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कविता : धृतराष्ट्र

Desk Editor
17 July 2021 9:57 AM GMT
कविता : धृतराष्ट्र
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आज के युग में ,कौन है धृतराष्ट्र ?

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आँखें अपनी मूँद

बनोगे तुम धृतराष्ट्र

देखोगे फिर ह्रास

सकल का सर्वनाश ।

कितने शकुनी

घात लगा कर बैठे हैं ,

अब न किया सत्य -चिंतन

तो होगा नाश ।

दुर्योधन दुर्बुद्धि धारक

कई यहाँ ,

इनके पथ का अंत -

सदा ही सर्वनाश ।

कितने चौसर बिछे

यहाँ षडयंत्रों के ,

संभले न तो होगा

काल का भ्रू विलास ।

सत्य नहीं पहचाना

तो फिर पछताना ,

एक दिन टूटेगा

अवश्य यह मोह पाश ।

- वंदना तिवारी,

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

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