छत्तीसगढ़

"जोगी का जीतना तय है" था लेकिन जब परिणाम आया तो बीजेपी जीत गई, फिर अजीत जोगी ने खेला था ये खेल!

Shiv Kumar Mishra
30 May 2020 5:20 AM GMT
जोगी का जीतना तय है था लेकिन जब परिणाम आया तो बीजेपी जीत गई, फिर अजीत जोगी ने खेला था ये खेल!
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विद्या खिसियाये से रहे, और चुनाव के एन पहले कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए शरद पवार की पार्टी से हर सीट पर कैंडिडेट खड़े किए।

मेरी टेबल पर पड़े पेपर की मार्जिन में, हरी स्याही से बेहद खूबसूरत हस्तलिपि में ये लिखा था। अजीत जोगी का दस्तखत बड़ा साफ और सुंदर हुआ करता था। मैं देखता रहा। ग्राफोलॉजी के लिहाज से हस्ताक्षर के एक एक शब्द का घुमाव पढ़ता- क्लियर थिंकिंग, बोल्ड, अगेंस्ट द टाइड, स्टाइलिश..

वो फारेस्ट की सर्विस के दिन थे। सीएम से किसी पंचायत ने पौधे मांगे थे, तो उन्होंने उपयुक्त स्कीम से देने के लिए, विभाग को रिफर किया था। तब जोगी जी के जलवे थे। पार्टी और सरकार में, भीतर बाहर कोई टक्कर देने वाला नही था।

सीएम होने के पहले जोगी हमारे शहर से सांसद थे। एक बंगला भी खरीदा, जो बाद में बिका और जहां अब होटल चलता है। जोगी अपने गुरु दिग्विजय की मदद से सीएम बने, जिनका उद्देश्य किसी भी तरह से विद्याचरण को सीएम बनने से रोकना था। विद्या खिसियाये से रहे, और चुनाव के एन पहले कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए शरद पवार की पार्टी से हर सीट पर कैंडिडेट खड़े किए।

2003 विधानसभा में मेरी इलेक्शन ड्यूटी अकलतरा में लगी थी। शाम तक 79 परसेंट टर्नआउट था। "जोगी का जीतना तय है" मेरे पीठासीन अधिकारी ने लिफाफे चिपकाते हुए कहा था। घर लौटे तो भाई साहब भी कोई उत्साहित न थे। जिला भाजपा प्रवक्ता, जो पूरे वक्त ऐसा आभास देते, जानो मानो सारा जिम्मा खुद ही उठाये हों.. अब थके थके से, पार्टी की भावी हार के कारणों को गिनाते रहे। जोगी का कुचक्र, जोगी द्वारा प्रशासन का दुरुपयोग, जोगी की कनिंग पॉलिसीज, जोगी का भय... जोगी, जोगी, जोगी।

पर रिजल्ट आया तो सब भौचक्के। बीजेपी जीत गयी। विद्याचरण गुट ने हर जगह हार के मार्जिन से अधिक वोट लिए। मगर जोगी तो जोगी थे। सत्ता के दौर में खूब चाणक्यी की थी। चाणक्य का मतलब आप जानते हैं कि हर तरह... याने हर तरह की कमीनगी होता है। सीएम रहते बीजेपी के 12 विधायक तोड़े थे। पार्टी के विरोधियों, उनके परिवार वालों पर जुल्म ढाये। दिलीप सिंह जूदेव को ट्रेप करवाया। उनके सामने हर कोई पस्त था। सीटें कम आने से उनके आत्मविश्वास पर फर्क नही पड़ा।

चुनाव परिणाम अभी चल ही रहे थे, की जोगी साहब ने नवनिर्वाचित भाजपा विधायक दल को तोड़ने का गणित किया। एक खूंटे नाम के भाजपा सांसद इनके एजेंट हुए, मगर कुछ डबल क्रॉस हुआ, भांडा फूट गया। बदनामी और बेजारी हुई। तो कह दिया कि जो किया, सोनिया गांधी के आदेश से किया है। वह बयान उनका कैरियर ले डूबा। सोनिया ने उन्हें फिर कभी प्रमुख भूमिका नही दी।

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कवर्धा के कोई रमन सिंह छत्तीसगढ़ के भाजपा के सीएम की शपथ लिए। और लेते रहे अगले 15 साल। पहली बार जोगी को हराकर आये रमन, और 2 बार जोगी की वजह से आये। जोगी ने कांग्रेस को आक्रांत रखा। पार्टी के विरोधियों को मजबूत न होने दिया, नीचे तक फूट रही। पहले 5 साल तो उनके काफी समर्थक थे। पर धीरे धीरे टूटने लगे। दूसरा चुनाव हारा गया।

रमन के दूसरे कार्यकाल में नंदकुमार पटेल प्रदेश अध्यक्ष हुए। पटेल जी, खरसिया के अविजित विधायक थे। खरसिया वही जो अर्जुन सिंह और दिलीप सिंह जूदेव के ऐतिहासिक उपचुनाव की सीट थी। अर्जुन सिंह के बाद, एक छोटे से गांव के सरपंच नंदकुमार पटेल ने यह सीट आजीवन जीती। अविभाजित मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रहे। इतना जहीन, शानदार, दूरदर्शी और व्यवहारकुशल लीडर मैंने अपनी आंख से कोई और नही देखा। राजीव के बाद, मैच्योर एज में किसी नेता की मौत पर फूटकर रोया हूँ, तो नंदकुमार पटेल थे।

तो नंदकुमार प्रदेशअध्यक्ष हुए तो कांग्रेस में जान आ गयी। जोगीजी को छोड़, सारे धड़े एक साथ आ गए। कोई छह माह में ही सूखी हुई कांग्रेस, जो ताल ठोकने लगी, सत्ता में लौटना और पटेल का सीएम होना अवश्यम्भावी था। यह होता इससे पहले ही एक रैली के बाद लौटते नेताओं पर नक्सली हमले में पूरी छत्तीसगढ़ कांग्रेस समूल नष्ट कर दी गयी।

कोई अगर बचा, तो घटना के दो घण्टे पहले चॉपर से उड़कर अकेले आये नेता जोगी जी थे। टीवी पर जार जार रोते दिख रहे थे। नो बडी ट्रस्टेड हिज टियर्स... चुनाव फिर भाजपा ने जीत लिया।

अब रमन की तीसरी पारी में भूपेश बघेल को लीडरशिप मिली। उन्होंने भाजपा से अधिक जोगी जी को टारगेट किया। सोनिया दरबार से जोगी की गुहार नाकाम रही। अति उत्साहित भूपेश नहा-धोकर जोगी के पीछे ऐसा पड़े की पार्टी छुड़वाकर दम लिया। उनकी चिल्लर पार्टी भी उनके साथ गयी। कांग्रेस अब शुध्द थी। 90 में से 65 सीटें आयी। रमन सिंह का झोला उठा। जोगीजी के सपरिवार चार विधायक आये, जो अब बेकार थे।

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आईएएस से पॉलिटिशियन से सीएम, जोगी व्यक्ति के रूप में बेहद जीवट वाले, टैलेंटेड और बहादुर इंसान थे। मगर टैलेंट का उपयोग किस तरह से किया जाता है, इन्सान को उसी रोशनी में याद किया जाएगा। जोगी अपने टैलेंट का और बेहतर इस्तेमाल करने, तथा और भी ऊंचा जाने के हकदार थे।

आज मैं उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहता हूँ, मगर नंदकुमार पटेल याद आ जाते हैं।

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