हमसे जुड़ें

भारत जोड़ो यात्रा का साइड इफेक्ट?

Shiv Kumar Mishra
22 Sep 2022 12:30 PM GMT
भारत जोड़ो यात्रा का साइड इफेक्ट?
x

विश्वदीपक

संघ प्रमुख मोहन भागवत का मुस्लिम विद्वानों से और धार्मिक गुरुओं से मिलना कुछ और नहीं बल्कि भारत जोड़ो यात्रा का साइड इफेक्ट है. हालांकि यह अच्छा,स्वागत योग्य है.

इससे यह भी साबित होता है की राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर सताधारी दल, उसका पितृ संगठन सोच में पड़ चुका है. यह इस यात्रा की सफलता है. दबाव में ही कोर्स करेक्शन किए जाते हैं -- यह नहीं भूलना चाहिए.

अच्छा होता कि संघ को यह समझ पहले आ जाती कि भारत यूरोप या मध्य एशियाई देशों की तरह धार्मिक राष्ट्रीयता का देश नहीं है. जन्म के 97 साल बाद ही सही, आरएसएस इस तरह की कोशिशें कर रहा है तो उनका स्वागत किया जाना चाहिए.

रूलिंग डिस्पेंसेशन को समझना होगा की इस देश के अल्पसंख्यकों को, मुसलमानों को बिना साथ लिए भारत की तरक्की संभव नहीं. नेहरू, गांधी, बोस, पटेल आदि ने इस बात को बहुत पहले समझ लिया था.

आरएसएस को हिंदुत्व का रास्ता छोड़कर मिलनसारिता की राह अपनानी होगी तभी देश का, हिंदू-मुस्लिम सबका कल्याण होगा. संभवतः आरएसएस नेतृत्व इस बात को भांप रहा है कि अगर प्रासंगिक बने रहना है तो भगवा रंग को थोड़ा डाइल्यूट करना होगा.

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

Next Story