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कुछ बदलाव ज़रूरी...इकदूजे के लिए...

सुजीत गुप्ता
17 July 2021 10:52 AM GMT
कुछ बदलाव ज़रूरी...इकदूजे के लिए...
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क्या आप कभी ऐसे रिश्ते में रहे हैं जहां आपका प्रेमी या प्रेमिका आपसे कहता है, "आप बदल गए हैं"? मुझे यकीन है कि हम में से अधिकांश है। परिवर्तन अपरिहार्य है और अक्सर अच्छा होता है। चाहे आप कितनी भी कोशिश कर लें, आप अपनी ज़िंदगी को रोक कर नहीं सकते या उसे एक जैसा नहीं रख सकते। समय के साथ अपने आप बदलाव भी आते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि हम बदलाव के इस विचार को बदलना शुरू कर दें। क्योंकि हम बदलाव को खुशियों से भी भर सकते हैं। इन्ही बदलावों मे आप के लिए चंद लाइने पेश कर रहे है....

कुछ बदलो तुम, कुछ बदले हम...

कुछ तुम कह दो, कुछ हम कह दे...

कुछ अनकही सी बातों को, कभी तुम समझो, कभी समझे हम...

जीवन की गाड़ी के दो पहिये हम, इन पहिओं में अगर ठीक से हवा न हो...

गाड़ी न बढ़ पाये आगे, इसी तरह जीवन की गाड़ी भी है यहाँ...

कभी तुम कमजोर, तो कभी हम कमजोर...

कभी तुम बनो सहारा, तो कभी हम बने सहारा...

सहयोग रहे एक दूसरे का हमेशा...

प्यार रहे न रहे यहाँ, सम्मान, विश्वास रहे सदा...

जो हम रोये, तो तुम भी रो दो...

जो तुम हंस दो, तो हम भी हंस दे...

ऐसा हो रिश्ता हमारा, जैसे डोर और पतंग...

जैसे फूल और सुगंध, जैसे आँख और काजल...

जैसे कलाई और कंगन, जैसे आसमान और बादल •••!!

प्रेम

पास तुम आये साथ निभाए, मुझे प्रेम का अर्थ समझाए ।

प्रेम है जीवन प्रेम है धड़कन, प्रेम में शक्ति प्रेम है भक्ति।।

प्रेम में सब संसार समाया, जितने भी महापुरुष हुए हैं,

हमको सबने यही सिखाया, बिना प्रेम के इस जीवन में कहाँ कोई रह है पाया।

प्रेम ने बांधा जीवों को जीव से प्रकृति ने हमको पाठ पढ़ाया ।।

(प्रेमलता, पी-एचडी, शोधार्थी, बौद्ध विद्या विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली)

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