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- सिर्फ राहुल गांधी से...
सिर्फ राहुल गांधी से डरती है भाजपा, विपक्ष साथ आता क्यों नहीं?
आप राहुल गांधी को पप्पू कहिए, बेवकूफ कहिए, कांग्रेस की कमजोरी का जिम्मेदार ठहराइये लेकिन यह भी याद रखिए कि वही अकेला शख्स भारतीय जनता पार्टी से, उसकी सरकार से, उसके शस्त्रों सीबीआई, आईबी और ईडी से नहीं डरता। मुझे पता है कि इस लेख को पढ़ने के बाद मेरे ऊपर भी कांग्रेस परस्ती का इल्ज़ाम लगेगा इसलिए बता दूं कि मैं आज तक किसी राजनीतिक दल का सदस्य भी नहीं रहा हूं। लेकिन मैं अपनी तमाम समझ के अनुसार लिख रहा हूं कि पूरे विपक्ष में अगर कोई नहीं डर रहा है और यह ऐलान भी कर रहा है कि उसका साथ कोई दे या ना दे वह अकेला सफर पर चल निकलेगा तो ये साहस रखने वाला आदमी भी राहुल गांधी ही है। लंदन में प्रवासी भारतीय और विश्लेषक सीमाब जमां लिखते हैं कि जियो पोलिटिक्स पर नज़र रखने वाले भली भांति समझ सकते हैं कि बदलती वैश्विक भूराजनीति में भारत को यदि कोई मजबूती से स्थापित कर सकता है वह नेता भी सिर्फ राहुल गांधी है।
देश के सबसे प्रतिष्ठित राजनैतिक परिवार गांधी परिवार के वारिस को नाअहल और बेवकूफ "पप्पू" का लकब देने के पीछे कोई राष्ट्रीय राजनीति नहीं बल्कि वैश्विक राजनीति ही जिम्मेदार रही है और वैश्विक शक्तियों की गोद में बैठ कर नमस्ते ट्रंप और हाउडी मोडी करवाने वाले हमारे प्रधानमंत्री ने देश को जिस प्रकार वैश्विक माफियाओं के सामने सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया उन्हीं वैश्विक माफियाओं ने राहुल गांधी के खिलाफ यह दुष्प्रचार कराया था और उनके भाड़े के भौंपू बने मीडिया प्रतिष्ठानों ने इस दुष्प्रचार को आम जन तक बड़ी मेहनत के साथ पहुंचायाl। राहुल गांधी के खिलाफ इस दुष्प्रचार में साथ देने वाले वह लोग भी रहे हैं जो कांग्रेस से गांधी परिवार को खत्म कर देना चाहते हैं और मैंने यह बात बार बार लिखी है कि कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की गारंटी गांधी परिवार ही है और धर्मनिरपेक्षता विरोधी तत्व समझते हैं कि कांग्रेस से गांधी परिवार के अलग होते ही या कमजोर होते ही कांग्रेस की स्थिति ऐसी ही बना दी जाएगी जैसी दूसरे दलों की बना दी गई है ।
अब सवाल यह है कि आखिर वैश्विक माफियाओं को राहुल गांधी से इतनी दिक्कत क्या थी जो उन्हें राजनीतिक रूप से अयोग्य ठहराने की कोशिश की गई तो उसके पीछे भी उन माफियाओं के अपने स्वार्थ और देशों के संसाधनों को हड़पने की नीतियां होती हैं और वह किसी भी देश से उन लोगों को चिन्हित करते हैं जो बिना किसी रुकावट या नानुकुर के उनकी हर गलत सही बात पर सरेंडर करें जैसे भारत में की गई नोटबंदी जिसने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया और सरकार आज तक इसकी कोई स्पष्ट और सर्वमान्य वजह नहीं बता पाई है कि आखिर नोटबंदी देश के हित में थी या अहित में थी। और जिनसे उन्हें बाधा डालने की आशंका होती है उसे ऐसे ही बदनाम कर दिया जाता है जैसे राहुल गांधी को लंबे समय से निशाने पर रखा गया है। कोरोना महामारी के बाद पुराने माफियाओं का वर्चस्व खत्म हुआ है और हो रहा है लिहाज़ा उनके पिट्ठूओं की स्थिति भी अब उतनी मजबूत नहीं रही है। पिछले तीस बरसों में हुए वैश्वीकरण के बाद दुनिया एक गांव बन चुकी है और हर घटना का हर देश पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
कोरोना के बाद जो स्थिति दुनिया की बदली है उसका विश्लेषण करने के बाद बात समझ में आएगी कि दुनिया में अब कोई दक्षिणपंथी नेता कामयाब नही हो सकता, फ्रांस राष्ट्रपति मैक्रॉन हो, या यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंसकी हो, श्रीलंका का हाल सबके सामने है। इन सबका अध्ययन यह बताता है कि प्रधानमंत्री मोदी समेत पूरी भाजपा भी देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले नुकसान से नहीं बचा सकते भले ही हिन्दी मीडिया पाकिस्तान की बर्बादी के नाम पर जनता का दिल कितना ही बहलाए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तभी फायदे देश को पहुंचेंगे जब कमान राहुल गांधी संभालें। विश्लेषक सीमाब जमां के अनुसार राहुल गांधी खुद भी जियो पोलिटिक्स को समझ रहे हैं और सरकार बनाने के लिए बहुत ज्यादा तैयार नहीं हैं क्योंकि जो बिगाड़ मोदी सरकार ने पैदा कर दिए हैं उनकी भरपाई करना कांग्रेस के भी अभी बस का नहीं हैं। अब मोदी सरकार के सामने उहापोह की स्थिति बनती जा रही है। वैश्विक स्तर पर खुद को लिबरल दिखाने की चुनौती है तो राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व का अलम्बरदार बने रहकर सत्ता प्राप्ति करना चाहते हैं जिससे निजीकरण के अपने मिशन को अगली बार फिर सरकार बनाकर पूरा किया जा सके।
कांग्रेस को खुद भी राहुल गांधी के लिए तैयार होना होगा और कांग्रेस विरोधियों के दुष्प्रचार से डरे बिना और प्रभावित हुए बिना राहुल गांधी के महत्व को समझकर आगे बढ़ना है। लेकिन कांग्रेस को भाजपा की धार्मिक राजनीति, धार्मिक प्रतीक चिन्हों की राजनीति, नरम हिंदुत्व आदि से भी बचना होगा क्योंकि यह चीज़ें भी उसे कमजोर बनाती हैं और भाजपा यही दुष्प्रचार करती है कि हमने सिकुलर कांग्रेस को धर्म पर चलना सिखा दिया है, कांग्रेस सिकुलरिज्म को मजबूती से पकड़ कर उस पर बिना विचलित हुए चलने का प्रण लें। कांग्रेस का धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक राजनीति के बीच चक्की में पिसना भी नुकसान पहुंचाता रहा है। इसलिए खुद कांग्रेस को अपने लक्ष्य और नीतियों को निर्धारित करते हुए आगे बढ़कर देश की जनता की उम्मीदों की आवाज बनना होगा तब वह देश को मोदी सरकार द्वारा पैदा की जा रही विकट परिस्थितियों से निकाल पाएगी।