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- दूसरों से बड़ी लकीर...
दूसरों से बड़ी लकीर खींचना जिसे नहीं आता, वो अक्सर दूसरों की लकीरों पर नाम लिखते है
दूसरों से बड़ी लकीर खींचना जिसे नहीं आता, वे अक्सर दूसरों की लकीर पर लिखे नाम को मिटाकर वहां अपना नाम लिखकर ही खुद को बड़ा साबित करने लगते हैं। कभी खुद का ही नाम अजय सिंह बिष्ट से बदलने वाले हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आजकल यूपी में यही करने में जुटे हुए हैं।
जबकि जनता यह उम्मीद लगाए बैठी है कि अखिलेश की ही तरह योगी जी भी अपने शासनकाल में मेदांता, लोहिया अस्पताल, आगरा एक्सप्रेस वे, इकाना स्टेडियम, 108 व 102 एम्बुलेंस, डायल 100 या अन्य बेशुमार विकास योजनाओं की शुरुआत करके अखिलेश की ही तरह ताबड़तोड़ तरीके से उन्हें पूरा भी करवाएंगे। लेकिन बाबा जी तो हिन्दू धर्म के नाम पर फैज़ाबाद को अयोध्या, इलाहाबाद को प्रयागराज, दीवाली में अयोध्या में दिए जलाने और कुंभ को ऐतिहासिक बनाने का घंटा ही बजाने और उसे जनता को थमाने में जुटे हुए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जिस इकाना स्टेडियम का नाम बदल कर योगी आदित्यनाथ आज फूले नहीं समा रहे हैं, उसकी तारीफ में आज के अखबार भी रंगे हुए हैं। इस मैच के बाद क्रिकेट के हर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दिग्गज ने इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन स्टेडियम जो करार दे दिया है।
ऐसा अभूतपूर्व स्टेडियम और महज डेढ़-दो साल में ही लखनऊ को आगरा तक का एक्सप्रेस वे व मेट्रो ट्रेन की सौगात देने वाले अखिलेश यादव से मुकाबले का तरीका योगी जी ने यही निकाला है कि ऐसे हर अभूतपूर्व काम पर अपना ठप्पा लगा दो।
इसके विपरीत, होना तो यह चाहिये था कि योगी सरकार जल्द से जल्द ऐसी ही या इससे बेहतर अन्य कई विकास योजनाएं लाकर अखिलेश की सोच और काम को बौना साबित कर देती|
लगता है कि वह कुव्वत उनमें है नहीं इस कारण अखिलेश के ही किये हर काम को अपना नाम देकर वाह वाही लूट रहे हैं। ऐसा न हो कि बाकी के तीन-साढ़े तीन साल तक भी योगी जी महाराज अपना सारा वक्त इसी तरीके से गुजार दें। और जो बचा खुचा वक्त मिले, उसे वह अयोध्या में दीवाली, कुम्भ मेले के इंतजाम जैसे धार्मिक आयोजनों में खर्च करें। और अंत में विकास के नाम पर जनता के हाथ बाबा जी का घंटा ही आये...