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- पाकिस्तान की हार का...
- वीर विनोद छाबड़ा
दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में वर्ल्ड कप 20ट्वेंटी के मुक़ाबले पाकिस्तान और इंडिया की टीमें जब दो साल बाद आमने सामने हुईं तो हाय-तौबा ज़्यादा ही थी. वैसे तो इन दोनों के बीच हर मैच में ऐसा होता है. लेकिन इस बार ज़्यादा थी. वज़ह दोनों मुल्कों के आपसी तनावपूर्ण संबंध और मीडिया की ज़रूरत से ज़्यादा चिल्ल-पौं. इसे जीवन-मरण का प्रश्न ही बना लिया. और जब बाबर आज़म ने टॉस जीत कर विराट कोहली को बैटिंग का न्यौता दिया तो तभी लगने लगा कि आज पलड़ा इंडिया के पक्ष में भारी नहीं होने जा रहा है.
वज़ह मैच के सेकंड हाफ में गिरती ओस की बूंदों से गीले हुए मैदान में गीली हो बॉल को हैंडल करना. और बॉलर के हाथ से फिसलती है. और फील्डर भी कई बार असहाय हो जाता है. ऐसे में कैच भी छूटते हैं. और जब छह ओवर के पहले पावर प्ले में महज़ 36 रन पर इंडिया के रोहित शर्मा, राहुल और सूर्य यादव पवैलियन लौट गए तो तभी स्पष्ट हो गया कि वर्ल्ड कप मैचों में इंडिया के लगातार 12 जीतों का सिलसिला 13वीं बार में टूटने जा रहा है. अगर विराट कोहली (57) और ऋषभ पंत (39) को छोड़ दें तो कोई भी बैट्समैन टिक नहीं पाया और 7 विकेट पर 151 रन ही बन सके.
इंडिया के मीडिया और फैंस का सुर नीचे हो गया. सिर्फ़ कोई चमत्कार ही बचा सकता है, हल्ला-गुल्ला नहीं. ये बात अति उत्साहित लोगों की समझ में आ गई. चमत्कार रोज़ तो होते नहीं. मगर आज चमत्कार हुआ, पाकिस्तानी नज़रिये से हुआ. जो टीम पिछले लगातार तीस साल से हारती चली आ रही थी आज अंततः जीत गई. बाबर आज़म (68) और मोहम्मद रिज़वान (79) ने नाबाद रहते हुए असंभव को संभव कर दिखाया. और वो भी दस विकेट से जीत कर, 13 बॉल्स बाकी रहते हुए. दो राय नहीं ये भारी जीत है. किसी भी स्टेज पर दोनों ही बैट्समैन कही दबाव में नज़र नहीं आये. वैसे बड़ा कमाल पेसर शाहीन अफ़रीदी ने किया, 31 रन पर 3 बेशक़ीमती विकेट लेकर.
जिसमें टॉप आर्डर के बैट्समैन शामिल हैं. उनके इस कंट्रीब्यूशन के लिए प्लेयर ऑफ़ मैच चुना गया तो जायज़ ही है. कोई भी इंडियन बॉलर पाकिस्तानी बैट्समैन पर कतई इफेक्टिव नहीं रहा. अगर मैच बाद प्रेस कांफ्रेंस में विराट बहुत निराश दिखे तो ग़लत नहीं रहा. पहले बैटिंग करने वाले के पास जीतने का एक ही रास्ता बचता है कि बड़ा स्कोर खड़ा करो. और बैटिंग करने वाली टीम पर भारी दबाव बना दो. विराट-पंत को छोड़ किसी में भी टिकने की क्षमता और आक्रमता नहीं दिखी.जबकि सबको मालूम था कि इस मैदान पर एवरेज हाईएस्ट स्कोर 168 रन है.
अगर इतने भी बन गए होते तो कड़ा मुक़ाबला होता. बहरहाल, ये कोई आख़िरी मैच नहीं था, दुनिया का अंत नहीं है. सितारों के आगे जहाँ और भी है. ये मान लेने में कोई बुराई नहीं है कि बेहतर टीम जीती है. अपने ग्रुप में इंडिया के अभी तीन मुक़ाबले बाकी हैं. पिछली हार से सबक लेकर भविष्य के बार में सोचने का वक़्त है. 31 अक्टूबर को न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध अगला मुक़ाबला भी कड़ा है.
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