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एक IAS टॉपर और फिर एक पूरी पीढ़ी 'बर्बाद'!

Desk Editor
1 Oct 2021 7:51 AM GMT
एक IAS टॉपर और फिर एक पूरी पीढ़ी बर्बाद!
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सोचिए..एक सिविल इंजीनियर IAS बन गया । क्या कर लेगा आगे वो । आप कह सकते हैं कई बार इंजीनियरिंग काम आ जाती है प्रशासन में भी । लेकिन ये 100 में 2% होता है । और एक IAS बहुत उपर चला गया तो कैबिनेट सेक्रेट्री या होम सेक्रेट्री..फॉरेन सेक्रेट्री । यही न ! क्या कर लेंगे होम सेक्रेट्री बनकर ।

सत्य प्रकाश

आपको पता है कि आमिर सुबहानी, सुनील कुमार बरनवाल,आलोक रंजन झा कहां हैं? मैं मीडिया में हूं इसलिए पता है । बाकी बिहार में सौ या हजार लोगों को भी शायद पता न हो । देश में भी ये संख्या इसके ही आस-पास होगी..आप यकीन मानिए । शुभम जी ने भी टॉप किया । उनका ख्वाब हकीकत में बदला..। कई और लड़के हैं बिहार से टॉप 10 में । उन्हें और उनके परिवार के लिए जरूर ये बड़ी बात है । क्योंकि UPSC कंप्लीट करना मामूली बात नहीं । लेकिन मैं मानता हूं बिहार के लिए ये बड़ी कतई नहीं । बड़ी बात तब होती जब टॉप टेन में आने वाले 4 IITN कोई स्टार्टअप लेते । कुछ नया करते । आने वाले 20 साल की सोचते । Entrepreneur बनते ।

सोचिए..एक सिविल इंजीनियर IAS बन गया । क्या कर लेगा आगे वो । आप कह सकते हैं कई बार इंजीनियरिंग काम आ जाती है प्रशासन में भी । लेकिन ये 100 में 2% होता है । और एक IAS बहुत उपर चला गया तो कैबिनेट सेक्रेट्री या होम सेक्रेट्री..फॉरेन सेक्रेट्री । यही न ! क्या कर लेंगे होम सेक्रेट्री बनकर । कितने होम सेक्रेट्री का नाम याद है लोगों को । कितने कैबिनेट सेक्रेट्री का नाम याद है । और कितनों का क्या योगदान है इस देश के लिए । सन्नाटा छा जाएगा दिमाग में । एक आम आदमी आज भी इस पद के पावर के बारे में भी ठीक से नहीं जानता होगा ।

अब थोड़ा और आगे चलते हैं । हम बिहारी की भाषा में 'काबिल का फचाक' एक लोकल मुहावरा होता है । प्रतिभा का सम्मान करते हुए..मैं यही कहूंगा कि ये पूरा IAS माइंडसेट यही है..'काबिल का फचाक' । पिछले दो दशक में काफी हद तक जनता भी इन्हें धीरे-धीरे ही सही समझी जरूर है । पोस्टिंग मिलने के बाद लूट-मार-खसोट- दलाली यही तो रह गया IAS/IPS ( सब नहीं, ज्यादातर ) । जिसकी सरकार उसका तलबा चाटो । नेताओं को लूटने का दिमाग दो..परसेंटेज लेकर मस्त रहो । सरयू राय की कहानी दिलचस्प है । ( हमारे इलाके के IPS थे वो ) उनका घर धाह( ताप) फोड़ता( देता) था । हमलोगों के यहां तक तपन महसूस होती थी । 5 किलोमीटर भीतर । मैं बच्चा था । पूछा अपने बड़ों से..चाचाजी से ऐसा क्या किया सरयू राय जी ने । जवाब था..इलाके के कई लोगों को बिना इंटरव्यू सिपाही में भर्ती करा दिया ( 80 के दशक में) । कई को चपरासी में लगा दिया । अरे वाह !..गजब ..! ऐसे ही हमारे घर के आस-पास एक दो IAS भी थे..अभी भी हैं लेकिन कहां हैं, किस हाल में हैं..क्या करते हैं इलाके को लोगों को पता नहीं । हां..गांव में भी घर संगमरमर लगाकर बनाया है । प्लेट भाप्रसे और ब्रिपसे का जरूर लगाया है । पहले लोग उस रास्ते से जाने से डरते थे..अब सामने से निकलने पर 50 गाली देते हैं ।

अब जरा दूसरी तरफ चलिए । गौतम आडानी । उनके दादा बस में पापड़ बेचकर बिज़नेस खड़ा कर लिए..शर्म नहीं आई क्योंकि वो सो कॉल्ड खनदानी नहीं थे । वो गुजराती थे और हैं । पहले दिन से मिशन क्लियर था..पापड़ बेचकर बिजनेस का पहाड़ खड़ा करना है । इसलिए बस में बेचना हो या ट्रेन में । बोली लगाकर बेचना हो या स्टेशन के बाहर खड़े होकर । आज क्या हालत है..देखिए । अडानी ग्रुप की 10 अरब डॉलर की दौलत है । 1 लाख के करीब लोग पूरे ग्रुप में अलग-अलग लेवल पर काम करते हैं । अगर आपका कोई स्टार्टअप है तो उसे खरीद लेते हैं ।

गुजराती की तारीफ से इस देश में गाली देने का चलन सा हो गया । लोगों को मिर्ची लग जाती है । लेकिन कहानी यही नहीं । आगे देखिए धीरु भाई अंबानी..पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भर लिए । लेकिन ये पहले दिन से क्लियर था कि नौकरी जीवन भर नहीं करनी । एक दिन पूरी पेट्रोलियम इंडस्ट्री का सबसे बड़ा ब्रैंड बना डाला । आज बेटा सरकार को ही जेब में लिए घूमता है । कैबिनेट सेक्रेट्री बेचारा क्या कर लेगा । रिजाइन मारकर VRS लेकर, रिटायर्ड होने के बाद..300 से ज्यादा IAS/IPS सीनियर अंबानी जी को सलाम ठोक रहे हैं । एक होम मिनिस्ट ने कॉकस बनाकर वसूली चाही..क्या हाल हुआ नतीजा सामने है । और यकीन मानिए राहुल गांधी भी PM होते तो भी यही हाल होता । आप बनते रहिए कैबिनेट सेक्रेट्री । करते रहिए टॉप..और कहलाइए गुदड़ी के लाल । आगे और भी हैं । होमी जहांगीर भाभा । कंपनी नहीं खड़ी की तो अपना नाम खड़ा कर दिया । अमिट । गुजराती थे पता है न । जितना दिमाग था..उसमें कैबिनेट सेक्रेट्री तो बन ही जाते । लेकिन नहीं बनना था..ये पहले दिन से क्लियर था ( जीवनी पढ़ लें ) ।

बिक्रम साराभाई । थुंबा की वो तस्वीर अगर आप न भूले हों । इंडियन स्पेस मिशन और इंडस्ट्री दोनों के जनक समान । चाहते तो किसी जिले का कप्तान बन जाते । उनका घर भी धाह फोड़ रहा होता । लेकिन साइकिल पर रॉकेट लेकर गए क्योंकि लकीर खींचनी थी । उनके पप्पा ने कभी नहीं कहा होगा कि मेरा बेटा बड़ा होकर IAS बनेगा..। बेटे की तस्वीर धरती पर छोड़िए अंतरिक्ष में लगी है ।

टाटा । बिहार-झारखंड के हृदय को बसाने वाले जमशेदजी टाटा ने क्या-क्या नहीं किया..। लेकिन पहले दिन से क्लियर था..कैबिनेट सेक्रेटी और कलक्टर नहीं बनना । Entrepreneur बनना है । लकीर खींचकर दिखा दिया । आज भी हमारी पर्टी में जमशेदपुर जैसा कोई दूसरा व्यवस्थित डेस्टिनेशन नहीं । स्टार्टअप का मंदिर नहीं ।

आप कह सकते हैं जमशेद जी का परिवार बिजनेस क्लास से ही था । लेकिन पापड़ बेचने वाले का ? पेट्रोल पंप पर तेल भरने वाले का ? साइकिल पर रॉकेट ले जाने वाले का ? देश के लिए एटमी ताकत का सपना संजोने वाले का ? ..देश को अहिंसा से आजादी दिलवाने की सोच रखने वाले का ? देश को हर कीमत पर एक कर लेने की उस महान सोच का ? सोचिएगा ऐसा नहीं कि हमारे बाप-दादा में ये कूबा नहीं था ? था बॉस..हममे भी थोड़ा बहुत जरूर था..आपमें भी था..लेकिन हमसब उसी दलदल में फंस गए । बहुत सारे लोग कहेंगे कि मैं बिहारी प्रतिभा का अपमान कर रहा हूं । लेकिन ऐसा नहीं । मैं अपमान नहीं बड़े स्तर पर सम्मान और सम्मान की लकीर खींच देने की बात कर रहा । मैं खुद जिस इंडस्ट्री से आता हूं..वहां किसी बिहारी का कोई बड़ा चैनल नहीं । लेकिन देश के सारे बड़े चैनल में 80% संपादक बिहारी ही है । हम चैनल के मालिक नहीं क्योंकि हमलोगों ने इसे लेकर कभी सोचा ही नहीं । हम सब के सब नौकरी की अंधेरी सुरंग और पावर की भूख से बाहर ही नहीं निकल पाए । सच्चाई से कहूं तो मैं भी नहीं । सोचिए जो सिस्टम चला देता है वो सिस्टम खड़ा नहीं कर पाता । क्यों..? शायद इसलिए कि आज तक हम उसी टॉपर, गुदड़ी के लाल, सबसे ज्यादा IAS पैदा करने वाला स्टेट वाली लिजलिजी सोच में फंसे हुए हैं । हम नौकरी के झोल से निकल ही नहीं पाते । हम समझ ही नहीं पाते कि झालमुरी अगर 21 साल की उम्र में सच्चाई से बेचने लगे तो..उसका भी ब्रैंड खड़ा हो सकता है । वैसे थोड़े समय के लिए हमें भी ये टॉपर वाला छोटा सा सौभाग्य ( मैं इसका विरोधी नहीं) मिला है । लेकिन मैंने तो तय किया है मेरे बच्चे..भले सड़क पर सम्मान से पापड़ी चाट बेच लें..मैं उन्हें IAS बनने के लिए कभी नहीं कंपेल करूंगा । न ही डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए । बाबू तो वो बन गए तो ये हमारी सबसे बड़ी हार होगी । वैसे अगर ये उनकी च्वाइस होगी..तो मुझे कोई ऐतराज नहीं । अगर मेरी च्वाइस उनके लिए मायने रखेगी तो मैं उस पट्टी के लिए कुछ करने की अपील करूंगा ..जिसकी कुंडली में नौकरी वाला काल सर्पदोष जन्मजात होता जा रहा है । जो न्यू इंडिया में उस मिट्टी का रंग फीका कर रहा.. जिस मिट्टी में मेहनत और दिमाग से हिमालय मथ देने की ताकत है ।

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