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वैश्या--...ऐसे करते-करते छ महीने के दिन निकल गये थे, मगर एकदिन जो खबर मिली वो मधु के लिये वज्रपात जैसी थी

Shiv Kumar Mishra
25 Jun 2022 10:54 AM IST
वैश्या--...ऐसे करते-करते छ महीने के दिन निकल गये थे, मगर एकदिन जो खबर मिली वो मधु के लिये वज्रपात जैसी थी
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वैश्या--

...ऐसे करते-करते छ महीने के दिन निकल गयें थें....मगर एकदिन खबर मिली जो मधु के लिये वज्रपात जैसा था।

अभी तक आपने पढ़ा,अब आगे।

भाग 4-

यहां माही कौन है। कोठे पर चढ़ते हुये एक पुलिस वाले ने दीदी से सवाल किया। आप थाने पर नये आये हो क्या साहब...यहां हर महीने के पहली तारीख को दस्तूरी पहुँच जाती है। दीदी ने पान चबाते हुए कहा।

नहीं न मैं महीना लेने आया हूँ,न यहाँ के थाने का हूँ... माही यही रहती है न.? उसने फिर कहा।

ओह,...ओय साहब रहती तो यहीं है...मगर कोई दूसरी लड़की नक्की कर लो। माही टाईम नहीं देगी।

ओय सुषमा रानी पिंकी इधर को आओ। उसने बाकी लड़कियों को आवाज लगाते हुए कहा।

मधु दरवाजे की ओट से यह सब सुन रही थी।

आप गलत समझ रही हो...दरअसल मेरे थाना क्षेत्र में किसी राजू नामके व्यक्ति को ट्रक ने धक्का मार दिया है। वह गम्भीर रूप से घायल होकर सिविल हॉस्पिटल में भर्ती है। जब हम लोग उसको भर्ती कराने ले जा रहे थें। तो वह यहां का पता बताते हुए माही का बुलाने को कहा और बेहोश हो गया। हम उसीका सन्देश देने आये हैं।

पुलिस वाले कि बात सुनते ही दीदी अवाक हो गई। अबतक दरवाजे की ओट में खड़ी मधु चीखती हुई बाहर आ चुकी थी।

क क कहाँ है राजू...वो ठीक तो है न किस अस्पताल में चलना है। उसकी आंखें पानी बरसा रहीं थीं और जुबान सवाल कर रहें थें।

तसल्ली रखें वह फिलहाल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में हैं जहां उनका इलाज चल रहा है। पुलिस वाले ने इत्मीनान जताते हुए कहा।

चलिये दीदी मुझे लेकर चलिये...दीदी मुझे जाना होगा...

राजू आपको भी तो मानता है ना। दीदी ले चलिये।

हां हां ठीक है...तू परेशान न हो ये सुषमा इसके साथ जा और इसका खयाल रखियो ज्यादा दौड़े भागे रोये न । कोठा मालकिन ने एक लड़की को सहेजते हुए कहा।

मधु अस्पताल पहुँची तो राजू के सिर पर बंधी सफेद पट्टियों से खून रिस रहा था। कपड़े फट गये थें और खून से तराबोर थें। वह बेहोश था। पास में एक कपड़े का झोला रखा हुआ था।

आप इनके घर से हैं। नर्स ने मधु को राजू के पास खड़े होकर रोते देखा तो सवाल किया।

ज जी...सुषमा ने कहा।

देखिये यह बेहोश हैं सिर में गम्भीर चोट लगी है। सीने की पसलियां टूट गयीं हैं।आप काउंटर पर सिटी स्कैन

के पैसे जमा कर दें। ताकि सिर के कंडीशन की जांच हो सके।

सुषमा झट से पर्स से पैसे निकालकर काउंटर पर जमा कर आई।

नर्स ने वार्ड बॉय को स्ट्रेचर के लिये आवाज दिया। और बेहोश राजू कोस्ट्रेचर पर लेकर जांच के लिये चली गयी।

मधु वहीं बेड के पास पड़े स्टूल पर धप्प से बैठ गयी। उसकी आँखों से लगातार आसुओं की धारा निकल रही थी।

पास पड़े झोले पर निगाह गयी तो वह और हिचक-हिचक कर रोने लगी। उस झोले से छोटे बच्चों के कपड़े साड़ी और सूखे मेवे झांक रहे थें। मने राजू उसके पास ही आ रहा था। सब धूल मिट्टी से लिपटे गन्दलाये से हो गयें थें।

हां ओय मैम सॉइड होइते मरीज को लिटाने दीजिये। नर्स ने बिस्तर पर सिर टिकाये मधु से कहा।

राजू को बेड पर लिटाते हुये... देखिये डॉक्टर साहब ने रिपोर्ट देखा है। सिर में खून का थक्का जम गया है। कंडीशन तो बहुत अच्छी नही है। मगर परेशान मत होईये ईश्वर ने चाहा तो सब अच्छा होगा।

मधु नर्स के पैरों में झूल गई। बचा लीजिये दीदी इन्हें बचा लीजिए। मैं इलाज का पूरा खर्च दूंगी। ऊपर भगवान नीचे आपका आसरा है।

अरे-अरे आप परेशान न हों धैर्य रखें। सब सही हो जायेगा। नर्स ने ढांढस बंधाते हुए कहा। इन्हें दवा इंजेक्शन दे दिया गया है। फिलहाल रात हो गयी है। इमरजेंसी में रहने की इजाजत नहीं है। इसलिए या तो आप वेटिंग रूम में जायें या कल सुबह आयें। आप रोओगी तो बाकी मरीजों को दिक्कत होगी। मैं आपकी भावना को समझ रही हूं,किसी का पति इस हाल में हो तो पत्नी का यही हाल होता है।

बहरहाल चलिये कल सुबह डॉक्टर साहब देखेंगे तब वही कंडीशन बता पाएंगे। आप निश्चिंत रहें हम लोग अच्छे से देखभाल करेंगे इनकी।नर्स ने आश्वस्त करते हुए कहा।

क्रमशः....

विनय मौर्या बनारस।

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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