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साहित्य: शारिक रब्बानी की मनकबती व सूफियाना शायरी

Desk Editor
27 Oct 2021 1:35 PM GMT
साहित्य: शारिक रब्बानी की मनकबती व सूफियाना शायरी
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मनकबती शायरी उस शायरी को कहते है जिसमें सूफी सन्तो की शान मेें लिखा जाता है और इस कलाम मेें सूफीयाना रंग होता है

उर्दू साहित्य में मनकबती व सूफीयाना शायरी का भी अहम मुकाम है। भारत व नेपाल दोनों ही देशों मे मशहूर वरिष्ठ उर्दू शायर व साहित्यकार शारिक रब्बानी जिनका नानपारा बहराईच के अलावा भोपाल से भी करीबी ताल्लुक है।

उन्होंने उर्दू अदब की अन्य विधाओं के अलावा मनकबती व सूफीयाना शायरी भी की है। सूफी सन्त हाजी वारिस अली शाह जिनको हिन्दू-मुस्लिम तथा अन्य धर्म के लोग भी मानते हैं। उनके वारसिया सिलसिले से वाबस्तगी और तमाम सूफी सन्तो से उनकी अकीदत के कारण उन्होंने बहुत सी मनकबते भी लिखी है जो उनके शेरी मजमूआ, फिक्रो फन और अफकार-ए-शारिक में भी मौजूद है । मनकबती शायरी को अन्य धर्मों के शायरो और कवियों ने भी अपनी रचनाओं में जगह दी है।

मनकबती शायरी उस शायरी को कहते है जिसमें सूफी सन्तो की शान मेें लिखा जाता है और इस कलाम मेें सूफीयाना रंग होता है। पेश है शारिक रब्बानी की मनकबती शायरी के कुछ उदाहरण व उनके द्धारा लिखी गई मनकबतो की कुछ पंकतियां --


1. वारिस तेरे रौजे का मंज़र ही निराला है,

एक नूर बरसता है और चाँद का हाला है।

तसलीमो रजा शेवा इस दर के गुलामो का,

इस दर का हर एक मँगता शाहो से भी आला है।।

2. खुदारा निगाहे अता मेरे वारिस,

मेरी सिमत कीजे सदा मेरे वारिस।

ये शारिक न मोहताज ए दुनिया कभी हो,

खुदारा ये कीजे दुआ मेरे वारिस।।


3. अल्लाह के पयारे हैं हजरत हसन हुसैन,

सरकार के दुलारे हैं हजरत हसन हुसैन।

देखो तो जरा गौर से दरिया ए नूर को,

बहते हुए दो धारे है. हजरत हसन हुसैन ।।


4. अता ए शहे दो सरा मेरे खवाजा

है आले रसूले खुदा मेरे खवाजा ।

बहुत खूब मशहूर है ये करामत

जो कासे में सागर भरा मेरे खवाजा ।।


5. मुहब्बत के पैकर हैं हाफिज पयारी,

वफा के समन्दर हैं हाफिज पयारी ।

चिरागे तरीकत को पैहम जलाया विलायत के महवर हैं

हाफिज पयारी ।।

6. जिनके भी दिल में होती है उलफत गौसे पाक की,

वो अपना लेता है हर पल सीरत गौसे पाक की ।

रहमत की बरसात यकीनन होती है हर आन वहांं

कितनी पुर अजमत है लोगों तुरबत गौसे पाक की ।।

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