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हां, हम चीन से हार गए थे पर लड़कर

Shiv Kumar Mishra
2 July 2020 7:51 AM GMT
हां, हम चीन से हार गए थे पर लड़कर
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जो लोंगों को बताया-पढ़ाया जाना चाहिए उसपर चुप्पी है ताकि समर्थक अज्ञानी बने रहें। यही रणनीति है।

- भारत एक युद्ध हारा है तो 6 जीता है

- भारत ने 4,28,297 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल भी किया है;

- 1,47,570 वर्ग किलोमीटर का एक नया देश बनाया है और

- 43,000 वर्ग किलोमीटर उस समय के शक्तिशाली चीन से हारा है।

पर अभी देखिए क्या हो रहा है। प्रधान मंत्री झूठ बोल रहे हैं। घुसपैठ स्वीकार नहीं कर रहे हैं। मीडिया ने घुसपैठ की खबर नहीं दी और दो बार वापस जाने की खबर छाप चुकी है। सरकार ने राहुल गांधी के सवाल का जवाब नहीं दिया पर लोग नेहरू जी के बारे में सवाल पूछ रहे हैं। और पूरी बात तो नहीं ही बता रहे हैं। प्रचारकों की सारी शाखाएं सक्रिय हैं।

1962 में चीन को दिए गए 43,000 वर्ग किलोमीटर की चर्चा कर रहे हैं। सब जानते हैं कि वह एक युद्ध था, चीन ने हमें धोखा दिया था और हम वीरता पूर्वक लड़कर हारे थे। पर ना तो इस इतिहास को छिपाया और ना इस बारे में किसी ने झूठ बोला। कहने की जरूरत नहीं है कि कुछ ही पहले हमने अंग्रेजों को भगाया था, उनसे जीते थे माफी वीरों और गोली मारने वाले जैसे सहयोगियों के बावजूद।

इसके बाद का काम और बड़ा था। आस-पास की कई रियासतों को भारत में मिलाना। इनकी संख्या 562 थी। सरदार बल्लभ भाई पटेल, कृष्ण मेनन, जवाहर लाल नेहरू और माउंट बैटन ने मिलकर इसे पूरा किया और ज्यादातर रियासतें मई और अगस्त 1947 के बीच भारत में शामिल हुईं।

आपसे सिर्फ पाकिस्तान के अलग होने का रोना रोया जाता है। कुछ रियासतें इसके बावजूद रह गई थीं जिन्हें भारत में मिलाने में एक साल से ज्यादा लगा। ये हैं :

पिपलौदा - 1471 वर्ग किलोमीटर

जोधपुर - 93424 वर्ग किलोमीटर

जूनागढ़ - 8643 वर्ग किलोमीटर

हैदराबाद - 212000 वर्ग किलोमीटर

कश्मीर - 101338 वर्ग किलोमीटर

कुल मिलाकर - 4,16,876 वर्ग किलोमीटर

पुर्तगाल और फ्रेंच इलाके यथा गोवा, दमन दिव, नागर हवेली और पांडिचेरी अब भी रह गए थे। गोडसे का काम 1948 में ही पूरा हो गया था पर 1960-61 में ये सब भारत में शामिल हुए क्योंकि नेहरू, पटेल और भारतीय सेना ने इसपर परिश्रम किया। सक्षम थे। इस तरह कुल जो इलाका भारत में शामिल हुआ वह है :

गोवा - 3702 वर्ग किलोमीटर

दमन, दिव, नागर हवेली - 603 वर्ग किलोमीटर

पांडिचेरी - 20 वर्ग किलोमीटर

यानी 4325 वर्ग किलोमीटर और। अगस्त 1947 के बाद कुल 4,21,201 वर्ग किलोमीटर भारत में मिलाया गया है। इसके बाद 1962 में भारत चीन से 43,000 वर्ग किलोमीटर हार गया।

इसके बावजूद नेहरू ने भारत में चार लाख वर्ग किलोमीटर से कुछ ही कम मिलाए हैं। यह तब की बात है जब सिर्फ 15 साल का था और अपने पांवों पर खड़ा हो रहा था।

अब भारत का सैन्य पराक्रम काफी बढ़ गया था। वह मित्रों और दुश्मनों की पहचान कर सकता था। 1965 में पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान को भारत से मुंह की खानी पड़ी थी। 1967 में भारत ने चीन को सिक्किम के नाथू ला और चो ला में मुंह तोड़ जवाब दिया था। यही नहीं, 1971 में पाकिस्तान को हराकर 1,47,570 वर्ग किलोमीटर छीन लिया और एक नया बांग्लादेश बना।

इसके बाद 1975 में सिक्कम का साम्राज्य और 7096 भारत में स्थायी तौर पर मिला दिया गया। 1999 में भारत ने कारगिल में घुस आई पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा था। इस तरह, संक्षेप में कहा जा सकता है कि 1962 की हार के बाद भारत कभी कोई युद्ध नहीं हारा ना ही कोई क्षेत्र किसी को दिया।

इसके बावजूद कुछ लोंगों की सुई 1962 पर अटकी हुई है उन्हें 1971, 1991 नहीं याद है। 1962 के बाद से भारत बहुत आगे बढ़ चुका है और एक विश्व शक्ति है। इसमें नरेन्द्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी या किसी संघ, शाखा या प्रचारक का कोई योगदान नहीं है। चीन को 43,000 वर्ग किलोमीटर देने का आरोप सही है पर यह कोई खुलासा नहीं है। जो लोंगों को बताया-पढ़ाया जाना चाहिए उसपर चुप्पी है ताकि समर्थक अज्ञानी बने रहें। यही रणनीति है।

Peri Maheshwer की वाल पर @Rajiv Tyagi की अंग्रेजी की पोस्ट से प्रेरित अनुवाद।

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