधी थीं ।उनका मानना था कि, नर और मादा दोनों ही बच्चे जननांग विकृति से सुरक्षा के पात्र हैं । उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि, महिलाओं के उत्पीड़न की जड़ वैश्वक उत्तर आधुनिक पूँजी वादी व्यवस्था में निहित है जो धार्मिक कट्टरवाद द्बारा सर्मथित है।नवल अल सदावी को उनकी साहित्यिक व सामाजिक सेवाओं के लिये मानद डाक्ट्रेट उपाधि के अलावा अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं इनकी मृत्यु 21 मार्च 2021 को काहिरा मिस्र मे हुई ।

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