हमसे जुड़ें

अब जब लोग आत्म निर्भर हो रहे हैं, तब इतना जोर से क्यों रो रहे है!

Shiv Kumar Mishra
25 May 2020 2:58 AM GMT
अब जब लोग आत्म निर्भर हो रहे हैं, तब इतना जोर से क्यों रो रहे है!
x
प्रभु से भारत की जनता का यह दुख देखा न गया। तब उन्होंने ' अच्छे दिन' का एक वेदमंत्र लेकर भारत की पवित्र भूमि पर अवतार लिया।

संजय कुमार

सन 2014 से पहले तक इतिहास का वो दौर था, जब 'हम भारत के लोग' बहुत दुखी थे। एक तरफ तो फैक्ट्रियों मे काम चल रहा था और कामगार काम से दुखी थे अपनी मिलने वाली पगार से दुखी थे। सरकारी बाबू की तन्ख्वाह समय-समय पर आने वाले वेतन आयोगों से बढ रही थी, हर छ महीने साल भर मे 10% तक के मंहगाई भत्ते मिल रहे थे नौकरियां खुली हुईं थीं। अमीर-गरीब सवर्ण दलित सबके लिये यूपीएससी था एसएससी था, रेलवे थी, बैंक की नौकरियां थीं। प्राईवेट सेक्टर उफान पर था। मल्टी नेशनल कम्पनियां आ रहीं थी जॉब दे रहीं थीं। हर छोटे-बडे शहर मे ऑडी और जगुआर जैसी कारों के शो रूम खुल रहे थे। हर घर मे एक से लेकर तीन चार तक अलग अलग माडलो की कारें हो रही थीं। प्रॉपर्टी मे बूम था। नोयडा से लेकर पुणे बंगलौर तक, कलकत्ता से बम्बई तक फ्लैटों की मारा-मारी मची हुई थी। मतलब हर तरफ हर जगह अथाह दुख ही दुख पसरा हुआ था।

लोग नौकरी मिलने से, तन्ख्वाह पेन्शन और मंहगाई भत्ता मिलने से दुखी थे। प्राईवेट सेक्टर आई टी सेक्टर मे मिलने वाले लाखो के पैकेज से लोग दुखी थे। कारों से, प्रॉपर्टी से लोग दुखी थे ....... फिर क्या था.. प्रभु से भारत की जनता का यह दुख देखा न गया। तब उन्होंने ' अच्छे दिन' का एक वेदमंत्र लेकर भारत की पवित्र भूमि पर अवतार लिया।

"भये प्रकट कृपाला दीन दयाला"

जनता ने कहा - कीजे प्रभु लीला अति प्रियशीला।

प्रभु ने चमत्कार दिखाने आरम्भ किये। जनता चमत्कृत हो कर देखती रही। तमाम संवैधानिक संस्थायें रेलवे, एअरपोर्ट, दूरसंचार, बैंक , AIIMS, IIT, ISRO, CBI, RAW , BSNL, MTNL, NTPC, POWER GRID , ONGC, BPCL,CIL, RAILWAY आदि जो नेहरू और इंदिरा नाम के क्रूर शासकों ने बनायीं थीं, उनको ध्वंस किया और उन्हें संविधान, कानून और नैतिकता के पंजे से मुक्त किया।

.

रिजर्व बैंक नाम की एक ऐसी ही संस्था थी, जो पैसों पर किसी नाग की भाँति कुन्डली मारकर बैठी रहती थी। प्रभु ने उसका तमाम पैसा, जिसे जनता अपना समझने की भूल करती थी, तमाम प्रयासों से बाहर निकाल कर उस रिजर्व बैंक को पैसों के भार से मुक्त किया। प्रजा को इन सब कार्यवाहियों से बड़ा आनन्द मिला और करतल ध्वनि से जनता ने आभार व्यक्त किया और प्रभु के गुणगान में लग गयी।

.

प्रभु ने ऐसे अनेक लोकोपकारी काम किये, जैसे सरकारी नौकरियां खत्म करने का पूर्ण प्रयास, बिना यूपीएससी सीधा उप सचिव, संयुक्त सचिव नियुक्त करना, मंहगाई भत्ता रोकना, आदि ।

.

पहले सरकारी कर्मचारी वेतन आयोगों मे 30 से 40% तक की वृद्धि से दुखी रहते थे। फिर सातवें वेतन आयोग में जब मात्र 13% की वृद्धि ही मिली तब जाकर कहीं सरकारी कर्मचारियों को संतुष्टि मिली वरना मनमोहन सिंह नामक क्रूर शासक ने तो कर्मचारियों को तनख्वाह में बढोतरी और मंहगाई भत्ता की मद मे पैसे दे-देकर बिगाड़ रहा था।

.

प्रभु जब अपनी लीला मे व्यस्त थे तभी कोरोना नामक एक देवी चीन से प्रभु की मदद को आ गयीं। अब सारे शहर गाँव गली कूचे मे ताला लगा दिया गया। लोगों को तालों मे बंद करके आराम करने का आदेश हो गया। अब सर्वत्र शान्ति थी। लोग घरों मे बंद होकर चाट पकौड़ी, जलेबी , मिठाई का आनंद उठाने लगे।

.

रेलगाड़ी और हवाई जहाज जैसी विदेशी म्लेच्छो के साधन छोड़कर लोग पैदल ही सैकड़ों हजारो मील की यात्रा पर निकल पड़े। फैक्ट्रियां, दुकानें सब बंद कर दी गयी ।कामगारों को नौकरियों से निजात दे दी गयी। जो भारत राष्ट्र के मानव 2014 के पहले के तमाम लौकिक सुखों से दुखी थे उनमें प्रसन्नता का सागर हिलोरें मारने लगा। सर्वत्र मनोराज छा गया। इनके खुशियों के साथ सभी पशु-पक्षी और यहां तक कि विलुप्त हो चुके जीव भी अपने रिहायशी इलाकों से निकल कर प्रसन्न मानव क्षेत्र में आह्लादित होकर विचरण व नृत्य करने लगे हैं । सतयुग का चरमोत्कर्ष काल भारतीय जनता ने अब देखा है ।

यदि प्रभु, जो भविष्यवक्ता नास्त्रैदमस के अनुसार भारतीय भगवान विष्णुजी के दसवें अवतार कल्कि के रूप में पवित्र भारत-भूमि पर इस धरा के मानवों का उद्धार करने के लिए अवतरित हुए हैं, के सारे कृत्य वर्णन किये जाये तो सारे भारत की भूमि और सारी नदियों का जल भी लिखने के लिये कम पड़ जाये। थोड़ा लिखा बहुत समझना, आप तो खुद समझदार हैं। आगे की लीला के लिए प्रभु के दिव्य(दूर)दर्शन पर इस हेतु प्रकट होने की प्रतीक्षा करें। उसके बाद करतल ध्वनि से, गृह-भांडों को पीट कर, गृह में अग्नि प्रज्वलित करके स्वागत करते रहिये।

जय हो त्रिकाल महराज की जय ।

ॐ शान्ति:शान्ति:शान्ति: .....

(आईटी सेल की तरह इधर भी कुछ काम शुरू हुआ लगता है। भक्तों ने नेहरू जी की जैसी सेवा की थी उससे अच्छी सेवा हेडगेवार जी की कर दी गई है। पर अपना भी कोई स्तर है। इसलिए उसे साझा नहीं किया। ये फॉर्वाड आईटी सेल के स्तर से ऊपर का इसलिए शेयर कर रहा हूं। आनंद लीजिए। पसंद आए तो आगे बढ़ाइए। शायद कोई विकल्प मिल ही जाए।)

Next Story