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#RamonMagsaysayAward : पुरस्कार मिलने के बाद पहली बार लिखी यह बात रवीश कुमार ने, रोने का जिक्र किया कई बार जानते हो क्यों?

रवीश कुमार
4 Aug 2019 3:57 PM IST
#RamonMagsaysayAward : पुरस्कार मिलने के बाद पहली बार लिखी यह बात रवीश कुमार ने, रोने का जिक्र किया कई बार जानते हो क्यों?
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आपका लिखा हुआ मिटाया नहीं जा रहा है। सहेजा भी नहीं जा रहा है। दो दशक से मेरा हिस्सा आपके बीच जाने किस किस रूप में गया होगा, आज वो सारा कुछ इन संदेशों में लौट कर आ गया है। जैसे महीनों यात्रा के बाद कोई बड़ी सी नाव लौट किनारे लौट आई हो। आपके हज़ारों मेसेज में लगता है कि मेरे कई साल लौट आए हैं। हर मेसेज में प्यार, आभार और ख़्याल भरा है। उनमें ख़ुद को धड़कता देख रहा हूं। जहां आपकी जान हो, वहां आप डिलिट का बटन कैसे दबा सकते हैं। चाहता हूं मगर सभी को जवाब नहीं दे पा रहा हूं।

व्हाट्स एप में सात हज़ार से अधिक लोगों ने अपना संदेशा भेजा है। सैंकड़ों ईमेल हैं। एस एम एस हैं। फेसबुक और ट्विटर पर कमेंट हैं। ऐसा लगता है कि आप सभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया है। कोई छोड़ ही नहीं रहा है और न मैं छुड़ा रहा हूं। रो नहीं रहा लेकिन कुछ बूंदे बाहर आकर कोर में बैठी हैं। नज़ारा देख रही हैं। बाहर नहीं आती हैं मगर भीतर भी नहीं जाती हैं। आप दर्शकों और पाठकों ने मुझे अपने कोर में इन बूंदों की तरह थामा है।

आप सभी का प्यार भोर की हवा है। कभी-कभी होता है न, रात जा रही होती है, सुबह आ रही होती है। इसी वक्त में रात की गर्मी में नहाई हवा ठंडी होने लगती है। उसके पास आते ही आप उसके क़रीब जाने लगते हैं। पत्तों और फूलों की ख़ुश्बू को महसूस करने का यह सबसे अच्छा लम्हा होता है। भोर का वक्त बहुत छोटा होता है मगर यात्रा पर निकलने का सबसे मुकम्मल होता है। मैं कल से अपने जीवन के इसी लम्हे में हूं। भोर की हवा की तरह ठंडा हो गया हूं।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। आस-पास मेरे जैसे ही लोग हैं। आपके ही जैसा मैं हूं। मेरी ख़ुशी आपकी है। मेरी ख़ुशियों के इतने पहरेदार हैं। निगेहबान हैं। मैं सलामत हूं आपकी स्मृतियों में। आपकी दुआओं में। आपकी प्रार्थनाओं में। आपने मुझे महफ़ूज़ किया है। आपके मेसेज का, आपकी मोहब्बत का शुक्रिया अदा नहीं किया जा सकता है। बस आपका हो जाया जा सकता है। मैं आप सभी को होकर रह गया हूं। बेख़ुद हूं। संभालिएगा मुझे। मैं आप सभी के पास अमानत की तरह हूं। उन्हें ऐसे किसी लम्हें में लौटाते रहिएगा।

बधाई का शुक्रिया नहीं हो सकता है। आपने बधाई नहीं दी है, मेरा गाल सहलाया है। मेरे बालों में उंगलियां फेरी हैं। मेरी पीठ थपथपाई है। मेरी कलाई दबाई है। आपने मुझे प्यार दिया है,मैं आपको प्यार देना चाहता हूं। आप सब बेहद प्यारे हैं। मेरे हैं।#RamonMagsaysayAward

रवीश कुमार

रवीश कुमार

रविश कुमार :पांच दिसम्बर 1974 को जन्में एक भारतीय टीवी एंकर,लेखक और पत्रकार है.जो भारतीय राजनीति और समाज से संबंधित विषयों को व्याप्ति किया है। उन्होंने एनडीटीवी इंडिया पर वरिष्ठ कार्यकारी संपादक है, हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी समाचार नेटवर्क और होस्ट्स के चैनल के प्रमुख कार्य दिवस सहित कार्यक्रमों की एक संख्या के प्राइम टाइम शो,हम लोग और रविश की रिपोर्ट को देखते है. २०१४ लोकसभा चुनाव के दौरान, उन्होंने राय और उप-शहरी और ग्रामीण जीवन के पहलुओं जो टेलीविजन-आधारित नेटवर्क खबर में ज्यादा ध्यान प्राप्त नहीं करते हैं पर प्रकाश डाला जमीन पर लोगों की जरूरतों के बारे में कई उत्तर भारतीय राज्यों में व्यापक क्षेत्र साक्षात्कार किया था।वह बिहार के पूर्व चंपारन जिले के मोतीहारी में हुआ। वह लोयोला हाई स्कूल, पटना, पर अध्ययन किया और पर बाद में उन्होंने अपने उच्च अध्ययन के लिए करने के लिए दिल्ली ले जाया गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की और भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।

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