हमसे जुड़ें

राजनीतिक चौपाल : भाजपा और आप के बीच नूरा कुश्ती तो नहीं सीबीआई रेड

राजनीतिक चौपाल : भाजपा और आप के बीच नूरा कुश्ती तो नहीं सीबीआई रेड
x
आम आदमी पार्टी के सांसद और कुशल वक्ता संजय सिंह ट्वीट कर कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच होगा।

आम आदमी पार्टी के सांसद और कुशल वक्ता संजय सिंह ट्वीट कर कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच होगा। सुनने में अटपटा लग सकता है कि सिर्फ दो राज्यों में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी कैसे लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का मुकाबला करेगी। लेकिन हो सकता है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों ने यही योजना बनाई हो कि आपस में ज्यादा से ज्यादा नूरा कुश्ती लड़ी जाएं और जनता के बीच भाजपा ताकतवर होने का, आम आदमी पार्टी पीड़ित होने का संदेश फैलाएं जिससे प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस विलुप्त प्राणी की तरह सिर्फ इतिहास बन जाए और चर्चा का विषय बिल्कुल ना रहे।

दिल्ली उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के यहां मारा गया सीबीआई का छापा भी शायद इसी की एक कड़ी हो और बहुत सारे राजनीतिक विश्लेषक इस बात को बोल भी रहे हैं और लिख भी रहे हैं। केजरीवाल की दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर बहुत सारे वर्गों में विरोध पाया जाता है लेकिन शराब के मामले में दूसरी पार्टियां भी दूध की धुली नहीं हैं। सरकारों के लिए रेवेन्यू इकट्ठा करने का सबसे अच्छा रास्ता शराब ही है। केजरीवाल सरकार ने शराब सस्ती की और पीने की उम्र की वैधता भी 25 से घटाकर 21 कर दी। इस प्रकार स्कूलों में क्रांति लाने वाली सरकार युवाओं को पीने पिलाने में लगाकर पता नहीं कौन सा विकास करना चाहती है ये भी एक वाजिब सवाल है।

बहरहाल टीवी मीडिया पर यह चर्चा तो शुरू हो गई है कि आखिर 2024 में मुकाबला किसके बीच होगा। मोदी और केजरीवाल दोनों ही अन्ना आंदोलन के बाद सत्ता में आने में कामयाब रहे हैं ये कौन नहीं जानता। कांग्रेस के खिलाफ जिस प्रकार आरएसएस कैडर और आम आदमी पार्टी के वालिंटियर्स ने मिलकर माहौल बनाया था जिसका फायदा दोनों को मिला था। उस समय यह लगता था कि दोनों पार्टियां एक ही कक्षा में बैठकर सबक हासिल कर रही थी।

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद ये बात और भी मजबूत हो गई थी कि आम आदमी पार्टी भाजपा का मुकाबला नहीं बल्कि उसका विकल्प है। और ये सब कांग्रेस को रोकने की रणनीति है। अब जबकि दिसंबर में महत्वपूर्ण राज्य गुजरात जहां की जीत हार से सबसे अधिक ताकतवर जोड़ी प्रधानमंत्री मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह का विकार जुड़ा हुआ है वहां केजरीवाल भाजपा को टक्कर देने का शौर कर रहे हैं और पंजाब की भांति गुजरात को भी कब्जाना चाहते हैं। लेकिन यहां केजरीवाल बिल्कुल ग़लत हैं क्योंकि पंजाब में खुद भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए आम आदमी पार्टी को अंदरूनी मदद पहुंचाई थी लेकिन गुजरात में ऐसा करना भाजपा के लिए आत्महत्या करने के समान होगा। लेकिन भाजपा गुजरात में आम आदमी पार्टी को इतना तो मजबूत दिखाएगी कि कुछ वोट तो उसे बिल्कुल मिल जाए जिससे कांग्रेस का वोट बिखर जाए।

दिल्ली में मनीष सिसोदिया प्रकरण के लंबा खिंचने के आसार लग रहे हैं क्योंकि यह प्रकरण जितना लंबा खिंचेगा आम आदमी पार्टी को विपक्ष के रूप में स्थापित करने का अवसर मिलेगा। कांग्रेस की ओर से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया सामने आ रही है। लेकिन अब यह देखना मजेदार होगा कि ये नूरा कुश्ती राजनीति में कितना रंग दिखा पाती है

माजिद अली खां

माजिद अली खां

माजिद अली खां, पिछले 15 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं तथा राजनीतिक मुद्दों पर पकड़ रखते हैं. 'राजनीतिक चौपाल' में माजिद अली खां द्वारा विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक विश्लेषण पाठकों की सेवा में प्रस्तुत किए जाते हैं. वर्तमान में एसोसिएट एडिटर का कर्तव्य निभा रहे हैं.

Next Story