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अन्तर्राष्ट्रीय मंचो पर बढ़ता दक्षिण भारत की फिल्मों का दबदबा

Satyapal Singh Kaushik
16 March 2023 3:30 AM GMT
अन्तर्राष्ट्रीय मंचो पर बढ़ता दक्षिण भारत की फिल्मों का दबदबा
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एक ओर जहां साउथ के एक्टर, डायरेक्टर अपनी मूल संस्कृति पर आधारित ओरिजिनल फिल्म बनाते हैं तो वहीं बॉलीवुड के एक्टर, डायरेक्टर अपने ही धर्म, जाति, मजहब का विरोध करते और मजाक करते नजर आते हैं।

सत्यपाल सिंह कौशिक

जब से ऑस्कर में दक्षिण भारत की दो फिल्मों "आरआरआर" और "द एलिफेंट व्हिस्पर्स" को पुरुस्कार मिला है, तब से यह चर्चा और गरम हो गई कि वह कौन सी वजह है जिसके कारण बॉलीवुड की एक भी फिल्म अभी तक ऑस्कर में कोई कमाल नहीं दिखा सकी है। इतना बड़ा दर्शक वर्ग होने के बावजूद आखिर किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बॉलीवुड की फिल्मों को नकार क्यों दिया जाता है। दरअसल, बात यह है की बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में हॉलीवुड और साउथ की फिल्मों की रिमेक होती हैं या उनसे प्रेरित होती हैं।एक तरफ जहां साउथ के एक्टर, डायरेक्टर अपनी मूल संस्कृति पर आधारित ओरिजिनल फिल्म बनाते हैं तो वहीं बॉलीवुड के एक्टर, डायरेक्टर अपने ही धर्म, जाति, मजहब का विरोध करते और मजाक करते नजर आते हैं। हाल ही की कुछ फिल्मों में इसके उदाहरण देखने को मिल जायेंगे। साउथ की फिल्मों के बढ़ते क्रेज का एक कारण बॉलीवुड के पुराने घिसे-पिटे फार्मूले पर फिल्में बनाना भी है। दर्शकों को साउथ की फिल्मों में नई कहानियां और क्रिएटिविटी देखने को मिल रही है। साथ ही हिंदी के दर्शकों को बॉलीवुड के परंपरागत हीरो के बजाए एक दूसरे माहौल और संस्कृति का हीरो देखने को मिल रहा है। निश्चित तौर पर यह भी एक बड़ा कारण है साउथ की फिल्मों का बॉलीवुड की फिल्मों से ज्यादा पॉपुलर होने का। बॉलीवुड के एक्टर जहां पैसा कमाने को ज्यादा महत्व देते हैं तो वहीं साउथ के एक्टर अपनी कला को प्राथमिकता देते हैं। साउथ की फिल्मों का कंटेंट जहां मौलिकता से भरा रहता है तो वहीं बॉलीवुड की फिल्मों का कंटेंट मौलिकता से काफी दूर दिखाई देता है। आज के समय की बात करें तो बॉलीवुड के दर्शकों के बीच दक्षिण भारतीय जैसे तमिल, मलयालम,कन्नड़ और तेलुगू सिनेमा की स्वीकार्यता बढ़ी है। पहले कभी अमिताभ बच्चन,सलमान खान,अजय देवगन, शाहरुख खान और अक्षय कुमार पर अपना भरपूर प्यार लूटने वाले दर्शक अब जूनियर एनटीआर महेश बाबू, रामचरण और यश में भी रुचि दिखाने लगे हैं।

साउथ में निर्माता-निर्देशक हों या लेखक या फिर अभिनेता, नए विषयों और अछूते विषयवस्तुओं को लेकर जोखिम उठाने का साहस दिखाते हैं और सफल भी रहते हैं लेकिन यही साहस फिलहाल बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक, लेखक या फिर अभिनेताओ में नजर नहीं आता। साउथ की फिल्में सिर्फ घरेलू नहीं बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी बॉलीवुड को जोरदार टक्कर दे रही हैं। बाहुबली, केजीएफ और आरआर आर जैसी फिल्मों का अन्तर्राष्ट्रीय कलेक्शन इसका उदाहरण हैं। इससे यह बात तो साबित हो जाती है की दक्षिण भारतीय फिल्मों का विस्तार तेजी से हो रहा है। पहले भारतीय सिनेमा मतलब सिर्फ बॉलीवुड होता था लेकिन अब इसकी हिमाकत शायद कोई करे, क्योंकि जिस तरह से साउथ की फिल्मों का वर्चस्व पूरे भारत में बढ़ा है निश्चितरूप से आने वाले समय का सरताज होगा दक्षिण भारत का सिनेमा। साउथ के फिल्मों की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2022 में बॉक्स ऑफिस पर सर्वाधिक कमाई करने वाली 10 फ़िल्मों को देखें तो दक्षिण भारत की कुल 6 फिल्मों ने बाजी मारी। जिसमें से भी टॉप की तीनों फिल्में साउथ की रहीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले पायदान पर कन्नड़ मूल की फ़िल्म 'केजीएफ़ चैप्टर- 2' है.जिसने विश्व भर में कुल 1235 करोड़ रुपये की कमाई किया। दूसरे पायदान पर तेलुगू मूल की 'आरआरआर' है जिसने पूरे विश्व में 1135 करोड़ रुपये की कमाई की। इसके बाद तमिल फ़िल्म 'पोन्नियिन सेलवन पार्ट-1' है, जिसने 500 करोड़ रुपए की कमाई की। हम बात बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन का करें या राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर पुरस्कारों की, हिन्दी सिनेमा इस समय अपने बेहद बुरे दौर से गुज़र रहा है। जबकि साउथ की फ़िल्मों का जादू सभी जगह सर चढ़कर बोल रहा है।

इन सब बातों पर गौर करते हुए बॉलीवुड को साउथ की फिल्मों से कुछ सीखना चाहिए और ऐसा कंटेंट लेकर आना चाहिए जो मौलिक हो और जिसमें भारतीयता की, हमारी संस्कृति की झलक हो।


Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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