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आज की खबर : करुर हादसे को ‘खबर’ बना दिया गया, आज फिर पहले पन्ने पर, अंदर के पन्नों पर क्या होगा?

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आइये, आज खबर बनाने के भाजपाई खेल को समझते हैं।

संजय कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार : करुर हादसे की खबर आज भी दिल्ली के कई अखबारों में पहले पन्ने पर है। अमर उजाला और नवोदय टाइम्स ने कल इसे पहले पन्ने पर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। मुझे अटपटा लगा। इसपर कल लिख चुका हूं। आज करुर की खबर जब दूसरे दिन भी दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर है तो यह अमर उजाला और नवोदय टाइम्स में नहीं है। यह देशबन्धु में लीड है। शीर्षक है, करुर भगदड़ में मरने वालों की संख्या 40 हुई। कल ये खबर यहां नहीं थी। इसीलिए मैंने शीर्षक में लिखा है, ‘खबर’ बना दिया गया। आइये, आज खबर बनाने के भाजपाई खेल को समझते हैं। हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए खबर बनाना जरूरी है और कई बार यह प्रधानमंत्री, मंत्री के भाषणों से भी किया जाता है। आज, कल वाली खबर को ‘दिल्ली के लायक’ बनाया गया है। इसके लिए शीर्षक है, मरने वालों की संख्या 40 हो गई। यहां दिलचस्प है कि कल अमर उजाला में मरने वालों की संख्या 38 और दि एशियन एज में 39 बताई गई थी। ऐसे में आज 40 होने की खबर किसी भी तरह से पहले पन्ने की सूचना नहीं है। इसे पहले पन्ने की खबर बनाया गया। उसपर बाद में। अभी तो इतना ही कि जो खबर कल छप चुकी उसके फॉलोअप में मरने वाले 40 हुए के शीर्षक से यह पहले पन्ने की खबर नहीं हो सकती है। दिल्ली की खबर होती तो दिल्ली के अखबारों के लिए माना जा सकता था। द टेलीग्राफ में यह, फैन क्लब राजनीति के नुकसान के साथ पहले पन्ने पर है। दि एशियन एज में शीर्षक है, तमिलनाडु में भगदड़ की जांच शुरू; मरने वाले 40 हुए, के साथ पहले पन्ने पर है। यह खबर ‘बनाने’ का नतीजा है। इसे कहकर खबर बनवाया गया है या फिर कहकर छपवाया गया है। इन दो अखबारों के शीर्षक के करण यह पहले पन्ने पर भले अटपटा नहीं लगता है लेकिन इसके राजनीतिक कारण हो सकते हैं या यह सामान्य पत्रकारिता नहीं है। लेकिन मरने वाले 38 या 39 से 40 हुए लीड के बाद सेकेंड लीड नहीं हो सकती है।

द हिन्दू में लीड के साथ तीन कॉलम में एक क्रिकेटर की तस्वीर है और यह कल के एक महत्वपूर्ण मैच से जुड़ा है जो आज अमर उजाला में लीड है। खेल की खबर पहले पन्ने पर क्यों है – इसका जवाब उप शीर्षक से मिल जाता है। इसके अनुसार, भारत को नौवीं बार एशिया कप का ताज। चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को एक ही टूर्नामेंट में तीसरी मात। असल में आज यहां गिनती की ही खबरें हैं। इसका कारण मैं समझ सकता हूं। संकेत पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम की एक खबर है, चैतन्यानंद गिरफ्तार, पुलिस हिरासत में भेजा गया। यह एक स्वामी जी की खबर है जिनका नाम स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती है और आप एक मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर के रूप में काम करते हुए 17 छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किये गये हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि संस्कारी व्यवस्था में यह गिरफ्तारी ही खबर नहीं है। हो कैसे गई पता नहीं। जो भी हो, यह खबर पहले पन्ने पर ढूंढ़नी पड़ रही है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर फोटो के साथ प्रमुखता से जरूर है लेकिन शीर्षक में इन्हें भगोड़ा ‘स्वामी’ लिखा गया है। ‘स्वामी’ लिखने का मतलब है कि वे गलत दावा कर रहे थे। पर तथ्य यह है कि ऐसे ही एक स्वामी भाजपा राज में भारत के गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं। वे भी छात्राओं का यौन शोषण करते थे। नंगे होकर तेल मालिश कराने का वीडियो सार्वजनिक हुआ था पर व्यवस्था ने उन्हें बचा लिया। दलील यह कि वीडियो उन्हें फंसाने और संभवतः वसूली के लिए बनाया गया था। पीड़िता जेल में हो तो कह नहीं सकता। अमृतकाल में ऐसी पीड़िताओं का अकेले हिसाब रखना लगभग असंभव है। देसी चंदे से हो नहीं सकता और विदेशी चंदा लेकर तो सोनम वांगचुक नहीं बचे।

मैं रोज तीन हिन्दी और छह अंग्रेजी, कुल नौ, कई बार इससे भी ज्यादा अख़बार देखकर उसकी खास बातें लिखता हूँ। अंग्रेजी की खबरों के खास अंशों का अनुवाद करता हूं। वह भी लिखता हूं जो अखबार नहीं लिखते या नहीं लिख सकते हैं। पूरा पढ़ना चाहें तो रोज भड़ास4मीडिया पर जाकर पढ़ सकते हैं।

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