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वित्त मंत्री को विचित्र मंत्री कहकर रवीश कुमार ने मचाई खलबली!
मुझे तभी लगा था जब वित्त मंत्री के रूम अपना पहला बजट लेकर आईं थीं। ब्रीफ़केस की दासता से भारत को आज़ादी दिलाने वाली वित्त मंत्री बजट के मामले में जल्दी ही विचित्र साबित हुईं। गोदी मीडिया ने उन्हें लक्ष्मी बनाकर पेश किया
जबकि काम कुबेर का था। तभी लगा था कि कुबेर छवियों के संसार में अपने विस्थापन को सहन नहीं करेंगे।विचित्र मंत्री ने दो महीने के भीतर अपने कई बड़े फ़ैसले वापस लिए। अब एलान कर दिया है कि मार्च तक भारत पेट्रोलियम बिक जाएगा।
गोदी मीडिया और व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी ने जनता का जो हाल किया है उसमें मुमकिन है कि भारत पेट्रोलियम के कर्मचारी ही इसमें राष्ट्रवाद और हिन्दू गौरव का वैभव देख लें। मुझे पूरा भरोसा है कि भारत पेट्रोलियम के कर्मचारी बेचने के समर्थन में रैली करेंगे। क्योंकि विरोध में करेंगे तो कोई टीवी चैनल तो दिखाएगा नहीं। अख़बार में ख़बर छपेगी भी तो दो तीन लाइन की। जब उन्होंने मीडिया के बिक जाने का समर्थन किया तो अपनी पेट्रोलियम कंपनी के बिकने का भी समर्थन करेंगे। ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है।
रिज़र्व बैंक से लाख करोड़ लिया अब इसे बेच कर लाख करोड़ लेंगे। मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनी को बेचने की बेचैनी क्यों हैं? क्या पेट्रोलियम मंत्रालय और मंत्री का पद भी ख़त्म होने वाला है? धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार का काम तेल बेचना नहीं है तो फिर प्राइवेट कंपनी तेल बेचे इसे देखने के लिए सरकार में कोई मंत्री क्यों रहे? वो भी कैबिनेट ?
अर्थव्यवस्था पतन की ओर अग्रसर है। झूठ चरम पर है। जब रिपोर्ट आती है कि चालीस साल में उपभोक्ता ख़र्च सबसे कम है तो सरकार रिपोर्ट ही जारी नहीं करती है। पहले एक तिहाई की तुलना पिछले या ज़्यादा से ज़्यादा एक दो साल पहले की उसी तिमाही से होती थी। अब ख़बरों में आने लगा है कि आठ साल में सबसे कम, दस साल में सबसे कम। अब तिमाही की जगह दशक आ गया है।
ऐसे में भारत पेट्रोलियम के बिकने का क्या ही शोक मनाया जाए। बस ये देखना है कि भारत पेट्रोलियम के बोर्ड पर किस कंपनी का नाम चिपकता है। भारत पेट्रोलियम के सारे पेट्रोल पंप शहर के मुख्य ज़मीन पर है। उस पर किस कंपनी का एकाधिकार होगा ? खेल इस पर होगा।
बाक़ी भारत की अर्थव्यवस्था विचित्र मोड़ में चली गई है। इसलिए वित्त मंत्री भी विचित्र मंत्री हो गई हैं।
रवीश कुमार
रविश कुमार :पांच दिसम्बर 1974 को जन्में एक भारतीय टीवी एंकर,लेखक और पत्रकार है.जो भारतीय राजनीति और समाज से संबंधित विषयों को व्याप्ति किया है। उन्होंने एनडीटीवी इंडिया पर वरिष्ठ कार्यकारी संपादक है, हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी समाचार नेटवर्क और होस्ट्स के चैनल के प्रमुख कार्य दिवस सहित कार्यक्रमों की एक संख्या के प्राइम टाइम शो,हम लोग और रविश की रिपोर्ट को देखते है. २०१४ लोकसभा चुनाव के दौरान, उन्होंने राय और उप-शहरी और ग्रामीण जीवन के पहलुओं जो टेलीविजन-आधारित नेटवर्क खबर में ज्यादा ध्यान प्राप्त नहीं करते हैं पर प्रकाश डाला जमीन पर लोगों की जरूरतों के बारे में कई उत्तर भारतीय राज्यों में व्यापक क्षेत्र साक्षात्कार किया था।वह बिहार के पूर्व चंपारन जिले के मोतीहारी में हुआ। वह लोयोला हाई स्कूल, पटना, पर अध्ययन किया और पर बाद में उन्होंने अपने उच्च अध्ययन के लिए करने के लिए दिल्ली ले जाया गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की और भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।