

माजिद अली खान (राजनीतिक संपादक)
छत्तीसगढ़ चुनाव की तारिख क़रीब आ रही है और भाजपा अपनी सत्ता बचने तथा कांग्रेस अपनी साख बचाने के लिए चुनाव प्रचार में कूद पड़ी है. सबसे बड़ा सवाल हर तरफ से यही किया जा रहा है की क्या रमन सिंह अबकी बार भी छत्तीसगढ़ को बचा पाएंगे और चार बार लगातार मुख्यमंत्री रहने का सौभाग्य प्राप्त कर लेंगे. छत्तीसगढ़ चुनाव में इस बार की सबसे बड़ी खासियत ये है की छत्तीसगढ़ में अपना एक मुक़ाम रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस से अलग अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन भी किया है.
इस चुनाव में इस गठबंधन न को लेकर जो बातें शुरू में की जा रही थी उनमे ये खास थी की ये गठबंधन भाजपा के इशारे पर कांग्रेस को नुक्सान पहुँचाने के इशारे पर किया गया है. लेकिन अब बदलते हालात में जो संकेत मिल रहे हैं उनसे लगता है की ये माया जोगी का जोड़ा कांग्रेस को काम भाजपा को ज़्यादा नुक्सान पहुंचाएगा. छत्तीसगढ़ से मिल रही रिपोर्ट्स बताती है और विशेषज्ञों का भी यही कहना है की कांग्रेस के सबसे कमज़ोर वक़्त में उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. जो ये कहते हैं की गठबंधन कांग्रेस का वोट खराब करेगा वह अभी हालत से अनभिज्ञ हैं. सियासत के जानकारों का कहना है की बहुत पहले की बात थी की कांग्रेस के सबसे ज़्यादा वोट हुआ करते थे और दुसरे दाल उनमे सेंध लगाया करते थे. लेकिन अब वह स्थिति भाजपा के साथ है.
कांग्रेस के साथ इस वक़्त जो भी वह कांग्रेसी ही है और वह किसी भी सूरत कही नहीं जायेगा, हाँ भाजपा के साथ कांग्रेस के विरोधी वोटो की एक बहुत बड़ी संख्या है, जिसमे ऐसे वोट भी हैं जो रमन सिंह से खुश नहीं हैं लेकिन कांग्रेस के साथ जाना नहीं चाहते. इस चुनाव में जोगी और माया ने इसी कमी को पूरा किया और जनता को तीसरा विकल्प दे दिया. ये तीसरा विकल्प बहुत बड़े तबके पर प्रभाव डालता है. अजीत जोगी से अलग होने के बाद भाजपा खेमा बहुत खुश था की कांग्रेस अब खुद ही गिर जाएगी लेकिन माया जोगी ने गठबंधन करके छतीसगढ़ चुनाव को रोमांचक बना दिया है. छत्तीसगढ़ में बसपा का काडर वोट है जो पिछली बार भजपा को भी मिला था लेकिन इस बार मायावती की हुंकार ने उसे भाजपा से अलग कर दिया है.
अब आगे देखना ये है की भाजपा इस गठबंधन से निपटने के लिए क्या रणनीति बनाती है. जोगी और मायावती जिस प्रकार भाजपा पर हमलावर हो रहे हैं उससे तो यही लगता है की ये दोनों भाजपा को अच्छा खासा नुक्सान दे सकतें हैं. इस त्रिकोणीय चुनाव में ऊँट किस करवट बैठता है चुनाव परिणाम ही बता सकते हैं लेकिन कयास यही हैं की ये गठबंधन रमन सिंह के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है