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स्त्री-विमर्श के क्षेत्र में मुस्लिम लेखिकाएं : शारिक रब्बानी

Desk Editor
25 Sep 2021 7:09 AM GMT
स्त्री-विमर्श के क्षेत्र में मुस्लिम लेखिकाएं : शारिक रब्बानी
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मुस्लिम समाज की महिलाएं जिनसे जुुड़े विभिन्न मुुद्दों पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं

स्त्री विमर्श उस साहित्यिक आन्दोलन को कहा जाता है जिसमें महिलाओं सम्बन्धी मुद्दों को केन्द्र मे रखकर सगठित रूप मे महिला साहित्य की रचना की गई हो। इसका मुख्य उद्देश्य महिला सवतत्रता की हिमायत करना है।

मुस्लिम समाज की महिलाएं जिनसे जुुड़े विभिन्न मुुद्दों पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं? इस समाज की अनेक महिलाओं ने भी स्तत्र विमर्श के क्षेत्र में अपना अमूल्य साहित्यिक योगदान दिया है।और साहित्य के जरिए महिलाओं सम्बन्धी विभिन्न मुद्दों की ओर समाज का ध्यान आकर्षित किया है।

प्रस्तुत है कुछ मुस्लिम महिला लेखिकाओं और उनकी स्त्री विमर्श सम्बन्धी रचनाओं का सूक्ष्म विवरण....

इस्मत चुगताईं जिनका जन्म भारत में हुआ और जो उर्दू साहित्य की मशहूर लेखिका हैं। उन्होंने लिहाफ जैसी कहानी लिखकर कट्टरपंथियो की मुखालफत का सामना किया।जबकि बाद में इसी लिहाफ को लोगों ने पसंद करना प्रारम्भ कर दिया।

रशीदजहां, जो जनवादी भारतीय लेखिका रही हैं सन 1932 मे आठ अदीबों के अफसानों और नाटकों के संगह अँगारे में प्रकाशिरत रशीदजहां के नाटक .पर्दे के पीछे तथा एक कहानी दिल्ली की सैर ने हलचल मचा दी। चूंकि रशीदजहाँ ने धार्मिक कठमुल्लावादी मनोवृत्तियों पर चोट करते हुए कहानियों तथा नाटकों की रचना की थी। अंगारे संकलन को जब्त कर लिया गया था।

नवल अल सदावी जिनका जन्म मिस्र मेें हुआ था तथा जो फिजीशियन मनो चिकत्सक और लेखिका "वीमेन ऐंड सेक्स" जैसी चर्चित पुस्तक लिखकर उन्होंने महिला खतना का विरोध करने के साथ-साथ इस पुस्तक में महिलाओं की मनो्वैज्ञानिक स्थिति तथा अन्य समस्याओं को बेबाकी के साथ समाज के समक्ष प्रस्तुत किया है।

अलीफा रिफत जिनका ताललुक भी मिस्र से था ।उनकी कहानियां स्त्री कामुकता और रिश्तों की गतिशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी रचना "कौन आदमी हो सकता है" वि्वादित होने के कारण मिस्र के अधिकांश स्टोरो मेें नही बिक सकी।

वाजिदा तबस्सुम जिनका जन्म भारत में इन्होनें मुस्लिम समाज में नारी के प्रति सामंतवादी सोच और नारी शोषण पर कलम चलाई है। तथा "उतरन" जैसी चर्चित कहानी लिखी। जिसका कई भाषाओं मेें अनुवाद हो चुका है।

तसलीमा नसरीन जो बांग्ला लेखिका हैं उन्होने "लज्जा" तथा "नारी का कोई देश नहीं" जैसी रचनाऐं लिखी और लज्जा के कारण उनहे काफी विरोध सहना पडा।

हनान-अल-शायख जिनका ताल्लुक़ लेबनान से है। इनके लेख रूूढ़िवादी अरब समाज के खिलाफ रहे हैं। "जहरा की कहानी" इनकी चर्चित रचना है जिसमें र्गभपात, तलाक, पवित्रता नाजायजता आदि का जिक्र है।

मेहरून्निसा प्रवेज भारतीय लेखिका हैं।इनकी प्रमुख कहानियां आदम और हववा, गलत पुरूष आदि हैं । इन्होनें नारी मन के विभिन्न पहलुओं का चित्रण किया है।

खालिदा अदीब खानम का ताल्लुक़ टर्की से रहा है इन्होने महिला अधिकारो का समर्थन करते हुए परंपरागत रूढियों और अंधविश्वासो पर खुलकर प्रहार किया है तथा शिक्षा पर जोर दिया है।

सेवी तासिब और नया तुर्रा इनके मशहूर उपन्यास हैं इसके अतिरिक्त भी विश्व की अनेक मुस्लिम महिला लेखिकाओं ने स्तरी विमर्श के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और महिलाओं से जुड़े तमाम मुद्दों को बेबाकी के साथ अपने साहित्य के जरिए उठाया है और समाज को आईना दिखाने का काम किया है ।

: शारिक रब्बानी, वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार

बहराईच ( उत्तर प्रदेश )

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