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- भारत विश्व में चीन से...
भारत विश्व में चीन से हारने के लिए अभिशप्त क्यों था/है?
1935 मे भागलपुर मे दंगा करा कर मुस्लिम कारोबार को ख़त्म किया गया।फिर बटवारा कराया गया और आज़ादी मिली और 72 साल तक मुस्लिम व्यवसाय को जमशेदपुर, अलीगढ, मुरादाबाद, सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली, हरियाणा वगैरह वगैरह में जला खोडा कर ताला, पीतल, हथकरघा, चूड़ी, मोटर पार्टस, चमड़ा उद्योग के छोटे और मझौले बिजनेस को ख़त्म कर देश की सैकडो प्रतिशत GDP को जला दिया गया मगर गर्व किया गया।
72 साल से दंगा द्वारा देश के GDP को समय समय पर जलाया गया मगर कोई प्रघानमंत्री, मुख्यमंत्री या अर्थशास्त्री आज तक यह बात नही बोला, मगर चार दिन का साऊथ अफ्रिका मे दंगा हुआ तो राष्ट्रपति रामापोज़ा जी ने कहा उन के देश की GDP 3-4% जल कर ख़त्म हो गई।
हम लोग भारत मे मुस्लिम नफरत फैला कर GDP जलाते रहे और गर्व करते रहे उधर चीन 1965 से 5-6% GDP growth करता रहा और 1989 से 10-12% GDP growth कर के 2019 तक 130 करोड आबादी को ग़रीबी से निकाल कर आज सुपर पावर हो गया और मेरे दरवाजे पर मुर्ग़ा खा कर शराब पी कर खडा खडा मूत रहा है।
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अब जब चीन मुस्लिम देशो को मिला कर बेल्ट और रोड बना कर दुनिया मे समुंदर के सुरक्षा या ट्रेड के महत्व को ख़त्म कर दिया तो हमारे तथाकथित देशभक्तों की आँख खूली के हम तो बेवक़ूफ़ी कर गये मुस्लिम तिरस्कार कर के।तो अब छोटा फितना लिंचिंग, गाय, गोश्त, ज़ाकिर नायक, तबलीगी जमात, मौलाना को छेड छाड कर मुस्लिम समाज के confidence को ख़त्म करने की चाल शुरू किया है ताकि मध्यपूर्व के देश चीन को तवज्जोह नही दे और भारत के तरफ झूके।इस फितना से भी GDP गिरेगी।
मुस्लिम समाज को घबराने की ज़रूरत नही है यह सब परेशानी वक़्ती है।1857 के बाद मुस्लिम समाज अपने खेलाफ देश और दुनिया मे इस से बडा बडा फितना देख चुका है।हाल मे 40 साल अफगानिस्तान मे मार-काट का फितना देखा है और आज फितना करने वालों का हश्र भी देख रहे हैं।
सब्र से काम लिजिये, अपना अखलाक़ सभों के साथ अच्छा रखिये, कठिन समय गुजर गया है।दुनिया बदल गई है और अब फितना करने वाले यूरोप और अमेरिका का जमाना नही रहा।यह एशिया की सदी है जिसमें बडे आबादी वाले देश भारत और चीन 80-90% तेल और गैस के लिये दूसरे देशों पर निर्भर है।अब कोई देश मुस्लिम के खिलाफ फितना पैदा कर सुपर पावर नही बन सकता है, चाहे वह अमेरिका हो, या चीन या भारत।
~मोहम्मद सीमाब ज़मान