छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में भी किसान आंदोलन होगा अब और तेज, प्रदेश के 18 शीर्ष किसान संगठनों की बैठक हुई संपन्न

छत्तीसगढ़ में भी किसान आंदोलन होगा अब और तेज, प्रदेश के 18 शीर्ष किसान संगठनों की बैठक हुई संपन्न
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25 सितंबर को संयुक्त किसान मोर्चे के "भारत बंद" के आवाहन को छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों का भी समर्थन,

केंद्र सरकार द्वारा औद्योगिक घरानों के हित में तथा किसान,कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानूनो को रद्द करने की मांग और न्यूनतम समर्थन मूल्य में सभी कृषि उपजों को खरीदी करने की गारंटी कानून पारित करने की मांग को लेकर जारी किसान आंदोलन का 26 सितंबर को दस महीने पूरा हो रहा है साथ ही किसान आंदोलन के समर्थन में किए गए भारत बंद का 25 सितंबर को एक साल पूरा हो जाएगा।

आंदोलन के इन दिनों में केंद्र की मोदी सरकार और हरियाणा राज्य की खट्टर सरकार किसानों की मांग मानने के बजाय ज्यादा क्रूर शासक का परिचय दिया है। जिसके खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद का आह्वान किया है जिसे छत्तीसगढ़ में सफल बनाने आह्वान किया है।

आज छत्तीसगढ़ के विभिन्न किसान, मजदूर और नागरिक संगठनों की बैठक "मां दंतेश्वरी हर्बल किसान समूह" के रायपुर कार्यालय "हर्बल इस्टेट" के परिसर में में संपन्न हुआ। बैठक की अध्यक्षता जिला किसान संघ बालोद के संयोजक व पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर ने किया तथा संचालन अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव व छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने किया।

बैठक में खेती बचाओ आंदोलन के टिकेश्वर साहू, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के विश्वजीत हारोड़े, आदिवासी भारत महासभा से सौरा, अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी, छत्तीसगढ़ खेतीहर मजदूर किसान मोर्चा से ठाकुर रामगुलाम सिंह, किसान विकास संघ से रघुनंदन साहू, छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्यों पारसनाथ साहू, गजेंद्र कोसले, हेमंत टंडन, वेगेंद्र सोनबेर, डा ईश्वर दान, संदीप के साथ साथ अठारह संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बैठक में करनाल हरियाणा में किसानों के ऊपर हुए लाठी चार्ज की घोर निन्दा की गई और शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी गई। राज्य स्तरीय किसान महापंचायत के लिए तैयारी पकड़ने लगी है बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने गरियाबंद जिला के राजिम में होने वाली राज्य स्तरीय किसान महापंचायत को सफल बनाने का आह्वान किया है और जानकारी दी कि इसके लिए ग्रामीण स्तर से तैयारी शुरू कर दिया है।

ज्ञात हो कि 26 अगस्त को छत्तीसगढ़ के किसान नेताओं तेजराम विद्रोही, जागेश्वर जुगनू चंद्राकर, गोविंद चंद्राकर, पंकज चंद्राकर ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं राकेश टिकैत, डॉ दर्शन पाल सिंह, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, डॉ सुनीलम को छत्तीसगढ़ आने के लिए आमंत्रित किया है, साथ ही कृषि विशेषज्ञ डॉ देवेंदर शर्मा को फोन कर आमंत्रित किया है। भारत में चल रहे किसान आंदोलन की व्यापकता के संबंध में तथ्य यह है कि यह आंदोलन जिसे दो राज्यों के मुट्ठी भर किसानों का आंदोलन कहा जाता है,पर वास्तविकता यह है कि आंदोलन स्थल दिल्ली से लगभग 2000 किलोमीटर दूर स्थित छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी यह आंदोलन व्यापक रूप से प्रभावी है,

गौरतलब है की शासन के द्वारा इन तीनों कृषि कानूनों को अध्यादेश के रूप में जब पारित किया गया तो सर्वप्रथम अखिल भारतीय किसान महासंघ "आईफा" के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने 7 जून 2020 को ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली को पत्र लिखकर इन कानूनों की कमियों के बारे में बताते हुए इन कानूनों का कड़ा विरोध किया था।

इतना ही नहीं आज आंदोलन किसान संगठनों ने भी जब अनजाने में इन कानूनों का समर्थन कर दिया था तो , इन्होंने ने एक बैठक बुलाकर सभी किसान नेताओं को इन कानूनों की कमियों के बारे में बताया था इसके बाद ही संगठन इन कानूनों के खिलाफ लामबंद हुए व इस एतिहासिक किसान आंदोलन का जन्म हुआ। यह भी एक संयोग है कि डॉ राजाराम त्रिपाठी छत्तीसगढ़ बस्तर के मूल निवासी हैं एवं आईफा के राष्ट्रीय संयोजक हैं,उनकी उपस्थिति में इस बैठक का आयोजन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में एक विशाल महासभा के आयोजन की रूपरेखा तय की गई,

इस बैठक में डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि, हमने ही यह शुरू किया है,हम ही इसे अंजाम तक पहुंचाएंगे : डॉ राजाराम त्रिपाठी राष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)




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