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मोदी और शाह के साथ सेल्फी तो ली लेकिन किसी ने पूंछा विनोद वर्मा क्यों गिरफ्तार हुए?

मोदी और शाह के साथ सेल्फी तो ली लेकिन किसी ने पूंछा विनोद वर्मा क्यों गिरफ्तार हुए?
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वरिष्‍ठ पत्रकार विनोद वर्मा को निजी तौर से नहीं जानता । यही सुना है कि वह एडिटर्स गिल्‍ड आफ इंडिया के सदस्‍य हैं और आजकल कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं।
उनकी गिरफ्तारी के बाद तीन दिन से कई बडे पत्रकारों - संपादकों की तीखी प्रतिक्रियायें पढ रहा हूं। दिल्‍ली से से लेकर लखनऊ तक के नामी गिरामी पत्रकार फेस बुक वगैरह पर उबले पडे हैं। कुछ गिरफ्तारी के विरोध के नाम पर औपचारिकता अदा करते हुए , कोई इसे अघेाषित आपात काल, लोक तंत्र की हत्‍या बताते हुए , तो कोई प्रेस की आजादी पर हमला और पत्रकारिता का गला घोटने की कार्रवाई वगैरह बताते हुए।
खबरों से साफ है कि गिरफ्तारी मोदी या भाजपा के खिलाफ फेस बुक पर उनके लिखने को लेकर नहीं हुई है। ऐसे में समझ नहीं पा रहा कि यह लोक तंत्र पर हमला और प्रेस की आजादी का गला घोटना जैसी कार्रवाई कैसे हुई ?
छत्‍तीस गढ पुलिस ने उन्‍हें पकडा सेक्‍स सीडी रखने के आरोप में । उनके पेन डा्इव के साथ ही कई सौ सेक्‍स सीडी उनके पास बतायी गयीं। जो छत्‍तीस गढ के पीडब्‍ल्‍यू मंत्री की हैं।
सवाल उठता है कि अखबारों में काम करने या कर चुके किसी ब्‍यक्ति को क्‍या पत्रकारीय स्‍वंत्रता के नाम इतनी स्‍वच्‍छंदता भी है कि वह ऐसी सीडियों की कापी करवाये और अपने निहित स्‍वार्थों के लिए उनका उपयोग करे ? क्‍या यह अनैतिक और आपराधिक कृत्‍य नहीं है ? है तो उसे विशेष छूट क्‍यों दी जानी चाहिए ?
कोई पत्रकार तो तभी है और तभी तक माना जा सकता है जब तक वह अपने आचार- विचार और वृत्ति से पत्रकारीय -धर्म का का निर्वहन करता है । अपने पत्रकारीय सम्‍पर्कों के बल पर किसी दल या आद्यौगिक घराने के लिए काम करने पर वह पत्रकार कैसे रह जाएगा ? फिर सब धान 22 पसेरी है।
मजे की बात है कल प्रधान मंत्री मोदी और अमित शाह से मिलने पर बडे बडे पत्रकारों में उनके साथ सेल्‍फी लेने की तो होड लगी रही , लेकिन किसी ने वर्मा के मुद्दे पर विरोध नहीं जताया।
शम्भूदयाल वाजपेयी वरिष्ठ पत्रकार

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